भोपाल। राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत किए जा रहे काम और प्रदेश भर में बनाए जा रहे प्रधानमंत्री आवास के प्रोजेक्ट के संबंध में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने समीक्षा बैठक ली.
बैठक के दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अन्य राज्यों का अध्ययन करते हुए प्रदेश की रैकिंग स्वच्छ भारत (शहरी) में सुधारने का काम किया जाए. इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास (शहरी ) के प्रोजेक्ट को रिव्यू करने के निर्देश भी दिए गए. इस बैठक के दौरान प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास नीतीश व्यास, आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास निकुंज श्रीवास्तव समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे हैं.
समीक्षा बैठक के दौरान नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित प्रोजेक्ट में हो रही देरी को लेकर नाराजगी जाहिर की. मंत्री भूपेंद्र सिंह कहा कि अधिकारी अन्य राज्यों में किए जा रहे कार्यों का अध्ययन करें और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जल्द योजना बनाकर उस पर काम करें. इस दौरान उन्होंने स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर भी अधिकारियों से चर्चा की और किए जा रहे कामों की विस्तृत रिपोर्ट भी देने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया.
इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रदेश के शहरों की रैकिंग में सुधार होना चाहिए. वहीं बैठक के दौरान मंत्री भूपेंद्र सिंह ने शहरी क्षेत्रों में शौचालयों की स्थिति की भी जानकारी ली, इस दौरान अधिकारियों ने उन्हें बताया कि स्वच्छ भारत मिशन में 5 लाख 71 हजार व्यक्तिगत शौचालय और 18 हजार सामुदायिक शौचालय बनाए जा चुके हैं. सभी 378 नगरीय निकायों में ओडीएफ प्लस मेंटेन करने के साथ ही इन्हें ओडीएफ प्लस-प्लस में ले जाने का लक्ष्य रखा गया है.
इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास प्रोजेक्ट की समीक्षा करते हुए मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास शहरी के प्रोजेक्ट को रिव्यू किया जाए. इनमें अधोसंरचना विकास के कार्यों की लागत को कम किया जाए. अधोसंरचना विकास के कार्य संबंधित नगरीय निकाय कर सकते हैं.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने कहा कि जिन आवासों के कार्य 80 से 90 प्रतिशत तक पूरे हो गये हैं, पहले उन्हें पूरा किया जाए. वहीं एक मद की राशि दूसरे मद में खर्च नहीं करें, एएचपी और बीएलसी लिए राशि उन्हीं के कार्यों में उपयोग करें . प्रदेश के 374 नगरीय निकायों में बीएलसी 5 लाख 82 हजार 625 आवास स्वीकृत हैं. जिनमें से 1 लाख 94 हजार 214 पूरे हो चुके हैं.