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मजदूरों के 'मरहम' पर मध्यप्रदेश में शुरू हुई सियासत, कांग्रेस बोली- 'केंद्र का दावा झूठा और किताबी'

केंद्र सरकार ने राज्यों को एसडीआरएफ के तहत 11200 करोड़ रूपया मुहैया कराया है, मध्यप्रदेश में इस राहत राशि पर सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस ने राज्य सरकार पर इसको लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं.

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मरहम पर सियासत
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Published : May 16, 2020, 8:58 PM IST

भोपाल। केंद्र सरकार ने देश के तमाम राज्यों को राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के तहत 11200 करोड़ रूपया मुहैया कराए हैं. इस फंड का उपयोग सड़कों पर उमड़े प्रवासी मजदूरों को शेल्टर होम बनाकर उनके भोजन पानी की व्यवस्था के लिए किया जा रहा है. ये दावा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया है, जो मध्यप्रदेश में तो कहीं भी नजर नहीं आता है, क्योंकि ध्यप्रदेश से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर लाखों की संख्या में लोग पैदल और साइकिल और अन्य साधनों से चलते हुए नजर आ रहे हैं. भीषण गर्मी में अपने छोटे-छोटे बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता को साथ लिए ये लोग तरह-तरह की पीड़ा भोग रहे हैं.

मरहम पर सियासत

प्रदेश के सीमावर्ती राज्य मजदूरों को अपने इलाके में रुकना नहीं देना चाहते हैं और मध्यप्रदेश इतने बड़े पैमाने पर मजदूरों को अपने राज्य में प्रवेश करने नहीं देना चाह रहा है. अगर निर्मला सीतारमण के दावे को मानें, तो प्रदेश में कहीं भी सरकार ने ना तो शेल्टर होम बनाए हैं और ना ही मजदूरों के लिए खाने-पीने का इंतजाम किया है. बल्कि कोशिश की जा रही है कि यह मजदूर राज्य की सीमा में प्रवेश ना करें.

दरअसल देश के मध्य में बसा मध्यप्रदेश कोरोना लॉकडाउन के समय प्रवासी मजदूरों का हॉटस्पॉट बन गया है. उत्तर से दक्षिण या दक्षिण से उत्तर,पश्चिम से पूरब या फिर पूरब से पश्चिम जाने वाले सभी मजदूर मध्यप्रदेश की धरती से गुजर रहे हैं. प्रदेश की दूसरे प्रदेशों से लगी जिस सीमा पर जाएं, तो आपको अलग तरह के नजारे देखने को मिलेंगे. गुजरात से लगी झाबुआ जिले की सीमा पर हजारों की संख्या में मजदूर मध्यप्रदेश में प्रवेश करना चाह रहे हैं, लेकिन पुलिस उन्हें अंदर प्रवेश नहीं करने दे रही है.

परेशान मजदूर पत्थरबाजी कर रहा है, तो पुलिस डंडे बरसा रही है. राजस्थान से लगी प्रदेश की सीमा पर नजारा यह है कि मजदूरों की आवाजाही तो छोड़िए,पुलिस सीमा विवाद को निपटाने में लगी है. ऐसे ही नजारे महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों की सीमा में देखने मिल रहे हैं. वहीं जो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दावा है कि एसडीआरएफ फंड के तहत मजदूरों के लिए शेल्टर होम और खाने-पीने का इंतजाम किया गया है, वह मध्यप्रदेश में तो कहीं कहीं भी नजर नहीं आ रहा है.

कांग्रेस की चुनौती

केंद्रीय वित्त मंत्री के दावे को लेकर मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और विधायक कुणाल चौधरी कहते हैं कि देश की वित्त मंत्री कह रही हैं कि देश के अंदर 11 हजार करोड़ का फंड दिया गया है. जिसके माध्यम से राज्य सरकारें प्रवासी श्रमिकों को शेल्टर होम बनाकर व्यवस्था कर रही हैं. कुणाल चौधरी ने चुनौती देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में एक भी शेल्टर होम नहीं है. एक भी मजदूर के लिए खाने की व्यवस्था नहीं की गई.

कुणला चौधरी का शिवराज से सवाल

कुणाल चौधरी ने कहा कि प्रदेश में जो भी मजदूरों की मदद कर रहे हैं, वह या तो राजनीतिक दलों के लोग या फिर समाजसेवी हैं. जो अपने जेब के पैसे से काम कर रहे हैं. अगर ऐसा है तो एसडीआरएफ फंड के नाम पर बड़ी लूट देश के अंदर हुई है. प्रदेश में लूट सको तो लूट लो की तर्ज पर इस फंड को हड़पने का काम किया गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह यह बताएं कि वित्त मंत्री सही कह रही हैं, तो आपने एसडीआरएफ का फंड का उपयोग कहां किया है. सड़कों पर परेशान मजदूर को अपने बेल बेचना पड़ रहे हैं. शिवराज सिंह का यह कार्यकाल मध्य प्रदेश के काले कलंक के रूप में जाना जाएगा.

कुणाल चौधरी पर बीजेपी का पलटवार

एमपी बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि मध्यप्रदेश की भाजपा की सरकार ने शिवराज सिंह के नेतृत्व में मजदूरों को चाहे वह प्रवासी मजदूर हो या फिर स्थानीय मजदूर, उनके खाते में 1000 रूपए डालने का काम किया है. ऐसे मजदूरों की संख्या एक लाख से ज्यादा है. हम मजदूरों को गांव घर वापस अपने खर्चे पर लेकर आएं हैं, जिनकी संख्या भी काफी बड़ी है. इसी के साथ 3 माह के राशन 15 दिन का क्वॉरेंटाइन और दोनों टाइम का भोजन की व्यवस्था करने का काम किया गया है. देश के मध्य में स्थित मध्य प्रदेश से लाखों की संख्या में सड़क मार्ग से मजदूर निकल रहे हैं. उनके भोजन पानी और आश्रय की व्यवस्था मध्यप्रदेश सरकार ने की है. इसलिए मध्य प्रदेश सरकार देश की इकलौती सरकार है, जिसने तेजी और संवेदना के साथ जो प्रवासी और दूसरे राज्यों के मजदूर हैं और बाहर के मजदूर हैं उनको भी राहत और संबल देने का काम किया है.

भोपाल। केंद्र सरकार ने देश के तमाम राज्यों को राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के तहत 11200 करोड़ रूपया मुहैया कराए हैं. इस फंड का उपयोग सड़कों पर उमड़े प्रवासी मजदूरों को शेल्टर होम बनाकर उनके भोजन पानी की व्यवस्था के लिए किया जा रहा है. ये दावा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया है, जो मध्यप्रदेश में तो कहीं भी नजर नहीं आता है, क्योंकि ध्यप्रदेश से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर लाखों की संख्या में लोग पैदल और साइकिल और अन्य साधनों से चलते हुए नजर आ रहे हैं. भीषण गर्मी में अपने छोटे-छोटे बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता को साथ लिए ये लोग तरह-तरह की पीड़ा भोग रहे हैं.

मरहम पर सियासत

प्रदेश के सीमावर्ती राज्य मजदूरों को अपने इलाके में रुकना नहीं देना चाहते हैं और मध्यप्रदेश इतने बड़े पैमाने पर मजदूरों को अपने राज्य में प्रवेश करने नहीं देना चाह रहा है. अगर निर्मला सीतारमण के दावे को मानें, तो प्रदेश में कहीं भी सरकार ने ना तो शेल्टर होम बनाए हैं और ना ही मजदूरों के लिए खाने-पीने का इंतजाम किया है. बल्कि कोशिश की जा रही है कि यह मजदूर राज्य की सीमा में प्रवेश ना करें.

दरअसल देश के मध्य में बसा मध्यप्रदेश कोरोना लॉकडाउन के समय प्रवासी मजदूरों का हॉटस्पॉट बन गया है. उत्तर से दक्षिण या दक्षिण से उत्तर,पश्चिम से पूरब या फिर पूरब से पश्चिम जाने वाले सभी मजदूर मध्यप्रदेश की धरती से गुजर रहे हैं. प्रदेश की दूसरे प्रदेशों से लगी जिस सीमा पर जाएं, तो आपको अलग तरह के नजारे देखने को मिलेंगे. गुजरात से लगी झाबुआ जिले की सीमा पर हजारों की संख्या में मजदूर मध्यप्रदेश में प्रवेश करना चाह रहे हैं, लेकिन पुलिस उन्हें अंदर प्रवेश नहीं करने दे रही है.

परेशान मजदूर पत्थरबाजी कर रहा है, तो पुलिस डंडे बरसा रही है. राजस्थान से लगी प्रदेश की सीमा पर नजारा यह है कि मजदूरों की आवाजाही तो छोड़िए,पुलिस सीमा विवाद को निपटाने में लगी है. ऐसे ही नजारे महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों की सीमा में देखने मिल रहे हैं. वहीं जो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दावा है कि एसडीआरएफ फंड के तहत मजदूरों के लिए शेल्टर होम और खाने-पीने का इंतजाम किया गया है, वह मध्यप्रदेश में तो कहीं कहीं भी नजर नहीं आ रहा है.

कांग्रेस की चुनौती

केंद्रीय वित्त मंत्री के दावे को लेकर मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और विधायक कुणाल चौधरी कहते हैं कि देश की वित्त मंत्री कह रही हैं कि देश के अंदर 11 हजार करोड़ का फंड दिया गया है. जिसके माध्यम से राज्य सरकारें प्रवासी श्रमिकों को शेल्टर होम बनाकर व्यवस्था कर रही हैं. कुणाल चौधरी ने चुनौती देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में एक भी शेल्टर होम नहीं है. एक भी मजदूर के लिए खाने की व्यवस्था नहीं की गई.

कुणला चौधरी का शिवराज से सवाल

कुणाल चौधरी ने कहा कि प्रदेश में जो भी मजदूरों की मदद कर रहे हैं, वह या तो राजनीतिक दलों के लोग या फिर समाजसेवी हैं. जो अपने जेब के पैसे से काम कर रहे हैं. अगर ऐसा है तो एसडीआरएफ फंड के नाम पर बड़ी लूट देश के अंदर हुई है. प्रदेश में लूट सको तो लूट लो की तर्ज पर इस फंड को हड़पने का काम किया गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह यह बताएं कि वित्त मंत्री सही कह रही हैं, तो आपने एसडीआरएफ का फंड का उपयोग कहां किया है. सड़कों पर परेशान मजदूर को अपने बेल बेचना पड़ रहे हैं. शिवराज सिंह का यह कार्यकाल मध्य प्रदेश के काले कलंक के रूप में जाना जाएगा.

कुणाल चौधरी पर बीजेपी का पलटवार

एमपी बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि मध्यप्रदेश की भाजपा की सरकार ने शिवराज सिंह के नेतृत्व में मजदूरों को चाहे वह प्रवासी मजदूर हो या फिर स्थानीय मजदूर, उनके खाते में 1000 रूपए डालने का काम किया है. ऐसे मजदूरों की संख्या एक लाख से ज्यादा है. हम मजदूरों को गांव घर वापस अपने खर्चे पर लेकर आएं हैं, जिनकी संख्या भी काफी बड़ी है. इसी के साथ 3 माह के राशन 15 दिन का क्वॉरेंटाइन और दोनों टाइम का भोजन की व्यवस्था करने का काम किया गया है. देश के मध्य में स्थित मध्य प्रदेश से लाखों की संख्या में सड़क मार्ग से मजदूर निकल रहे हैं. उनके भोजन पानी और आश्रय की व्यवस्था मध्यप्रदेश सरकार ने की है. इसलिए मध्य प्रदेश सरकार देश की इकलौती सरकार है, जिसने तेजी और संवेदना के साथ जो प्रवासी और दूसरे राज्यों के मजदूर हैं और बाहर के मजदूर हैं उनको भी राहत और संबल देने का काम किया है.

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