भोपाल। विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर जमकर हंगामा हुआ. शून्यकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि, विपक्ष द्वारा अध्यक्ष के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं हुई है, जबकि निर्धारित समय सीमा पूरी हो गई. विधानसभा अध्यक्ष ने नियमों का उल्लेख करते हुए कहा कि, विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं संकल्प लाया जाता है. फिर भी यदि अध्यक्ष के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया है तो इस पर 27 मार्च को चर्चा की जाएगी. मगर इस बीच विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. जाहिर है इसके बाद किसी भी किस्म की चर्चा का सवाल ही नहीं बनता. ऐसे में यह प्रस्ताव खुद-ब-खुद खारिज हो गया.
सत्ता पक्ष ने जताई आपत्ति: विपक्ष के प्रस्ताव और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा चर्चा के लिए 27 मार्च की तारीख रखे जाने पर संसदीय कार्यमंत्री ने कड़ी आपत्ति जताई. संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि, सदन हमेशा नियम प्रक्रिया और परंपराओं के हिसाब से चलता है. नियमों में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का उल्लेख ही नहीं है, बल्कि संकल्प लाया जाता है. सदन में इस तरह की गलत परंपरा शुरू नहीं की जा सकती. मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि, संविधान और नियम कानून के ऊपर न हम हैं न आप हैं. सदन में कोई गलत परिपाटी नहीं बननी चाहिए. हम नियम कायदों को ताक पर नहीं रख सकते. विधानसभा अध्यक्ष ने चर्चा के संबंध में जो निर्णय लिया है वह उदारता में लिया है, लेकिन इससे गलत परंपरा शुरू होगी.
विधानसभा में प्रस्ताव ऐसे गिरा: हंगामे के बीच नेता प्रतिपक्ष संसदीय कार्यमंत्री के तर्कों से सहमत नजर आए. इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि, उन्होंने नियम न होते हुए भी इसलिए इसे स्वीकार किया था, ताकि सदन के अध्यक्ष पद की कुर्सी पर किसी तरह का दाग न लगे. सत्ता पक्ष और विपक्ष जिस बात पर सहमत होंगे उस पर आगामी कार्रवाई की जाएगी. मगर इस बीच विधानसभा स्थगित हो गई जो तयशुदा वक्त से 6 दिन पहले है. स्पीकर ने प्रस्ताव को लेकर जो बीजेपी के द्वारा पेश किया गया था उस पर हां और ना कराया गया. जाहिर तौर पर भाजपा का प्रस्ताव बहुमत के आधार पर पास हो गया और विपक्ष की एक ना चली, ऐसे में कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने विधानसभा के सदन से वॉकआउट किया.