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शिवराज सरकार ने केंद्र से की कर्ज लिमिट बढ़ाने की मांग, कांग्रेस ने कहा- फिजूलखर्ची पर लगाओ लगाम

प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से कर्ज की लिमिट बढ़ाए जाने का अनुरोध किया है, जिस पर कांग्रेस ने निशाना साधते हुए कहा है कि, अगर प्रदेश सरकार अपनी फिजूलखर्ची पर लगाए लगा ले, तो कर्ज की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.

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Published : Apr 30, 2020, 2:47 PM IST

Updated : Apr 30, 2020, 3:50 PM IST

mp congress
कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा

भोपाल। एक तो पहले से मध्य प्रदेश की वित्तीय हालत कमजोर है. दूसरी तरफ कोरोना महामारी के कारण किए गए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए शिवराज सरकार ने एक हाई पावर कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी ने सुझाव दिया है कि, सरकार को केंद्र सरकार से कर्ज की सीमा बढ़ाए जाने की मांग करनी चाहिए, क्योंकि मौजूदा स्थिति में अगर कर्ज की सीमा नहीं बढ़ाई जाती है, तो प्रदेश सरकार को काफी कम कर्ज मिलेगा, जो नाकाफी होगा. फिलहाल कर्ज की सीमा जीडीपी का 3.5% है और मध्य प्रदेश सरकार इसे 4.5% करना चाहती है.

कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है कि, शिवराज सरकार महामारी के समय पर अपनी ब्रांडिंग में पैसा बहा रही है. इसलिए शिवराज सरकार को फिजूलखर्ची बंद करनी चाहिए और मध्य प्रदेश की जनता पर अनावश्यक बोझ नहीं डालना चाहिए.

जानकारी के अनुसार मौजूदा स्थिति को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार को कर्ज की ज्यादा आवश्यकता पड़ रही है. नियम अनुसार कोई भी सरकार अपनी जीडीपी का 3% और अधिकतम 3.5% तक कर्ज ले सकती है. ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश सरकार को ज्यादा कर्ज मिलने की गुंजाइश कम है, क्योंकि सरकार पहले से ही कर्ज में डूबी हुई है.

मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि, कोई भी प्रदेश सरकार अपनी जीडीपी का 3% या अधिकतम 3.5% कर्ज ले सकती है. शिवराज सिंह 4.5 प्रतिशत कर्ज लेना चाहते हैं. आखिर क्यों और किस लिए ये कर्ज लेना चाहते हैं. मौजूदा कच्चे तेल की कीमत को देखते हुए आज जब पेट्रोल और डीजल की कीमत 14-15 रुपए लीटर होना चाहिए. तब 80 रूपए के करीब पेट्रोल बेचा जा रहा है.

उन्होंने कहा सरकार अपनी ब्रांडिंग में जितना खर्च कर रही है, उस पर रोक लगा दें, तो मध्य प्रदेश में आर्थिक समस्या नहीं रहेगी. फालतू खर्चों पर रोक लगानी चाहिए. कृपया कर कर्ज लेने के बजाय, जो व्यर्थ का खर्च है, सरकार उसे बंद कर दे. क्योंकि बीजेपी सरकार के पास पेट्रोल, डीजल और गैस में मन मुताबिक पैसा आ रहा है. उसका सदुपयोग करना चाहिए.

भोपाल। एक तो पहले से मध्य प्रदेश की वित्तीय हालत कमजोर है. दूसरी तरफ कोरोना महामारी के कारण किए गए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए शिवराज सरकार ने एक हाई पावर कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी ने सुझाव दिया है कि, सरकार को केंद्र सरकार से कर्ज की सीमा बढ़ाए जाने की मांग करनी चाहिए, क्योंकि मौजूदा स्थिति में अगर कर्ज की सीमा नहीं बढ़ाई जाती है, तो प्रदेश सरकार को काफी कम कर्ज मिलेगा, जो नाकाफी होगा. फिलहाल कर्ज की सीमा जीडीपी का 3.5% है और मध्य प्रदेश सरकार इसे 4.5% करना चाहती है.

कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है कि, शिवराज सरकार महामारी के समय पर अपनी ब्रांडिंग में पैसा बहा रही है. इसलिए शिवराज सरकार को फिजूलखर्ची बंद करनी चाहिए और मध्य प्रदेश की जनता पर अनावश्यक बोझ नहीं डालना चाहिए.

जानकारी के अनुसार मौजूदा स्थिति को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार को कर्ज की ज्यादा आवश्यकता पड़ रही है. नियम अनुसार कोई भी सरकार अपनी जीडीपी का 3% और अधिकतम 3.5% तक कर्ज ले सकती है. ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश सरकार को ज्यादा कर्ज मिलने की गुंजाइश कम है, क्योंकि सरकार पहले से ही कर्ज में डूबी हुई है.

मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि, कोई भी प्रदेश सरकार अपनी जीडीपी का 3% या अधिकतम 3.5% कर्ज ले सकती है. शिवराज सिंह 4.5 प्रतिशत कर्ज लेना चाहते हैं. आखिर क्यों और किस लिए ये कर्ज लेना चाहते हैं. मौजूदा कच्चे तेल की कीमत को देखते हुए आज जब पेट्रोल और डीजल की कीमत 14-15 रुपए लीटर होना चाहिए. तब 80 रूपए के करीब पेट्रोल बेचा जा रहा है.

उन्होंने कहा सरकार अपनी ब्रांडिंग में जितना खर्च कर रही है, उस पर रोक लगा दें, तो मध्य प्रदेश में आर्थिक समस्या नहीं रहेगी. फालतू खर्चों पर रोक लगानी चाहिए. कृपया कर कर्ज लेने के बजाय, जो व्यर्थ का खर्च है, सरकार उसे बंद कर दे. क्योंकि बीजेपी सरकार के पास पेट्रोल, डीजल और गैस में मन मुताबिक पैसा आ रहा है. उसका सदुपयोग करना चाहिए.

Last Updated : Apr 30, 2020, 3:50 PM IST
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