भोपाल। इधर झपकी लगी और उधर सत्ता हाथ से निकल गई...ये फ्लाईट छूट जाने जैसा मामला कतई नहीं है...लेकिन क्या वाकई एमपी में एक राजनेता की मुख्यमंत्री की कुर्सी सिर्फ इसलिए जाती रही कि उनकी बात-बात पर झपकी लग जाती थी...क्या था ये नींद का वाकया...बीमारी थी या कुछ और..... संत की तरह सियासत में रहे कैलाश जोशी क्या किसी दबाव में गुजर रहे थे... बेटे दीपक जोशी का खुलासा भी सुनिए उनके पिता जनसंघ की किस साजिश का शिकार हुए थे.
जब कैलाश जोशी को नींद की बीमारी ने घेरा: एमपी में बीजेपी की राजनीति के संत कहे जाने वाले कैलाश जोशी. जिन्हें करीब 200 दिन की सत्ता में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था और इस्तीफे की वजह दलबदल का झटका नहीं...नींद थी, जो वक्त बेवक्त उन्हें आ घेरती थी. बताते हैं कि जोशी जी को एक ऐसी बीमारी थी, जिसकी वजह से उन्हें नींद बहुत आती थी. 1977 का वो बरस था, जब कैलाश जोशी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. लेकिन हैरत की बात ये हुई कि मुख्यमंत्री बनने से पहले 18 घंटे तक काम करने वाले कैलाश जोशी को नींद की बीमारी ने घेर लिया.
पूर्व सीएम के बेटे ने किया खुलासा: 24 जून 1977 को कैलाश जोशी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हैं, लेकिन सत्ता में ज्यादा दिन नहीं रह पाते...क्या नींद की बीमारी ही उनकी कुर्सी ले गई. कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी ने बड़ा खुलासा किया और बताया कि जनसंघ नहीं चाहता था कि वे सीएम की कुर्सी पर रहें. 2003 में कैलाश जोशी के प्रदेश अध्यक्ष रहते ही एमपी में दस साल के दिग्विजय सिंह शासन काल के बाद बीजेपी सत्ता में आई थी. हैरत की बात ये कि 1977 में चर्चा में आई कैलाश जोशी की नींद की बीमारी का 2003 तक आते-आते नामोनिशान मिट गया. 2004 से 2014 तक लगातार दस साल जोशी भोपाल से सांसद भी रहे.