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MP अजब है गजब है ... शराब को बढ़ावा देने के साथ ही अब नशाबंदी के लिए चलेगी मुहिम - मध्यप्रदेश में शराब से आय

मध्यप्रदेश वाकई में अजब है और गजब है. एक तरफ शिवराज सरकार शराब पर मिल रहे टैक्स से उत्साहित होकर शराब सस्ती कर रही है. यानी शराब को बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर, प्रदेश में नशाबंदी के लिए सामाजिक आंदोलन चलाने की तैयारी कर रही है. नशाबंदी के लिए बाकायदा 10 करोड़ का बजट रखा गया है. (Campaign for prohibition in MP) (Liquor promoting in MP)

Campaign for prohibition in MP
शराब को बढ़ावा देने के साथ ही अब नशाबंदी
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Published : Apr 4, 2022, 5:38 PM IST

भोपाल। प्रदेश में शराबबंदी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती द्वारा लगातार उठाए जा रहे सवालों के बीच सरकार अब नशाबंदी के लिए सामाजिक आंदोलन चलाएगी. इसके लिए सामाजिक न्याय विभाग को नशामुक्ति के लिए जनजागरण अभियान चलाने के लिए दस करोड़ रुपए का बजट दिया गया है. हालांकि सरकार को इस साल आबकारी विभाग से करीब 10 हजार करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. इस मुकाबले शराब बंदी को लेकर जनजागरूता को लेकर बहुत ज्यादा प्रयास नहीं किए गए. पिछले साल विभाग को सिर्फ 73 लाख रुपए का बजट मिला था. जाहिर है उमा भारती की शराबबंदी की मांग पर सरकार जगजागरण अभियान तो चलाएगी, लेकिन शराबबंदी जैसा कोई कदम नहीं उठाएगी.

नशाबंदी के लिए बजट काफी कम : प्रदेश सरकार द्वारा शराबबंदी के लिए जनजागरण की बात कई बार उठ चुकी है, लेकिन इसको लेकर जो बजट दिया गया, वह ऊंट के मुंह में जीरा समान रहा है. पिछले तीन सालों में सामाजिक न्याय विभाग को नशाबंदी के लिए मुश्किल से एक करोड़ रुपए ही मिले। हालांकि पिछले कुछ समय से उमा भारती द्वारा लगातार शराबबंदी को लेकर सवाल उठाए जाने का असर इस बार सामाजिक न्याय विभाग को मिले बजट पर दिखाई दिया है. इस बार सामाजिक न्याय विभाग को दस करोड़ रुपए का बजट दिया गया है. साल 2019-20 में नशाबंदी कार्यक्रम के लिए 72.79 लाख रुपए का बजट आवंटित किया गया था. साल 2020-21 में नशाबंदी कार्यक्रम के लिए 73 लाख रुपए का बजट आवंटित किया गया था. साल 2021-22 में नषाबंदी कार्यक्रम के लिए 73 लाख रुपए का बजट आवंटित किया गया था. और अब साल 2022-23 में नशाबंदी कार्यक्रम के लिए 10 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है.

आबकारी विभाग का राजस्व बढ़ रहा : राज्य सरकार ने जनजागरण को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई वहीं, प्रदेश में आबकारी विभाग से सरकार के राजस्व में हर साल बढोत्तरी हुई. लोगों को शराब से मुक्ति के लिए अभियान के नाम पर नाममात्र की राशि ही दी गई. पिछले चार सालों की स्थिति देखें तो प्रदेश को इस साल ही आबकारी को करीब 10 हजार करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो पिछले सालों में सबसे ज्यादा है। साल 2020-21 में आबकारी विभाग को 9520 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था. साल 2019-20 में आबकारी विभाग को 10773 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ. साल 2018-19 में आबकारी विभाग को 9506 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ.

महिलाओं ने चेताया, किसी भी कीमत पर शराब दुकान खुलने नहीं देंगे, आबकारी विभाग और पुलिस के सामने दुकान में जड़ा ताला

शराबबंदी को लेकर सरकार तैयार नहीं

पूर्व सीएम उमा भारती शराबबंदी को लेकर तीखा हमला कर रही हैं. हाल में उमाभारती ने यहां तक कह दिया था कि वह शराबबंदी को लेकर शर्मिंदा हैं. इससे पहले उमाभारती शराबबंदी की मांग को लेकर भोपाल में शराब की एक दुकान में पत्थर चला चुकी हैं. वे लगातार शिवराज सरकार को शराबबंदी की मांग को लेकर परेशानी में डाल रही हैं. हालांकि उमाभारती की शराबबंदी की मांग के पीछे उनकी छटपटाहट ज्यादा दिख रही है. वह राजनीति में फिर से अपना वजूद स्थापित करना चाहती हैं. वहीं शराबबंदी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साफ कर चुके हैं कि यह इतना आसान होता तो बहुत पहले हो चुकी होती. जाहिर है, सरकार अपनी मंशा साफ कर चुकी है कि प्रदेश में शराब बंदी नहीं होगी. (Campaign for prohibition in MP) (Liquor promoting in MP)

भोपाल। प्रदेश में शराबबंदी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती द्वारा लगातार उठाए जा रहे सवालों के बीच सरकार अब नशाबंदी के लिए सामाजिक आंदोलन चलाएगी. इसके लिए सामाजिक न्याय विभाग को नशामुक्ति के लिए जनजागरण अभियान चलाने के लिए दस करोड़ रुपए का बजट दिया गया है. हालांकि सरकार को इस साल आबकारी विभाग से करीब 10 हजार करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. इस मुकाबले शराब बंदी को लेकर जनजागरूता को लेकर बहुत ज्यादा प्रयास नहीं किए गए. पिछले साल विभाग को सिर्फ 73 लाख रुपए का बजट मिला था. जाहिर है उमा भारती की शराबबंदी की मांग पर सरकार जगजागरण अभियान तो चलाएगी, लेकिन शराबबंदी जैसा कोई कदम नहीं उठाएगी.

नशाबंदी के लिए बजट काफी कम : प्रदेश सरकार द्वारा शराबबंदी के लिए जनजागरण की बात कई बार उठ चुकी है, लेकिन इसको लेकर जो बजट दिया गया, वह ऊंट के मुंह में जीरा समान रहा है. पिछले तीन सालों में सामाजिक न्याय विभाग को नशाबंदी के लिए मुश्किल से एक करोड़ रुपए ही मिले। हालांकि पिछले कुछ समय से उमा भारती द्वारा लगातार शराबबंदी को लेकर सवाल उठाए जाने का असर इस बार सामाजिक न्याय विभाग को मिले बजट पर दिखाई दिया है. इस बार सामाजिक न्याय विभाग को दस करोड़ रुपए का बजट दिया गया है. साल 2019-20 में नशाबंदी कार्यक्रम के लिए 72.79 लाख रुपए का बजट आवंटित किया गया था. साल 2020-21 में नशाबंदी कार्यक्रम के लिए 73 लाख रुपए का बजट आवंटित किया गया था. साल 2021-22 में नषाबंदी कार्यक्रम के लिए 73 लाख रुपए का बजट आवंटित किया गया था. और अब साल 2022-23 में नशाबंदी कार्यक्रम के लिए 10 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है.

आबकारी विभाग का राजस्व बढ़ रहा : राज्य सरकार ने जनजागरण को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई वहीं, प्रदेश में आबकारी विभाग से सरकार के राजस्व में हर साल बढोत्तरी हुई. लोगों को शराब से मुक्ति के लिए अभियान के नाम पर नाममात्र की राशि ही दी गई. पिछले चार सालों की स्थिति देखें तो प्रदेश को इस साल ही आबकारी को करीब 10 हजार करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो पिछले सालों में सबसे ज्यादा है। साल 2020-21 में आबकारी विभाग को 9520 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था. साल 2019-20 में आबकारी विभाग को 10773 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ. साल 2018-19 में आबकारी विभाग को 9506 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ.

महिलाओं ने चेताया, किसी भी कीमत पर शराब दुकान खुलने नहीं देंगे, आबकारी विभाग और पुलिस के सामने दुकान में जड़ा ताला

शराबबंदी को लेकर सरकार तैयार नहीं

पूर्व सीएम उमा भारती शराबबंदी को लेकर तीखा हमला कर रही हैं. हाल में उमाभारती ने यहां तक कह दिया था कि वह शराबबंदी को लेकर शर्मिंदा हैं. इससे पहले उमाभारती शराबबंदी की मांग को लेकर भोपाल में शराब की एक दुकान में पत्थर चला चुकी हैं. वे लगातार शिवराज सरकार को शराबबंदी की मांग को लेकर परेशानी में डाल रही हैं. हालांकि उमाभारती की शराबबंदी की मांग के पीछे उनकी छटपटाहट ज्यादा दिख रही है. वह राजनीति में फिर से अपना वजूद स्थापित करना चाहती हैं. वहीं शराबबंदी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साफ कर चुके हैं कि यह इतना आसान होता तो बहुत पहले हो चुकी होती. जाहिर है, सरकार अपनी मंशा साफ कर चुकी है कि प्रदेश में शराब बंदी नहीं होगी. (Campaign for prohibition in MP) (Liquor promoting in MP)

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