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"Story of Missing Man" के लेखक मंजूर एहतेशाम का कोरोना से निधन

एमपी के भोपाल में सोमवार को पद्मश्री सम्मान प्राप्त मशहूर लेखक और उपन्यासकार मंजूर एहतेशाम का सोमवार को निधन हो गया. पिछले कई वर्षों से वह बीमार चल रहे थे.

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उपन्यासकार मंजूर एहतेशाम
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Published : Apr 26, 2021, 3:23 PM IST

भोपाल। पद्मश्री सम्मान प्राप्त मशहूर लेखक और उपन्यासकार मंजूर एहतेशाम का सोमवार को निधन हो गया. वे पिछले कई वर्षों से बीमार चल रहे थे. कुछ दिन पूर्व कोरोना से संक्रमित होने के बाद राजधानी के पारूल अस्पताल में भर्ती थे. उनके परिवार में दो बेटियां और दामाद हैं.

साल 2003 में पद्मश्री से हुए थे सम्मानित
तीन अप्रैल 1948 को भोपाल में जन्में मंजूर एहतेशाम साहित्य जगत की मशहूर शख्सियत रहे हैं. उन्होंने पांच उपन्यास सहित कई कहानियां और नाटक लिखे हैं. उन्हें साल 2003 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था. इसके अलावा उन्हें भारतीय भाषा परिषद का पुरस्कार, श्रीकांत शर्मा स्मृति सम्मान, नागेश्वरी अवार्ड और पहल सम्मान से नवाजा जा चुका है. पिछले साल दिसम्बर में ही उनकी पत्नी सरवर एहतेशाम का निधन हुआ था. रविन्द्र भवन में कुछ दिन पहले ही उनकी कहानियों पर आधारित नाट्य समारोह भी आयोजित किया गया था.

'सही समय पर ऑक्सीजन मिल जाती तो नहीं होता पंडित राजन मिश्र का निधन'

1973 में आई थी पहली कहानी.
1973 में उनकी पहली कहानी 'रमजान की मौत' प्रकाशित हुई थी. उनका पहला उपन्यास 'कुछ दिन और' 1976 में छपकर आया. सूखा बरगद, दास्ताने लापता, बशरत मंजिल, पहर ढलते उनके प्रमुख उपन्यास हैं. वहीं वे तसबीह, तमाशा सहित अनेक कहानियों के रचयिता रहे. उनकी पुस्तक दास्ताने लापता का अमेरिका के एक प्रोफेसर ने अंग्रेजी में अनुवाद किया था. स्टोरी ऑफ मिसिंग मेन नामक यह किताब पूरी दुनिया में सराही गई थी. मंजूर एहतेशाम हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा के जानकार थे.

भोपाल। पद्मश्री सम्मान प्राप्त मशहूर लेखक और उपन्यासकार मंजूर एहतेशाम का सोमवार को निधन हो गया. वे पिछले कई वर्षों से बीमार चल रहे थे. कुछ दिन पूर्व कोरोना से संक्रमित होने के बाद राजधानी के पारूल अस्पताल में भर्ती थे. उनके परिवार में दो बेटियां और दामाद हैं.

साल 2003 में पद्मश्री से हुए थे सम्मानित
तीन अप्रैल 1948 को भोपाल में जन्में मंजूर एहतेशाम साहित्य जगत की मशहूर शख्सियत रहे हैं. उन्होंने पांच उपन्यास सहित कई कहानियां और नाटक लिखे हैं. उन्हें साल 2003 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था. इसके अलावा उन्हें भारतीय भाषा परिषद का पुरस्कार, श्रीकांत शर्मा स्मृति सम्मान, नागेश्वरी अवार्ड और पहल सम्मान से नवाजा जा चुका है. पिछले साल दिसम्बर में ही उनकी पत्नी सरवर एहतेशाम का निधन हुआ था. रविन्द्र भवन में कुछ दिन पहले ही उनकी कहानियों पर आधारित नाट्य समारोह भी आयोजित किया गया था.

'सही समय पर ऑक्सीजन मिल जाती तो नहीं होता पंडित राजन मिश्र का निधन'

1973 में आई थी पहली कहानी.
1973 में उनकी पहली कहानी 'रमजान की मौत' प्रकाशित हुई थी. उनका पहला उपन्यास 'कुछ दिन और' 1976 में छपकर आया. सूखा बरगद, दास्ताने लापता, बशरत मंजिल, पहर ढलते उनके प्रमुख उपन्यास हैं. वहीं वे तसबीह, तमाशा सहित अनेक कहानियों के रचयिता रहे. उनकी पुस्तक दास्ताने लापता का अमेरिका के एक प्रोफेसर ने अंग्रेजी में अनुवाद किया था. स्टोरी ऑफ मिसिंग मेन नामक यह किताब पूरी दुनिया में सराही गई थी. मंजूर एहतेशाम हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा के जानकार थे.

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