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एंटीबायोटिक के अधिक प्रयोग से ट्रीटमेंट थोड़ा मुश्किल,घबराएं नहीं, लक्षण पहचानें और डॉक्टर को दिखाएं

इन दिनों अस्पताल में बच्चों की कतार लगी है. उन्हें फ्लू है, वायरल है, सर्दी, खांसी से परेशान हैं. सरकारी से लेकर प्राइवेट तक वार्ड फुल हैं लेकिन चिंता करने वाली बात नहीं है. ईटीवी भारत ने ऐसे ही पेरेंटस के चिंता भरे सवालों के जवाब को सीनियर पीडियाट्रिक डॉ. राकेश मिश्रा के पास रखा. जिन्होंने हमीदिया अस्पताल में सेवाएं दी हैं. उन्होंने साफ कहा कि घबराने की बात नहीं है. क्योंकि बच्चों की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आ रही है. लक्षण पहचानकर तत्काल डॉक्टर को दिखाने की हिदायत जरूरी है.

Pediatric Dr Rakesh Mishra
पीडियाट्रिक डॉ राकेश मिश्रा
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Published : Mar 7, 2023, 10:31 AM IST

Updated : Mar 7, 2023, 12:18 PM IST

पीडियाट्रिक डॉ राकेश मिश्रा

भोपाल। पोस्ट कोविड लगातार ऐसा हो रहा है कि बच्चों और बड़ों में फ्लू लौटकर आ रहा है. यह ठीक होने में 5 से 7 दिन का समय ले रहा है. पेरेंटस का सवाल यह है कि क्या यह कोविड है या फिर कोई और खतरा. तो ईटीवी भारत को जवाब देते हुए डॉ. राकेश मिश्रा ने कहा कि, कतई यह कोविड नहीं है. उनके अस्पताल में आने वाले हर बच्चे की कोविड जांच की जाती है और कोई भी बच्चा पॉजीटिव नहीं आया है. उन्होंने कहा कि बेसिकली यह सीजनल फ्लू है. पोस्ट कोविड की संख्या बढ़ी है. यह भी बताया कि इस पर रिसर्च इंस्टीट्यूट लगातार रिसर्च कर रहे हैं. अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है. रिसर्च से इस बात का खुलासा हो सकता है कि वायरस में चेंज आया है या आपस में कंफ्यूजन हो गया है.

एडमिट बच्चों में कॉमन इंफेक्शन क्यों: इस सवाल के जवाब में बोले कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि, यह 100 परसेंट फ्लू इलनेस है. इसलिए यह कॉमन दिखाई दे रहा है. इसमें आंखे लाल हो जाती हैं. अचानक बुखार आता है. कई पेशेंट हैं जिनमें बच्चों के साथ बड़े भी शामिल हैं. सांस लेने में तकलीफ होती है. यह फ्लू बाद में निमोनिया में कन्वर्ट हो रहा है. इसमें जो मरीज अस्पताल में एडमिट होने आते हैं, वे पहले से दो या तीन दिन तक इलाज करवाकर आते हैं. एडमिट होने के बाद ठीक होने में पांच दिन लगते हैं. कुछ लोगों को री इंफेक्शन भी हो रहा है. उन्होंने बताया कि यह हर साल इसी सीजन में होता है. कुछ नया नहीं है. बस संख्या थोड़ी अधिक है. उन्होंने इसे मौसम का असर बताया.

सावधानी क्या बरते: दो तीन बातें महत्वपूर्ण हैं. अधिकतर पेशेंट या बच्चे हैं. बार बार आ रहे हैं, जो पहले आ चुके हैं. बहुत अधिक एंटीबायोटिक के प्रयोग से वायरस थाेड़ा डिफिकल्ट टू ट्रीट हो गया है. यानी इलाज करने में समस्या आ रही है. इस तरह के मामले में बचाव एक सबसे बड़ा तरीका है कि टीकाकरण समय पर करवाना बेहद जरूरी है. फ्लू का भी टीकाकरण करवाएं. एमएमआर, चिकन पॉक्स का टीकाकरण कराएं. पेशेंट को सलाह कि वे भीड़ में जाने से बचें. संभव हो तो मास्क का उपयोग करें. जपानियों ने मास्क को अपना कल्चर बना लिया है. इसीलिए पे स्पेनिश फ्लू से बच गए.

बच्चा बीमार हो ताे तत्काल क्या करें: सबसे पहले तो खतरे के लक्षणों को पहचानना जरूरी है. खासकर छोटे बच्चों की निगरानी होनी ही चाहिए. वो बोल नहीं पाते हैं. दूध पीना बंद कर देगा. यही सबसे बड़े लक्षण हैं. यदि ऐसा है तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें. घबराना नहीं चाहिए. बच्चा जितना छोटा है. रिस्क उतना अधिक बढ़ जाता है.

कोरोना वेरिएंट से जुड़ी ये खबरें जरूर पढ़ें...

रूटीन टीके छूट गए तो क्या करें: जनरल टीकाकरण में बोलता हूं कि एक बार में असरकारक नहीं होता है. बूस्टर डोज जरूरी है. कोविड में भी यही किया.पहले तो टीका मिस नहीं होना चाहिए और यदि देरी हो गया, यानी 2 महीने की बजाय 6 महीने हो गए तो भी टीका जरूर लगवाएं. फायदा ही होता है. इसीलिए समय निकल भी गया है तो लगवा लेना चाहिए. ऐसा बिलकुल नहीं है कि टीका लग नहीं सकता.

पीडियाट्रिक डॉ राकेश मिश्रा

भोपाल। पोस्ट कोविड लगातार ऐसा हो रहा है कि बच्चों और बड़ों में फ्लू लौटकर आ रहा है. यह ठीक होने में 5 से 7 दिन का समय ले रहा है. पेरेंटस का सवाल यह है कि क्या यह कोविड है या फिर कोई और खतरा. तो ईटीवी भारत को जवाब देते हुए डॉ. राकेश मिश्रा ने कहा कि, कतई यह कोविड नहीं है. उनके अस्पताल में आने वाले हर बच्चे की कोविड जांच की जाती है और कोई भी बच्चा पॉजीटिव नहीं आया है. उन्होंने कहा कि बेसिकली यह सीजनल फ्लू है. पोस्ट कोविड की संख्या बढ़ी है. यह भी बताया कि इस पर रिसर्च इंस्टीट्यूट लगातार रिसर्च कर रहे हैं. अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है. रिसर्च से इस बात का खुलासा हो सकता है कि वायरस में चेंज आया है या आपस में कंफ्यूजन हो गया है.

एडमिट बच्चों में कॉमन इंफेक्शन क्यों: इस सवाल के जवाब में बोले कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि, यह 100 परसेंट फ्लू इलनेस है. इसलिए यह कॉमन दिखाई दे रहा है. इसमें आंखे लाल हो जाती हैं. अचानक बुखार आता है. कई पेशेंट हैं जिनमें बच्चों के साथ बड़े भी शामिल हैं. सांस लेने में तकलीफ होती है. यह फ्लू बाद में निमोनिया में कन्वर्ट हो रहा है. इसमें जो मरीज अस्पताल में एडमिट होने आते हैं, वे पहले से दो या तीन दिन तक इलाज करवाकर आते हैं. एडमिट होने के बाद ठीक होने में पांच दिन लगते हैं. कुछ लोगों को री इंफेक्शन भी हो रहा है. उन्होंने बताया कि यह हर साल इसी सीजन में होता है. कुछ नया नहीं है. बस संख्या थोड़ी अधिक है. उन्होंने इसे मौसम का असर बताया.

सावधानी क्या बरते: दो तीन बातें महत्वपूर्ण हैं. अधिकतर पेशेंट या बच्चे हैं. बार बार आ रहे हैं, जो पहले आ चुके हैं. बहुत अधिक एंटीबायोटिक के प्रयोग से वायरस थाेड़ा डिफिकल्ट टू ट्रीट हो गया है. यानी इलाज करने में समस्या आ रही है. इस तरह के मामले में बचाव एक सबसे बड़ा तरीका है कि टीकाकरण समय पर करवाना बेहद जरूरी है. फ्लू का भी टीकाकरण करवाएं. एमएमआर, चिकन पॉक्स का टीकाकरण कराएं. पेशेंट को सलाह कि वे भीड़ में जाने से बचें. संभव हो तो मास्क का उपयोग करें. जपानियों ने मास्क को अपना कल्चर बना लिया है. इसीलिए पे स्पेनिश फ्लू से बच गए.

बच्चा बीमार हो ताे तत्काल क्या करें: सबसे पहले तो खतरे के लक्षणों को पहचानना जरूरी है. खासकर छोटे बच्चों की निगरानी होनी ही चाहिए. वो बोल नहीं पाते हैं. दूध पीना बंद कर देगा. यही सबसे बड़े लक्षण हैं. यदि ऐसा है तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें. घबराना नहीं चाहिए. बच्चा जितना छोटा है. रिस्क उतना अधिक बढ़ जाता है.

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रूटीन टीके छूट गए तो क्या करें: जनरल टीकाकरण में बोलता हूं कि एक बार में असरकारक नहीं होता है. बूस्टर डोज जरूरी है. कोविड में भी यही किया.पहले तो टीका मिस नहीं होना चाहिए और यदि देरी हो गया, यानी 2 महीने की बजाय 6 महीने हो गए तो भी टीका जरूर लगवाएं. फायदा ही होता है. इसीलिए समय निकल भी गया है तो लगवा लेना चाहिए. ऐसा बिलकुल नहीं है कि टीका लग नहीं सकता.

Last Updated : Mar 7, 2023, 12:18 PM IST
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