भोपाल। मध्य प्रदेश में गुरुवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय में कैबिनेट बैठक की. यह कैबिनेट बैठक अनौपचारिक बैठक थी. इस बैठक में कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया. केवल मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव की विदाई और नए मुख्य सचिव के आगमन की औपचारिकता निभाई गई. साथ ही कैबिनेट में शामिल हुए मंत्रियों ने 3 तारीख को फिर से मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने का दावा किया. अपने-अपने आंकड़े भी रखे कि प्रदेश में भाजपा फिर से कितनी विधानसभा सीटें जीत कर फिर से सरकार बना रही है. इसके अलावा कोरोना काल और अन्य योजनाएं जो मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी चल रही है. उन योजनाओं पर भी और उनकी सफलताओं पर भी चर्चा की गई.
मतगणना से पहले कैबिनेट बैठक: मतगणना से पहले प्रदेश सरकार ने आखिरी कैबिनेट बैठक बुलाई. राजधानी भोपाल में हुई इस बैठक में काफी संख्या में मंत्री शामिल हुए थे. सभी ने यह दावा किया है कि 3 तारीख को मतगणना के बाद प्रदेश में फिर से पूर्ण बहुमत के साथ मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सरकार बना रही है. जनता का भरपूर आशीर्वाद भारतीय जनता पार्टी को मिला है. इस पूरे मामले में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने भी भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार का दावा किया है.
एमपी में बीजेपी की सरकार बनने का दावा: उन्होंने कहा कि साल 1959 से मध्यप्रदेश में हर 12 साल में आयोजित होने वाले कुंभ जिसे लोग सिंहस्थ के नाम से भी जानते हैं और बाबा महाकाल की नगरी में साल 1959 के बाद जब भी प्रदेश में सिंहस्थ का आयोजन होता है. उस समय भारतीय जनता पार्टी ही रही है और मुख्यमंत्री हमेशा भारतीय जनता पार्टी का ही रहा है. इस बार भी अप्रैल और मई 2028 में सिंहस्थ का आयोजन होना है. ऐसे में नवंबर 2028 में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होंगे. ऐसे में उन्होंने दावा किया है कि बाबा महाकाल के आशीर्वाद से इस बार मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बन रही है.
सिहंस्थ को लेकर एमपी में मिथक: हालांकि मंत्री मोहन यादव के दावे के साथ-साथ एक अन्य मिथक भी है, जो की सिंहस्थ को ले कर ही है कि 48 सालों में जिस भी भाजपा के मुख्यमंत्री की सरकार में सिंहस्थ का आयोजन हुआ. उनकी सरकार वापस नहीं बन पाई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी इस मिथक में शामिल हैं. साल 1968 में आयोजित सिंहस्थ के दौरान संविद सरकार में गोविंद नारायण सिंह मुख्यमंत्री थे. सिंहस्थ के आयोजन के 11 महीने बाद 12 मार्च 1969 को उन्हें इंदिरा और नेहरू कांग्रेस की उलझन के चलते मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा.
- साल 1992 में अप्रैल-मई में सिंहस्थ का आयोजन हुआ था. उस समय सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री थे. आयोजन के सात महीने बाद बाबरी मस्जिद ढहाने पर केंद्र ने प्रदेश सरकार बर्खास्त कर दी, जिससे उनकी कुर्सी चली गई.
- साल 2004 में प्रदेश में मुख्यमंत्री उमा भारती की अगुवाई में अप्रैल-मई में सिंहस्थ महापर्व हुआ. इसके तीन महीने बाद ही अगस्त में उन्हें हुबली दंगा मामले में इस्तीफा देना पड़ा.
- साल 2016 में भी अप्रैल-मई में शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते यह आयोजन हुआ था. जिसके बाद 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया था.
- ऐसे में 2028 में होने वाले सिंहस्थ के आयोजन को ले कर मंत्री मोहन यादव ने यह दावा किया है अब आने वाली 3 दिसंबल को यह तय होगा कि मोहन यादव के दावे क्या प्रभाव पड़ता है.