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MP: सहकारी बैंकों की हालत खस्ता, इनका NPA बढ़ा 15 प्रतिशत, आर्थिक सर्वेक्षण में खुलासा

मध्यप्रदेश के सहकारी बैंकों के हालात चिंताजनक है.प्रदेश के सहकारी बैंकों के NPA में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. जिसके चलते इन बैंकों में एक हजार करोड़ की कमी आई है.

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Published : Mar 1, 2023, 11:09 AM IST

भोपाल। शिवराज सरकार में सहकारिता विभाग की हालत खस्ता है. आर्थिक सर्वेक्षण में जानकारी सामने आई है कि प्रदेश के सहकारी बैंकों के NPA में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. एनपीए के चलते इन बैंकों में एक हजार करोड़ की कमी आई है. मध्यप्रदेश में सहकारिता के जरिए लोगों की आमदनी बढ़ाने का दावा करने वाली राज्य सरकार के सहकारी बैंक कंगाली की कगार पर हैं, बैंकों की ऋण राशि में भी 2018-19 की तुलना में 2020-21 में ये कमी आई है.

सहकारी बैंक की हालत खराब: मध्य प्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण में बैंकों के बारे में दिए गए आंकड़ों से सहकारी आंदोलन के दावों पर सवाल खड़े होने लगे हैं. जिला सहकारी बैंकों में जहां 2018-19 में 9513 करोड़ रुपए ऋण राशि थी, जो 2019-20 में 9188 करोड़ रह गया और 2020-21 में करीब 500 करोड़ रुपए की कमी और आई जो 8640 करोड़ रुपए पर आकर टिक गई. जमा राशि में उपरोक्त तीन साल की अवधि के दौरान करीब सवा दो हजार करोड़ रुपए की वृद्धि दर्ज की गई. 2018-19 में 15371 करोड़ की जमा राशि 2020-21 में 17693 करोड़ रुपए पहुंच गई. एनपीए की वजह से जिला सहकारी बैंक की हालत खराब होती जा रही है.

चिंताजनक एनपीए: आर्थिक सर्वेक्षण में जिला सहकारी बैंकों के एनपीए चिंताजनक रूप में सामने आए हैं. 2020, 2021 की तुलना में 2022 एनपीए में 14.64 फीसदी की कमी आई है. 2020 में जिला सहकारी बैंक में 7517 करोड़ एनपीए थे, जो 2021 में 7037 करोड़ और 2022 में 8067 करोड़ रुपए तक पहुंच गए. मध्य प्रदेश में अन्य बैंकों के एनपीए कम हुए हैं. जिसमें सबसे ज्यादा कमी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एनपीए में आई है. उपरोक्त अवधि में ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के एनपीए 2551 करोड़ से 2461 और 2022 में 1802 करोड़ पर आ गया है. निजी क्षेत्र के बैंकों के एनपीए भी उपरोक्त अवधि में 14.68 प्रतिशत रहा है.मध्य प्रदेश में 38 जिला सहकारी बैंक और जमीनीस्तर पर प्राथमिक कृषि ऋण समिति 4536 हैं. इनकी कुल सदस्य संख्या 75.67 लाख है. मध्य प्रदेश राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक की कुल 851 शाखाएं हैं. जिनमं से 630 ग्रामीण व अर्द्ध शहरी हैं.

क्या होता है NPA: एनपीए का मतलब ये है कि बैंक से लोन लेने के बाद जब कर्जदाता किस्त चुकाने में अक्षम है तो बैंकों की रकम फंस जाती है. बैंक इसे एनपीए घोषित कर देता है. NPA वो होता है जब किसी की कोई संपत्ति कोई भी आय देना बंद कर देते हैं, यानि के उस सम्पति से उनको कोई भी लाभ प्राप्त नहीं होता है तो ऐसी स्थिति को Non Performing Assets कहा जाता है.

भोपाल। शिवराज सरकार में सहकारिता विभाग की हालत खस्ता है. आर्थिक सर्वेक्षण में जानकारी सामने आई है कि प्रदेश के सहकारी बैंकों के NPA में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. एनपीए के चलते इन बैंकों में एक हजार करोड़ की कमी आई है. मध्यप्रदेश में सहकारिता के जरिए लोगों की आमदनी बढ़ाने का दावा करने वाली राज्य सरकार के सहकारी बैंक कंगाली की कगार पर हैं, बैंकों की ऋण राशि में भी 2018-19 की तुलना में 2020-21 में ये कमी आई है.

सहकारी बैंक की हालत खराब: मध्य प्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण में बैंकों के बारे में दिए गए आंकड़ों से सहकारी आंदोलन के दावों पर सवाल खड़े होने लगे हैं. जिला सहकारी बैंकों में जहां 2018-19 में 9513 करोड़ रुपए ऋण राशि थी, जो 2019-20 में 9188 करोड़ रह गया और 2020-21 में करीब 500 करोड़ रुपए की कमी और आई जो 8640 करोड़ रुपए पर आकर टिक गई. जमा राशि में उपरोक्त तीन साल की अवधि के दौरान करीब सवा दो हजार करोड़ रुपए की वृद्धि दर्ज की गई. 2018-19 में 15371 करोड़ की जमा राशि 2020-21 में 17693 करोड़ रुपए पहुंच गई. एनपीए की वजह से जिला सहकारी बैंक की हालत खराब होती जा रही है.

चिंताजनक एनपीए: आर्थिक सर्वेक्षण में जिला सहकारी बैंकों के एनपीए चिंताजनक रूप में सामने आए हैं. 2020, 2021 की तुलना में 2022 एनपीए में 14.64 फीसदी की कमी आई है. 2020 में जिला सहकारी बैंक में 7517 करोड़ एनपीए थे, जो 2021 में 7037 करोड़ और 2022 में 8067 करोड़ रुपए तक पहुंच गए. मध्य प्रदेश में अन्य बैंकों के एनपीए कम हुए हैं. जिसमें सबसे ज्यादा कमी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एनपीए में आई है. उपरोक्त अवधि में ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के एनपीए 2551 करोड़ से 2461 और 2022 में 1802 करोड़ पर आ गया है. निजी क्षेत्र के बैंकों के एनपीए भी उपरोक्त अवधि में 14.68 प्रतिशत रहा है.मध्य प्रदेश में 38 जिला सहकारी बैंक और जमीनीस्तर पर प्राथमिक कृषि ऋण समिति 4536 हैं. इनकी कुल सदस्य संख्या 75.67 लाख है. मध्य प्रदेश राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक की कुल 851 शाखाएं हैं. जिनमं से 630 ग्रामीण व अर्द्ध शहरी हैं.

क्या होता है NPA: एनपीए का मतलब ये है कि बैंक से लोन लेने के बाद जब कर्जदाता किस्त चुकाने में अक्षम है तो बैंकों की रकम फंस जाती है. बैंक इसे एनपीए घोषित कर देता है. NPA वो होता है जब किसी की कोई संपत्ति कोई भी आय देना बंद कर देते हैं, यानि के उस सम्पति से उनको कोई भी लाभ प्राप्त नहीं होता है तो ऐसी स्थिति को Non Performing Assets कहा जाता है.

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