भोपाल। भ्रष्टाचार को लेकर चल रहे पोस्टर वॉर के बीच राज्य सरकार ने तीन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ ब्लैक मनी के मामले में विभागीय जांच के आदेश दिए हैं. 1991 बैच के आईपीएस बी मधु कुमार, 1989 बैच के संजय माने और सुशोभन बैनजी के खिलाफ जांच की जिम्मेदारी रिटायर्ड जस्टिस वीरेन्द्र सिंह को सौंपी गई है. जिन अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं. उनमें से दो आईपीएस मधु कुमार और संजय माने पहले ही रिटायर्ड हो गए हैं. यह पहला मामला होगा, जब आईपीएस अधिकारियों की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस से कराई जा रही हो.
ढाई साल बाद हुए जांच के आदेश: दरअसल पूरा मामला कमलनाथ सरकार के दौरान पड़े आयकर छापों से जुड़ा है. आयकर विभाग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के सलाहकार राजेन्द्र मिगलानी, रिश्तेदार रतुल पुरी की कंपनी मोजर बियर और उनसे जुड़े लोगों, ओएसडी प्रवीण कक्कड़, इंदौर के हवाला कारोपी ललित छजलानी, कांट्रेक्टर अश्विनी शर्मा, प्रतीक जोशी और हिमांशु शर्मा पर आयकर विभाग ने छापामार कार्रवाई की थी. कार्रवाई के दौरान करोड़ों के ट्रांजेक्शन और करीबन 4 करोड़ की नगदी बरामद हुई थी. बताया जाता है कि आयकर विभाग की जांच में सामने आया था कि पुलिस अधिकारियों ने अपनी गाड़ियों से पैसों का मूवमेंट किया था. इस मामले में सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर दिसंबर 2020 में भारत निर्वाचन आयोग ने आईपीएस अधिकारी सुशोभन बैनर्जी, संजय माने, बी मधुकुमार के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध करने के आदेश दिए थे. आयोग की रिपोर्ट मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव तक पहुंची, लेकिन इसके बाद मामले में आगे की कार्रवाई में ढाई साल का वक्त लग गया.
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क्या जांच का सियासी एंगल भी है: जांच के आदेश की टाइमिंग को लेकर इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. यह आदेश उस वक्त निकला है, जब प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर पोस्टर वॉर छिड़ा हुआ है. कांग्रेस सीधे इन आरोपों को लेकर सीएम शिवराज को निशाना बना रही है. उधर पूर्व मुख्यमंत्री को ऐसे किसी मामले में कांग्रेस कटघरे में मजबूरी से खड़ा नहीं कर पा रही.