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MP Assembly Election 2023: BJP में उम्र का क्राइटेरिया क्यों फेल, बुजुर्ग नेताओं को चुनाव की कमान, युवा चेहरों पर क्यों नहीं भरोसा - युवा चेहरों पर क्यों नहीं भरोसा

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के लिए बीजेपी नित नई रणनीति बना रही है. बीजेपी बातें भले ही युवाओं को आगे लाने की करे लेकिन विधानसभा चुनाव जीतने का जिम्मा बुजुर्गों को मिला है. बीजेपी को लगता है कि ये बुजुर्ग नेता अनुभवी हैं. इसलिए अंतर्कलह व बगावत पर बुजुर्ग चेहरे लगाम लगा सकते हैं. वहीं, गुजरात फॉर्मूला मध्यप्रदेश में लागू करने से भी बीजेपी ने कदम पीछे खींच लिए हैं.

MP Assembly Election 2023
BJP में उम्र का क्राइटेरिया फेल, बुजुर्ग नेताओं को चुनाव की कमान
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Published : Aug 8, 2023, 7:22 AM IST

भोपाल। बीजेपी ने जिस तरह पार्टी की चुनावी कमान अनुभवी चेहरों को सौंप रखी है. इससे ये साफ है कि पार्टी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 जीतने के लिए बुजुर्ग नेताओं के सहारे है. पार्टी में उम्र का क्राइटेरिया ताक पर दिख रहा है. उम्र के क्राइटेरिया को लेकर पार्टी नेता अलग -अलग बयान पहले भी देते रहे और अब भी दे रहे हैं. पार्टी में बुजुर्गों को प्राथमिकता दी जा रही, जबकि युवाओं को तवज्जो नहीं मिल रही. इसको लेकर बीजेपी महामंत्री भगवानदास सबनानी का कहना है कि हमारी पार्टी कैडर बेस्ड है. यहां पर कब, किसे, कौन सी जिम्मेदारी दी जाती है, ये सब बैठकर तय होता है.

गुजरात फॉर्मूला पर एमपी में सस्पेंस : सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने बड़े स्तर पर टिकट काटे तो इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है. बीजेपी की सर्वे रिपोर्ट में पार्टी को नुकसान उनके नेताओं की बगावत से होगा. लिहाजा पार्टी इतना बड़ा खतरा मोल नहीं लेगी. बीजेपी में कई दिग्गज ऐसे हैं जिनका टिकट काटा तो आसपास की सीटें भी पार्टी के हाथ से चली जाएंगी. इन समीकरणों को देखते हुए एमपी में सीएम शिवराज सिंह लगातार चुनावी जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. दिन-रात पसीना बहा रहे हैं. दूसरी तरफ गुजरात पैटर्न पर चुनाव के टिकट पर नेताओं ने हामी नहीं भरी है. 2018 के चुनाव में पार्टी ने 5 मंत्रियों के टिकट काटे थे. जबकि सिटी 55 सिटिंग एएमएलए के टिकट काटे थे.

65 प्लस वाले नेताओं को जिम्मा : केंद्रीय चुनाव समिति का प्रमुख नरेंद्र सिंह तोमर को बनाया है. उनकी उम्र 65 प्लस है. कैलाश विजयवर्गीय की उम्र भी करीब 67 साल है. जयंत मलैया की उम्र 75 के करीब है. प्रह्लाद पटेल, रामपाल सिंह भी 60 प्लस हैं. वहीं प्रभात झा बुजुर्ग चेहरा हैं, इनको चुनाव समिति में इसलिए तवज्जो दी गई है कि इनका अनुभव पार्टी को मिले. फौरी तौर पर नजर डालें तो चुनावी कमान युवाओं को नहीं सौंपी है. बल्कि पार्टी ने बुजुर्ग चेहरों पर भरोसा जताया है.

अमित शाह के हाथ में चुनाव की कमान : केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 2018 में भी प्रदेश में लगातार बैठकें की और सभाएं भी. लेकिन उनका जादू भी नहीं चला था. कांग्रेस सत्ता में आ गई. अब 2018 की गलतियां बीजेपी नहीं दोहराना चाहती. अमित शाह 2 बार भोपाल दौरा और 1 बार इंदौर में कार्यकर्ता सम्मेलन में शिरकत कर चुके हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, नरेंद्र सिंह तोमर सहित प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों को अमित शाह ने दिल्ली तलब किया और चुनावी रिपोर्ट ली. आने वाले कार्यक्रमों के बारे में भी जानकारी ली और कमजोर सीटों को कैसे जीतेंगे, इस पर पार्टी के दिग्गजों ने चर्चा की.

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कार्यकर्ता सम्मेलन पर जोर : केंद्रीय हाईकमान ने नेताओं को हर विधानसभा में कार्यकर्ता सम्मेलन करने के निर्देश दिए हैं. भारतीय जनता पार्टी प्रदेश के 230 विधानसभाओं में विधानसभा कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन कर रही है. केन्द्रीय मंत्री व प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेन्द्र सिंह पूरे प्रदेश में कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा भी पन्ना, रीवा जिले के कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल हुए. पार्टी नेता प्रभात झा ने देवास और उज्जैन दक्षिण विधानसभा के कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया. केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने मण्डला विधानसभा में कार्यकर्ताओ को संबोधित किया. वहीं प्रह्लाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय भी कार्यकर्ता सम्मेलन कर जोश भर रहे हैं.

भोपाल। बीजेपी ने जिस तरह पार्टी की चुनावी कमान अनुभवी चेहरों को सौंप रखी है. इससे ये साफ है कि पार्टी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 जीतने के लिए बुजुर्ग नेताओं के सहारे है. पार्टी में उम्र का क्राइटेरिया ताक पर दिख रहा है. उम्र के क्राइटेरिया को लेकर पार्टी नेता अलग -अलग बयान पहले भी देते रहे और अब भी दे रहे हैं. पार्टी में बुजुर्गों को प्राथमिकता दी जा रही, जबकि युवाओं को तवज्जो नहीं मिल रही. इसको लेकर बीजेपी महामंत्री भगवानदास सबनानी का कहना है कि हमारी पार्टी कैडर बेस्ड है. यहां पर कब, किसे, कौन सी जिम्मेदारी दी जाती है, ये सब बैठकर तय होता है.

गुजरात फॉर्मूला पर एमपी में सस्पेंस : सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने बड़े स्तर पर टिकट काटे तो इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है. बीजेपी की सर्वे रिपोर्ट में पार्टी को नुकसान उनके नेताओं की बगावत से होगा. लिहाजा पार्टी इतना बड़ा खतरा मोल नहीं लेगी. बीजेपी में कई दिग्गज ऐसे हैं जिनका टिकट काटा तो आसपास की सीटें भी पार्टी के हाथ से चली जाएंगी. इन समीकरणों को देखते हुए एमपी में सीएम शिवराज सिंह लगातार चुनावी जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. दिन-रात पसीना बहा रहे हैं. दूसरी तरफ गुजरात पैटर्न पर चुनाव के टिकट पर नेताओं ने हामी नहीं भरी है. 2018 के चुनाव में पार्टी ने 5 मंत्रियों के टिकट काटे थे. जबकि सिटी 55 सिटिंग एएमएलए के टिकट काटे थे.

65 प्लस वाले नेताओं को जिम्मा : केंद्रीय चुनाव समिति का प्रमुख नरेंद्र सिंह तोमर को बनाया है. उनकी उम्र 65 प्लस है. कैलाश विजयवर्गीय की उम्र भी करीब 67 साल है. जयंत मलैया की उम्र 75 के करीब है. प्रह्लाद पटेल, रामपाल सिंह भी 60 प्लस हैं. वहीं प्रभात झा बुजुर्ग चेहरा हैं, इनको चुनाव समिति में इसलिए तवज्जो दी गई है कि इनका अनुभव पार्टी को मिले. फौरी तौर पर नजर डालें तो चुनावी कमान युवाओं को नहीं सौंपी है. बल्कि पार्टी ने बुजुर्ग चेहरों पर भरोसा जताया है.

अमित शाह के हाथ में चुनाव की कमान : केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 2018 में भी प्रदेश में लगातार बैठकें की और सभाएं भी. लेकिन उनका जादू भी नहीं चला था. कांग्रेस सत्ता में आ गई. अब 2018 की गलतियां बीजेपी नहीं दोहराना चाहती. अमित शाह 2 बार भोपाल दौरा और 1 बार इंदौर में कार्यकर्ता सम्मेलन में शिरकत कर चुके हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, नरेंद्र सिंह तोमर सहित प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों को अमित शाह ने दिल्ली तलब किया और चुनावी रिपोर्ट ली. आने वाले कार्यक्रमों के बारे में भी जानकारी ली और कमजोर सीटों को कैसे जीतेंगे, इस पर पार्टी के दिग्गजों ने चर्चा की.

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