भोपाल। केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए कानून को लेकर ट्रक और बस ड्राइवर्स द्वारा हड़ताल को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकारों की मनमानियों की वजह से मध्यप्रदेश सहित देश भर में अराजकता की स्थिति निर्मित हो रही है. बीजेपी सरकारें प्रजातंत्र का मखौल उड़ा रही है. सरकार जन-माने नहीं, बल्कि मनमाने निर्णय ले रही है.
प्रदेश सरकार नहीं संभाल पाई: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि हड़ताल की वजह से पेट्रोल-डीजल, सब्जी के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है. प्रदेश सरकार को इन परिस्थितियों की पहले से जानकारी थी, लेकिन मुख्यमंत्री सहित पूरी कैबिनेट नए साल के जश्न में डूबे रहे. उन्होंने जनता की इस परेशानी का कोई संज्ञान नहीं लिया. उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह जनता के मुददे को लेकर तुरंत संज्ञान ले और इसका निराकरण करे.
-
सच यह है @BJP4India बगैर संवाद से लोकतंत्र चलाना चाहती है! यही चरित्र कानून बनाने के दौरान भी दिखाई देता है!
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) January 2, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
काले कृषि कानून से लेकर हिट एंड रन तक के कानून में प्रभावित पक्ष से संवाद नहीं किया गया! यह अस्वीकार्य है!
मध्यप्रदेश सरकार ड्राइवर्स हड़ताल का संज्ञान ले, केंद्र से बात… pic.twitter.com/VNhZLDPmUT
">सच यह है @BJP4India बगैर संवाद से लोकतंत्र चलाना चाहती है! यही चरित्र कानून बनाने के दौरान भी दिखाई देता है!
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) January 2, 2024
काले कृषि कानून से लेकर हिट एंड रन तक के कानून में प्रभावित पक्ष से संवाद नहीं किया गया! यह अस्वीकार्य है!
मध्यप्रदेश सरकार ड्राइवर्स हड़ताल का संज्ञान ले, केंद्र से बात… pic.twitter.com/VNhZLDPmUTसच यह है @BJP4India बगैर संवाद से लोकतंत्र चलाना चाहती है! यही चरित्र कानून बनाने के दौरान भी दिखाई देता है!
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) January 2, 2024
काले कृषि कानून से लेकर हिट एंड रन तक के कानून में प्रभावित पक्ष से संवाद नहीं किया गया! यह अस्वीकार्य है!
मध्यप्रदेश सरकार ड्राइवर्स हड़ताल का संज्ञान ले, केंद्र से बात… pic.twitter.com/VNhZLDPmUT
यहां पढ़ें... |
कांग्रेस की मांग नहीं मानी: उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक को लेकर कांग्रेस ने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से मांग की थी कि संसद की एक संयुक्त कमेटी का गठन किया जाए, लेकिन इसे दरकिनार कर दिया गया. मोदी सरकार ने ज्यादातर विधेयकों को संसदीय समिति के पास जांच के लिए भेजना बंद कर दिया है. कांग्रेस की सरकारों में 75 फीसदी विधेयक कानून बनने के पहले जांच के लिए संसदीय समितियों को सौंपे जाते थे. मोदी सरकार में सिर्फ 16 फीसदी विधेयक ही भेजे जाते हैं. यहां तक कि सरकार अधिकांश विधेयकों पर आमजन के व्यापक विमर्श के लिए वेबसाइट पर भी नहीं डालती. मोदी सरकार ने कानून पास कराने का मनमाना तरीका निकाला है.