भोपाल। मौजूदा प्रदेश सरकार की नीति से नाराज मध्यप्रदेश के तमाम महापौर राजधानी भोपाल में जुटे. सभी 16 महापौर ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के बंगले पर बैठक की जो करीब 2 घंटे तक चली. इस बैठक में तय किया कि भोपाल में 1 मार्च को धरना दिया जाएगा, वहीं कांग्रेस ने इस पर पलटवार करते हुये कहा है कि नगरीय निकायों में हुए भ्रष्टाचार को दबाने के लिये भाजपा ये सब करवा रही है.
1 मार्च को होने वाले धरने में बीजेपी से जुड़े महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष, पार्षद और सरकार की तरफ से हटाए गए एल्डरमैन शामिल होंगे. भोपाल महापौर और मध्यप्रदेश महापौर परिषद के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार विकास कार्यों के कामों में अड़ंगा लगा रही है. भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधियों को काम नहीं करने दिया जा रहा है. साथी कमिश्नर पर निशाना साधते हुए कहा कि कमिश्नर भी कांग्रेस के प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहे हैं. वहीं पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों को सरकार हटाने की कोशिश कर रही है, उनका सम्मान नहीं किया जा रहा है.
क्या नाराजगी है वजह
गौरतबलब है कि कुछ दिन पहले युवा स्वरोजगार योजना कार्यक्रम के दौरान भोपाल के महापौर आलोक शर्मा को आभार भाषण देना था. लेकिन, उनकी जगह कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद को आभार भाषण देने की इजाजत दी गई, जिससे नाराज महापौर आलोक शर्मा कार्यक्रम से उठ कर चले गए थे. लगातार बीजेपी से जुड़े महापौर और पार्षद आरोप लगा रहे हैं कि उनके काम में प्रदेश सरकार बाधा डाल रही है, जो काम पहले से स्वीकृत हो चुके हैं, उनको भी बंद करवा दिए गए हैं. इन्हीं सब को लेकर बीजेपी से जुड़े जनप्रतिनिधियों में नाराजगी है.
कांग्रेस ने कहा भ्रष्टाचार को दबाने किया जा रहा है ये सब
मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को बने अभी सिर्फ 2 महीने हुए हैं. हमारी सरकार किसी चुनी गई बॉडी या फिर निर्वाचित जनप्रतिनिधि के खिलाफ राजनीतिक द्वेष से कोई काम नहीं करती. लेकिन, प्रदेश के नगरीय निकायों में जो भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतें उन पर पर्दा डालने के लिए भाजपा के जनप्रतिनिधि राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, हमारा साफ कहना है कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर कांग्रेस सरकार जांच जरुर करेगी और उचित कार्रवाई करेगी.