भोपाल। विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ 7 महीने बचे हैं. इन 7 माह में सरकार एक लाख नौकरी देने का वादा एक बार फिर कर रही है. लेकिन यह महज जुमला ही साबित होगा, क्योंकि सरकार का पुराना रिकार्ड बेहद खराब है. सदन में दी गई जानकारी के इतर ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो पता चला कि सबसे अधिक सरकारी विभागों के लिए भर्ती करने वाले मप्र कर्मचारी चयन मंडल द्वारा जो परीक्षाएं कराई जानी हैं, उनके अनुसार युवाओं को रोजगार मिलेगा. दूसरी तरफ सबसे बड़ी सरकारी नौकरी देने वाले एमपीपीएससी की कहानी पिछड़ा वर्ग आरक्षण के कारण वर्ष 2019 के बाद से ही अटकी है. कमलनाथ की कांग्रेस सरकार ने जब मप्र में पिछड़ा वर्ग का 27 फीसदी आरक्षण लागू किया तो हंगामा हो गया. इसके बाद सरकार बदल गई और जितनी भी सरकारी भर्तिंया निकली, वे सभी आरक्षण का विरोध होने के कारण कोर्ट में उलझती गईं. बावजूद इसके सरकार भर्ती परीक्षाएं आयोजित करती रही.
एमपी में ये हैं हालात : भोपाल दक्षिण पश्चिम के विधायक पीसी शर्मा ने सदन में बताया कि मध्यप्रदेश में डेढ़ करोड़ मजदूर बेरोदगार हैं. 50 लाख से अधिक पढ़े लिखे युवा बेरोजगार घूम रहे हैं. बीते आठ साल में 25 हजार मजदूरों ने आत्महत्या कर ली है. इसी प्रकार सिंहावल के विधायक कमलेश्वर पटेल ने कहा कि 22 एमएसएमई क्लस्टर बना रहे हैं और 18 साल में भी नहीं बन पाए. कुणाल चौधरी ने कहा कि यशोधरा राजे ने खुद बताया कि 19 लाख में से सिर्फ 21 युवाओं को ही बीते तीन साल में सरकारी रोजगार दे पाए हैं.
बीते पांच साल की स्थिति : पिछले कुछ चुनावों से लगातार रोजगार का मुददा केंद्र में रहा है. वर्ष 2018 में हुए तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में यानी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान के भीतर युवाओं ने रोजगार के नाम पर वोट डाला था. लेकिन बीते पांच साल में दोनों ही सरकार युवाओं को रोजगार देने में सफल नहीं हो पाई. कांग्रेस ने सत्ता में आते ही 100 दिनी रोजगार योजना शुरू की और युवाओं को हंसी का पात्र बना दिया. उनसे नगर निगम के काम करवाए गए. जब सिंधिया गुट की मदद से भाजपा वापिस सत्ता में लौटी तो उपचुनाव के समय रोजगार को लेकर प्रदेश के युवाओं ने जमकर प्रदर्शन किया. चुनाव संपन्न होते ही प्रदेश में धड़ाधड़ नौकरी के नोटिफिकेशन जारी होने लगे, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में इतना अधिक समय लगाया कि एक लाख तो छोड़िए एक हजार को भी सरकारी नौकरी नसीब नहीं हुई. युवाओं का कहना है कि अब इस बार एक लाख नौकरी का वादा इसलिए झूठा लगता है कि अब तक सरकार ने कर्मचारी चयन मंडल का फिक्स परीक्षा कैलेंडर जारी नही किया है, ताकि पता चल सके कि तय समय में परीक्षा और चयन प्रक्रिया पूरी हो पाएगी.
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पहले आरक्षण और अब ओवरएज की समस्या : मध्यप्रदेश में रोजगार को लेकर लगातार उलझन बढ़ गई है. क्योंकि आरक्षण के बाद ओवरएज एक बड़ी समस्या बन चुकी है. उदाहरण के लिए जब भी कोई भर्ती का नोटिफिकेशन जारी होता है तो युवा पद बढ़ाने की मांग करने लगते हैं. दिसंबर 2022 में सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी (एवीएफओं) की परीक्षा संपन्न हुई थी, जिसके बाद छात्र पदों में वृद्धि की मांग कर रहे हैं. दरअसल, कोविड के दौरान परीक्षाएं नही हुईं और अधिकतर युवा ओवरएज हो गए. ऐसे में कई परीक्षाओं से बाहर हो गए. इस मामले में शिवराज सरकार ने उम्र बढ़ाने की बात तो की लेकिन कोई नोटिफिकेशन अब तक जारी नहीं हुआ. इस बार के बजट में युवाओं के लिए मुख्यमंत्री कौशल एप्रेंटिसशिप योजना के लिए 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया. है स्वरोजगार योजनाओं में 46 लाख 58 हजार आवेदकों को बैंकों के माध्यम से 30 हजार 800 करोड़ से अधिक के बैंक ऋण देने का दावा किया गया है. स्किल पार्क में हर साल 6000 युवाओं को स्किल ट्रेनिंग दी जाएगी. वर्ष 2022-23 में 432 रोजगार मेलों का आयोजन किया गया. इनमें 40 हजार 45 आवेदकों को ऑफर लेटर दिए गए.