भोपाल। मुख्यमंत्री पद की शपथ के बाद पार्टी आलाकमान ने सीएम मोहन यादव के मंत्रिमंडल की सूची को भी लगभग फाइनल कर दिया है. शपथ ग्रहण समारोह के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश के प्रमुख नेताओं के साथ मंत्रिमंडल को लेकर चर्चा की. पार्टी के सीनियर नेता राज भवन में कार्यक्रम के बाद करीब 1 घंटे तक रुके. माना जा रहा है कि एक-दो दिनों में मंत्रिमंडल के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा. उधर 1 घंटे भोपाल में रुकने के बाद प्रधानमंत्री मोदी छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हो गए.
मोदी शाह के कार्यक्रम में हुआ बदलाव: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में बाद में बदलाव कर दिया गया. प्रधानमंत्री मोदी को पहले 11:00 बजे भोपाल पहुंचकर 11:15 पर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचना था. कार्यक्रम के बाद उन्हें 12:30 बजे भोपाल एयरपोर्ट से रवाना होना था, लेकिन केंद्रीय मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में बाद में बदलाव कर दिया गया. भोपाल में उनके स्टे को 1 घंटे आगे बढ़ा दिया गया. भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम पर शपथ ग्रहण समारोह के बाद प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा राज भवन पहुंचे. जहां वे सभी 1 घंटे तक रुके.
इस दौरान मध्य प्रदेश के नवागत मुख्यमंत्री मोहन यादव भी मौजूद रहे. उनके अलावा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे. बताया जा रहा है कि इस दौरान मोहन यादव की नई कैबिनेट को लेकर भी चर्चा हुई. बताया जा रहा है कि एक-दो दिनों में मंत्रिमंडल के सदस्यों का ऐलान कर दिया जाएगा.
मंत्रिमंडल में अधिकांश नए चेहरों को मिल सकती है जगह: बताया जा रहा है कि मोहन यादव की कैबिनेट में अधिकांश नए चेहरों को ही तरजीह दी जा सकती है. खासतौर से जो 2 से 3 बार चुने जा चुके हैं, लेकिन उन्हें मंत्री बनने का मौका नहीं मिला. ऐसे विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. बताया जा रहा है कि फिलहाल मंत्रिमंडल में करीब 22 विधायकों को ही जगह मिल सकती है. करीब एक माह बाद मंत्रिमंडल में विस्तार किया जाएगा. मंत्रिमंडल में कुछ चौंकाने वाले चेहरे भी हो सकते हैं.
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विधानसभा चुनाव में पार्टी को जबरदस्त बहुमत मिला है. करीब 10 जिलों में सभी सीटे बीजेपी के खाते में आई हैं. इसको देखते हुए मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर विधायकों की अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं. हालांकि सभी क्षेत्र को साधने के लिए लोकसभा बार पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिए जाने की रणनीति बनाई गई है.