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MP EC Campaign: एमपी की सड़कों पर दिखे मोटू-पतलू और छोटा भीम, मतदान की अपील का अनोखा तरीका

मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को एक चरण में मतदान होना है. सभी मतदाता घर से बाहर निकलकर अपने मत सही प्रयोग करें, इसके लिए चुनाव आयोग कई तरह की मुहिम चला रहा है. इस बार लोगों को जागरुक करने कोई और नहीं बल्कि मोटू-पतलू और छोटा भीम आए हैं. जो मतदान की अपील कर रहे हैं.

MP EC Campaign
मत भूलें मतदान
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 2, 2023, 4:41 PM IST

मतदान की अपील का अनोखा तरीका

भोपाल। बच्चों के फेवरेट मोटू-पतलू, छोटा भीम और टॉम एंड जेरी मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने में मदद कर रहे हैं. चौंकिए नहीं, इन कार्टून कैरेक्टर के जरिए प्रदेश के बड़े शहरों में लोगों को मतदान के लिए जागरूक किया जा रहा है. इसकी शुरूआत राजधानी भोपाल से की गई है. दरअसल 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में रिकॉर्ड 75.63 फीसदी मतदान हुआ था, जो अब तक के विधानसभा चुनाव का सर्वाधिक था, लेकिन शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में लोगों ने मतदान को लेकर ज्यादा मतदान हुआ था.

पूर्व चुनाव आयुक्त बोले मतदान छुट्टी का दिन नहीं: मतदान बढ़ाने के लिए एडीआर द्वारा अनोखे अंदाज में मुहिम शुरू की है. कार्टून कैरेक्टर वाले वॉलेंटियर्स को मतदान रथ में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. उन्होंने कहा कि लोग मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और अपना अच्छा जनप्रतिनिधि चुन सके, इसलिए यह मुहिम शुरू की गई है. उनसे जब सवाल किया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में मतदाता मतदान को लेकर उत्साह नहीं दिखाते. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि "शहरी क्षेत्र में कई मतदाता मतदान के दिन को छुट्टी का दिन मानकर सेलेब्रेट करने निकल पड़ते हैं, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि मतदान सबसे जरूरी है और ऐसे लोगों को ही जागरूक करने के लिए बच्चों के कार्टून केरेक्टर की मदद ली जा रही है."

MP Election 2023
छोटा भीम और मोटू पतलू की अपील

करीब 19 जिलों में कम हुआ था मतदान: 2018 के विधानसभा चुनाव में भोपाल की 7 विधानसभा सीटों में से 6 में मतदान प्रतिशत कम रहा. इंदौर की 9 सीटों में से 6 पर कम मतदान हुआ था. यही स्थिति जबलपुर और ग्वालियर की भी रही. ग्वालियर की सभी 6 सीटों पर मतदान कम हुआ था और जबलपुर की 8 में से 5 सीटों पर मतदान कम रहा था. मध्यप्रदेश के ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर और इंदौर के अलावा अलीराजपुर, भिंड, रीवा, छतरपुर, मुरैना, सीधी, सिंगरौली, दतिया, सागर, दमोह, सतना, पन्ना, टीकमगढ़, कटनी और अशोक नगर में लोग मतदान के लिए कम निकले थे. इन जिलों में राज्य के औसत से कम मतदान हुआ था. चुनाव आयोग ने ऐसे कम मतदान वाले विधानसभा क्षेत्रों को चिन्हित किया है.

प्रदेश में लगातार बढ़ रहा मतदान का प्रतिशत: मध्य प्रदेश में आजादी के बाद पहला चुनाव 1951 में हुआ था. उसके बाद से प्रदेश में मतदान का प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रदेश के पहले चुनाव में 45.11 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था.

  1. इसके बाद 1662 के चुनाव में 44.52 फीसदी मतदाताओं ने वोटिंग में हिस्सा लिया.
  2. 1972 के विधानसभा में 55 फीसदी प्रदेश में वोटिंग हुई. इसमें 66 फीसदी पुरूष और 44.37 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया.
  3. 1985 के चुनाव में 49.85 फीसदी मतदाताओं अपने मताधिकार का उपयोग किया.
MP Election 2023
एडीआर के अपील का अनोखा तरीका

यहां पढ़ें...

मध्यप्रदेश में पिछले 5 सालों के मतदान के आंकड़ों को देखा जाए तो 2003 के विधानसभा चुनाव से मतदाताओं ने मतदान के लिए खूब उत्साह दिखाया. 2003 के चुनाव में सत्ता विरोधी जमकर लहर थी, जिसका असर मतदान पर भी दिखाई दिया. लोग मतदान के लिए खूब घर से बाहर निकले. 2003 में 67.25 फीसदी मतदान हुआ था.

  1. 2008 के विधानसभा चुनाव में 69.78 फीसदी मतदान हुआ.
  2. 2013 के विधानसभा चुनाव में 72.13 फीसदी मतदान हुआ.
  3. 2018 के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड 75.63 फीसदी मतदान हुआ.

मतदान की अपील का अनोखा तरीका

भोपाल। बच्चों के फेवरेट मोटू-पतलू, छोटा भीम और टॉम एंड जेरी मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने में मदद कर रहे हैं. चौंकिए नहीं, इन कार्टून कैरेक्टर के जरिए प्रदेश के बड़े शहरों में लोगों को मतदान के लिए जागरूक किया जा रहा है. इसकी शुरूआत राजधानी भोपाल से की गई है. दरअसल 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में रिकॉर्ड 75.63 फीसदी मतदान हुआ था, जो अब तक के विधानसभा चुनाव का सर्वाधिक था, लेकिन शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में लोगों ने मतदान को लेकर ज्यादा मतदान हुआ था.

पूर्व चुनाव आयुक्त बोले मतदान छुट्टी का दिन नहीं: मतदान बढ़ाने के लिए एडीआर द्वारा अनोखे अंदाज में मुहिम शुरू की है. कार्टून कैरेक्टर वाले वॉलेंटियर्स को मतदान रथ में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. उन्होंने कहा कि लोग मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और अपना अच्छा जनप्रतिनिधि चुन सके, इसलिए यह मुहिम शुरू की गई है. उनसे जब सवाल किया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में मतदाता मतदान को लेकर उत्साह नहीं दिखाते. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि "शहरी क्षेत्र में कई मतदाता मतदान के दिन को छुट्टी का दिन मानकर सेलेब्रेट करने निकल पड़ते हैं, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि मतदान सबसे जरूरी है और ऐसे लोगों को ही जागरूक करने के लिए बच्चों के कार्टून केरेक्टर की मदद ली जा रही है."

MP Election 2023
छोटा भीम और मोटू पतलू की अपील

करीब 19 जिलों में कम हुआ था मतदान: 2018 के विधानसभा चुनाव में भोपाल की 7 विधानसभा सीटों में से 6 में मतदान प्रतिशत कम रहा. इंदौर की 9 सीटों में से 6 पर कम मतदान हुआ था. यही स्थिति जबलपुर और ग्वालियर की भी रही. ग्वालियर की सभी 6 सीटों पर मतदान कम हुआ था और जबलपुर की 8 में से 5 सीटों पर मतदान कम रहा था. मध्यप्रदेश के ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर और इंदौर के अलावा अलीराजपुर, भिंड, रीवा, छतरपुर, मुरैना, सीधी, सिंगरौली, दतिया, सागर, दमोह, सतना, पन्ना, टीकमगढ़, कटनी और अशोक नगर में लोग मतदान के लिए कम निकले थे. इन जिलों में राज्य के औसत से कम मतदान हुआ था. चुनाव आयोग ने ऐसे कम मतदान वाले विधानसभा क्षेत्रों को चिन्हित किया है.

प्रदेश में लगातार बढ़ रहा मतदान का प्रतिशत: मध्य प्रदेश में आजादी के बाद पहला चुनाव 1951 में हुआ था. उसके बाद से प्रदेश में मतदान का प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रदेश के पहले चुनाव में 45.11 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था.

  1. इसके बाद 1662 के चुनाव में 44.52 फीसदी मतदाताओं ने वोटिंग में हिस्सा लिया.
  2. 1972 के विधानसभा में 55 फीसदी प्रदेश में वोटिंग हुई. इसमें 66 फीसदी पुरूष और 44.37 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया.
  3. 1985 के चुनाव में 49.85 फीसदी मतदाताओं अपने मताधिकार का उपयोग किया.
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एडीआर के अपील का अनोखा तरीका

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मध्यप्रदेश में पिछले 5 सालों के मतदान के आंकड़ों को देखा जाए तो 2003 के विधानसभा चुनाव से मतदाताओं ने मतदान के लिए खूब उत्साह दिखाया. 2003 के चुनाव में सत्ता विरोधी जमकर लहर थी, जिसका असर मतदान पर भी दिखाई दिया. लोग मतदान के लिए खूब घर से बाहर निकले. 2003 में 67.25 फीसदी मतदान हुआ था.

  1. 2008 के विधानसभा चुनाव में 69.78 फीसदी मतदान हुआ.
  2. 2013 के विधानसभा चुनाव में 72.13 फीसदी मतदान हुआ.
  3. 2018 के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड 75.63 फीसदी मतदान हुआ.
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