भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं बचे. ऐसी स्थिति में शिवराज सिंह सरकार केंद्र की मोदी सरकार की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है, लेकिन उनकी उम्मीद पूरी होती नजर नहीं आ रही है. ऐसे में कांग्रेस के पास केंद्र और राज्य दोनों को ही घेरने का मौका आ गया है. कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार में ना तो साहस है और ना हिम्मत है कि वह अपना अधिकार और हक केंद्र सरकार से मांग सकें, वहीं केद्र सरकार भी मदद के जगह उधार दिलाने की बात कह रही है.
मध्यप्रदेश को उसके खाते की जीएसटी की क्षतिपूर्ति का 5500 करोड़ रुपया केंद्र सरकार से मिलना है, लेकिन केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से दो टूक कह दिया है कि वो क्षतिपूर्ति का इंतजार ना करें. केंद्र ने कहा कि आरबीआई से लोन लें, केंद्र सरकार उनकी मदद करेगी. इन परिस्थितियों को लेकर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर बड़ा हमला बोला है. कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा है कि सीएम शिवराज के पास दिल्ली जाकर मामला उठाने की हिम्मत नहीं है.
शिवराज को जाना चाहिए दिल्ली
भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि लोन लेने की स्थिति में ब्याज भी मध्यप्रदेश को चुकाना होगा. जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर जो अनुबंध हुआ था, उसका ये सरासर उल्लंघन है. यदि मध्य प्रदेश सरकार के हितों के प्रति शिवराज सिंह और उनकी सरकार सजग है, तो वो इस मामले को दिल्ली में जाकर उठाएं और दिल्ली में प्रेस वार्ता करें कि मध्य प्रदेश के हितों से कुठाराघात हो रहा है. संघीय ढांचा टूट रहा है और संघ में जो राज्यों के अधिकार हैं, उन अधिकारों पर हमला हो रहा है, यह कहने का साहस करना पड़ेगा.
सीएम ने बुलाई थी बैठक
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने गुरूवार को जीएसटी मामले में मंत्रालय में एक अहम बैठक बुलाई थी, जिसमें सामने आया कि केंद्र सरकार से जीएसटी क्षतिपूर्ति का 5500 करोड़ रूपया लेना बकाया है. एक तरफ प्रदेश की सरकार पहले से कर्ज में हैं और दूसरी तरफ केंद्र से जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए मना किए जाने के बाद मध्य प्रदेश सरकार लाचार नजर आ रही है. ऐसी स्थितियों में सरकार को क्या कदम उठाना चाहिए. इस पर अभी मुख्यमंत्री ने निर्णय नहीं लिया है, लेकिन उन्होंने वित्त विभाग और वाणिज्य कर विभाग को विकल्प पर विचार करने के निर्देश दिए हैं.