भोपाल। एमपी में इन दिनों चुनावी महाकुंभ चल रहा है. ऐसे में बीजेपी जनता और दूसरी पार्टियों को चौंकाने का कोई मौका छोड़ नहीं रही है. पहले तो चुनाव आयोग की तारीखों के ऐलान से पहले पार्टी ने सबसे पहले लिस्ट जारी कर दी. वहीं इसके बाद बीजेपी एक बार फिर दूसरी लिस्ट जारी कर सभी को चौंकाया. जहां पार्टी ने तीन केंद्रीय मंत्री सहित 7 सांसदों को टिकट देकर मैदान में उतारा. वहीं अब सूत्र बता रहे हैं कि मौजूदा 7 से 9 सांसदों को और मैदान में उतारा जा सकता है. प्रदेश के करीब 6 मंत्रियों को भी पार्टी बाय-बाय करने के मूड में है.
वीडी शर्मा को मिल सकता है टिकट: दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद प्रदेश के सांसदों की धड़कने और बढ़ने वाली है. सूत्रों की माने तो 7 से 9 सांसद ऐसे हैं. जिनका रिपोर्ट कार्ड और छवि बहुत अच्छी है. उन्हें पार्टी अगली लिस्ट में शामिल कर सकती है. संभावना ये जताई जा रही है कि पार्टी इन्हें उनके संसदीय क्षेत्र से उतार सकती है. वर्तमान में एमपी में बीजेपी के 29 में से 28 सांसद हैं. सांसदो के कार्यक्षेत्र में 7 से 8 विधानसभा आती है. वीडी शर्मा पहले भी विधानसभा टिकट की कोशिश कर चुके हैं. ऐसे में उन्हें भी विधानसभा का टिकट दिया जा सकता है. इन्हें पार्टी इनके संसदीय क्षेत्र से उतार सकती है.
हिमाद्री सिंह को भी चुनावी मैदान में उतार सकती है पार्टी: इसके अलावा हिमाद्री सिंह इनका संसदीय क्षेत्र शहडोल है, लेकिन यहां की पुष्पराजगढ़ सीट जो पिछले दो चुनाव से कांग्रेस जीतती आ रही है. यहां बीजेपी को जीत के लिए कैंडिडेट की तलाश है. वहीं बालाघाट जिले की विधानसभा सीटों पर भी बीजेपी की नजर है. यहां भी बैहर, लांजी, वारासिवनी ऐसी विधानसभा सीट है. जहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. बैहर और लांजी वो सीटें हैं, जो की कांग्रेस दो चुनावों से जीतती आ रही है. यहां से सांसद ढाल सिंह बिसेन हैं. इनका यहां पर वर्चस्व है.
कांग्रेस की मजबूत सीट पर सेंध लगाने सांसदों पर दांव: धार से भी सांसद को मैदान में उतारा जा सकता है. सांसद छत्तर सिंह दरबार को विधानसभा का टिकट दिया जा सकता है. धार जिला भले ही आदिवासी बाहुल्य हो, लेकिन यहां पर कांग्रेस के विधायक ज्यादा हैं. इस गढ़ को भेदने पार्टी यहां से सांसद को उतार सकती है. केपी यादव जिन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराया था, पार्टी इन्हें भी टिकट दे सकती है. वहीं स्वच्छ छवि वाले केंद्रीय मंत्री व सांसद वीरेंद्र खटीक जो कि दलित चेहरा भी हैं, इन्हें उनके संसदीय क्षेत्र की विधानसभा से उतारा जा सकता है. रोडमल नागर जो कि राजगढ़ से सांसद हैं. ये जिला दिग्विजय सिंह की पकड़ वाला जिला है. यहां से बीजेपी इनको विधानसभा टिकट दे सकती है. यहां भी कांग्रेस को किले को भेदने की तैयारी है, लेकिन सांसदों को कांग्रेस की मजबूत सीट पर उतारा जा सकता है.
सांसद संध्या राय भी बन सकती हैं प्रत्याशी: भिंड से महिला सांसद संध्या राय को भी पार्टी लोकसभा के बजाय विधानसभा में लड़ा सकती है. ग्वालियर चंबल में मचे घमासान के चलते पार्टी भिंड जिले की किसी भी विधानसभा से महिला कैंडिडेट उतार सकती है.
कई मंत्रियों के कटेंगे टिकट: सूत्रों के मुताबिक करीब आधा दर्जन मंत्रियों के टिकट भी कट सकते हैं. पार्टी ने प्रदेश और केंद्रीय स्तर पर मंत्रियों का सर्वे कराया है. जो रिपोर्ट है, वो ठीक नही हैं. ऐसे में अगली लिस्ट में कई मंत्रियों को करंट लग सकता है. पिछले 2018 के चुनावों में बीजेपी सरकार के दस मंत्री हारे थे.
परिवारवाद और उम्र के क्राइटेरिया पर फिलहाल पार्टी का लगा ब्रेक: दो सूचियों में बीजेपी ने परिवादवाद और उम्र के क्राइटेरिया को सॉफ्ट किया है. पार्टी 2018 की गलती नहीं दोहराना चाहती है. लिहाजा पूरे चुनाव की कमान अमित शाह और मोदी ने अपने हाथों में रखी है. पार्टी को लगता है कि बीजेपी लगातार घोषणाएं कर रही है. सभी को खुश करने की कोशिश में जमकर मुफ्त रेवड़ियां बांटी जा रही हैं. इससे वो फिर से सरकार बना सकती है.
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मोदी के चेहरे पर पार्टी लड़ रही है चुनाव: इस बार फिर से भाजपा सरकार के नारे के साथ बीजेपी मैदान में है और चेहरा भी मोदी ही हैं. कार्यकर्ता सम्मेलन में भी एमपी के मन में मोदी और मोदी के मन में एमपी को बताया गया. कार्यकर्ताओं के बीच ये थीम सॉन्ग बार-बार बज रहा है. अभी बीजेपी तीन सूचियां जारी कर चुकी है. जिसमें 79 नेताओं को मैदान में उतारा जा चुका है. इस सूची में केंद्रीय मंत्री और सांसदों को भी उतारा गया है.
बीजेपी ने एमपी में 103 सीटों को आकांक्षी सीट माना है: यह वह सीटें हैं, जिनमें पार्टी को पिछली बार हार मिली थी. इनकी संख्या 103 है. अब इन सीटों के हर बूथ में 51 प्रतिशत वोट पाने के लिए पार्टी ने रणनीति तैयार की है. इसमें कार्यकर्ताओं को साधने से लेकर मतदाताओं को रिझाने तक विशेष योजना है.