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MP के उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा- एकलव्य थे 'ओपन यूनिवर्सिटी' के विद्यार्थी, भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने किया शार्ट टर्म कोर्स - भोपाल में एमपी भोज ओपन यूनिवर्सिटी कांफ्रेंस

भोपाल में मप्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया है. जिसमें प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, असम राज्य मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद दास समेत की वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.

MP Bhoj Open University
एमपी भोज मुक्त विश्वविद्यालय
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Published : Apr 29, 2023, 10:58 PM IST

भोपाल। एमपी में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने और उसे विद्यार्थी-परक बनाने में दूरस्थ शिक्षा प्रणाली प्रभावी साधन बन सकती है. यह आरक्षित वर्ग और महिलाओं को मुख्यधारा में शामिल करने में भी निर्णायक साबित होगी. दूरस्थ शिक्षा के विस्तार में भाषा बाधक न बने इसलिए क्षेत्रीय भाषाओं में डिस्टेंस लर्निंग के स्मार्ट टूल्स विकसित किया जाना चाहिए. यह बात राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कही. राज्यपाल प्रशासन अकादमी में मप्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा 'इंप्लीमेंटेशन आफ नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020: एप्रोचेस, ऑपर्च्युनिटीज एंड चैलेंजेस फॉर ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग एजुटेशनल इंस्टीट्यूट्स' विषय पर आयोजित दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस के शुभारम्भ सत्र को संबोधित कर रहे थे.

राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि डिस्टेंस एजुकेशन में पुस्तकों, अभ्यास सामग्री की डिजिटल उपलब्धता को विस्तारित किया जाना चाहिए. इस प्रणाली को यूजर-फ्रेंडली बनाने के लिए शोध और अनुसंधान किया जाना चाहिए. आवश्यकता यह भी है कि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली को छात्र हितकारी बनाया जाए. पाठ्यक्रम रोजगार मूलक और ज्ञान सम्पन्न करने वाले होना चाहिए.

एकलव्य थे ओपन यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी: उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि पांच हजार वर्षों का इतिहास देखें तो भारत में ओपन यूनिवर्सिटी रही है. हम कह सकते है कि एकलव्य, ओपन यूनिवर्सिटी के ही विद्यार्थी थे, जिन्होंने अपनी प्रतिभा, विद्या के बल पर विशिष्ट पहचान बनाई. भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने भी 64 दिनों के शार्ट टर्म कोर्स में 64 कला, 14 विद्या प्राप्त की और भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमदभागवत का ज्ञान दिया. उन्होंने कहा कि मप्र उच्च शिक्षा विभाग ने सीमित संसाधनों के बावजूद कोविड के कठिन काल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए कदम बढ़ाया. गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने में भोज मुक्त विश्वविद्यालय की भी प्रमुख भूमिका है. उन्होंने कहा कि इग्नू की तरह भोज विश्वविद्यालय भी उच्च शिक्षा के लिए चैनल प्रारंभ करें.

लाखों छात्र ले रहे शिक्षा: कार्यक्रम के सारस्वत वक्ता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 सभी के लिए एक बड़ा अवसर है. दूरस्थ शिक्षा छात्र केन्द्रित है. भारत में 1100 पारंपरिक विश्वविद्यालयों और 40 हजार से अधिक महाविद्यालयों में 1.35 करोड़ विद्यार्थी उच्च शिक्षा मंह अध्ययनरत है जबकि 19 लाख अर्थात 11 प्रतिशत विद्यार्थी ओपन यूनिवर्सिटीज के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर रहे है.

पारंपरिक शिक्षा पद्धति की अपनी सीमाएं: प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति के अध्यक्ष प्रो रविंद्र कान्हरे ने आह्वान किया कि जिस प्रकार अन्य राज्यों में दूरस्थ शिक्षा के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है उसी प्रकार मध्यप्रदेश में भी दूरस्थ शिक्षा के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करने पर विचार किया जाना चाहिए. असम राज्य मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद दास ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात के लक्ष्य को केवल पारंपरिक शिक्षा पद्धति द्वारा नहीं पूरा किया जा सकता. इसकी अपनी सीमाएं हैं.

दो दिवसीय कांफ्रेंस का पहला दिन: कांफ्रेंस के पहले दिन दो तकनीकी सत्र हुए, जिनमें दूरस्थ शिक्षा से संबंधित शिक्षाविदों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए.पहले सत्र की अध्यक्षता डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद की कुलपति प्रो अमी उपाध्याय ने की. इस सत्र में पांच शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए. दूसरे सत्र की अध्यक्षता मप्र लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो एसपी गौतम ने की. इस सत्र में चार विशेषज्ञों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और विस्तृत विचार विमर्श किया.

भोपाल। एमपी में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने और उसे विद्यार्थी-परक बनाने में दूरस्थ शिक्षा प्रणाली प्रभावी साधन बन सकती है. यह आरक्षित वर्ग और महिलाओं को मुख्यधारा में शामिल करने में भी निर्णायक साबित होगी. दूरस्थ शिक्षा के विस्तार में भाषा बाधक न बने इसलिए क्षेत्रीय भाषाओं में डिस्टेंस लर्निंग के स्मार्ट टूल्स विकसित किया जाना चाहिए. यह बात राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कही. राज्यपाल प्रशासन अकादमी में मप्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा 'इंप्लीमेंटेशन आफ नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020: एप्रोचेस, ऑपर्च्युनिटीज एंड चैलेंजेस फॉर ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग एजुटेशनल इंस्टीट्यूट्स' विषय पर आयोजित दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस के शुभारम्भ सत्र को संबोधित कर रहे थे.

राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि डिस्टेंस एजुकेशन में पुस्तकों, अभ्यास सामग्री की डिजिटल उपलब्धता को विस्तारित किया जाना चाहिए. इस प्रणाली को यूजर-फ्रेंडली बनाने के लिए शोध और अनुसंधान किया जाना चाहिए. आवश्यकता यह भी है कि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली को छात्र हितकारी बनाया जाए. पाठ्यक्रम रोजगार मूलक और ज्ञान सम्पन्न करने वाले होना चाहिए.

एकलव्य थे ओपन यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी: उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि पांच हजार वर्षों का इतिहास देखें तो भारत में ओपन यूनिवर्सिटी रही है. हम कह सकते है कि एकलव्य, ओपन यूनिवर्सिटी के ही विद्यार्थी थे, जिन्होंने अपनी प्रतिभा, विद्या के बल पर विशिष्ट पहचान बनाई. भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने भी 64 दिनों के शार्ट टर्म कोर्स में 64 कला, 14 विद्या प्राप्त की और भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमदभागवत का ज्ञान दिया. उन्होंने कहा कि मप्र उच्च शिक्षा विभाग ने सीमित संसाधनों के बावजूद कोविड के कठिन काल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए कदम बढ़ाया. गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने में भोज मुक्त विश्वविद्यालय की भी प्रमुख भूमिका है. उन्होंने कहा कि इग्नू की तरह भोज विश्वविद्यालय भी उच्च शिक्षा के लिए चैनल प्रारंभ करें.

लाखों छात्र ले रहे शिक्षा: कार्यक्रम के सारस्वत वक्ता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 सभी के लिए एक बड़ा अवसर है. दूरस्थ शिक्षा छात्र केन्द्रित है. भारत में 1100 पारंपरिक विश्वविद्यालयों और 40 हजार से अधिक महाविद्यालयों में 1.35 करोड़ विद्यार्थी उच्च शिक्षा मंह अध्ययनरत है जबकि 19 लाख अर्थात 11 प्रतिशत विद्यार्थी ओपन यूनिवर्सिटीज के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर रहे है.

पारंपरिक शिक्षा पद्धति की अपनी सीमाएं: प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति के अध्यक्ष प्रो रविंद्र कान्हरे ने आह्वान किया कि जिस प्रकार अन्य राज्यों में दूरस्थ शिक्षा के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है उसी प्रकार मध्यप्रदेश में भी दूरस्थ शिक्षा के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करने पर विचार किया जाना चाहिए. असम राज्य मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद दास ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात के लक्ष्य को केवल पारंपरिक शिक्षा पद्धति द्वारा नहीं पूरा किया जा सकता. इसकी अपनी सीमाएं हैं.

दो दिवसीय कांफ्रेंस का पहला दिन: कांफ्रेंस के पहले दिन दो तकनीकी सत्र हुए, जिनमें दूरस्थ शिक्षा से संबंधित शिक्षाविदों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए.पहले सत्र की अध्यक्षता डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद की कुलपति प्रो अमी उपाध्याय ने की. इस सत्र में पांच शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए. दूसरे सत्र की अध्यक्षता मप्र लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो एसपी गौतम ने की. इस सत्र में चार विशेषज्ञों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और विस्तृत विचार विमर्श किया.

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