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अलविदा@19: अपराधों के दलदल में फंसा 'शांति का टापू', महिला अपराध में है देश में अव्वल

देश भर में सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले शांति के टापू कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में ही सामने आए हैं. इसके अलावा सड़क हादसों में भी मध्य प्रदेश कुछ एक राज्यों से ही पीछे है. आलम यह है कि पिछले 18 महीनों में साढे 18 हज़ार लोग सड़क हादसों के चलते काल के गाल में समा चुके हैं.

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साल 2019 में प्रदेश में घटित हुए हैं कई संगीन अपराध
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Published : Dec 26, 2019, 9:24 AM IST

भोपाल। अपराध के दलदल में फंसा मध्यप्रदेश चाहकर भी निकल नहीं पा रहा है, प्रदेश के लिए साल 2019 भी अपराधों को लेकर सुर्खियों में रहा. इस साल जहां कई बड़ी घटनाएं हुईं, वहीं महिला अपराधों में भी बढ़ोत्तरी हुई है. जिनमें हत्या, बलात्कार, छेड़छाड़ के अलावा दहेज प्रताड़ना के मामले भी शामिल हैं.

देश में सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले शांति का टापू कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में ही सामने आए हैं. इसके अलावा सड़क हादसों में भी मध्यप्रदेश कुछ ही राज्यों से पीछे है. आलम ये है कि पिछले 18 महीनों में 18500 लोग सड़क हादसे में अपनी जान गवां चुके हैं.

देश भर में सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश में ही सामने आए हैं. सबसे शर्मनाक आंकड़े नाबालिग बच्चियों के साथ अपराध के हैं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के जारी आंकड़ों में भी इसे देखा जा सकता है.

  • साल 2017 की बात करें तो इस साल अकेले मध्यप्रदेश में 5599 बलात्कार के मामले सामने आए हैं. ये आंकड़ा साल 2016 के मुकाबले 14.6 फीसदी ज्यादा है.
  • साल 2016 में मध्यप्रदेश में 4882 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2015 में भी मध्यप्रदेश सूची में पहले नंबर पर था.
  • साल 2018 की बात करें तो 5310 बलात्कार के मामले सामने आए थे और साल 2019 में भी लगातार रेप की घटनाएं सामने आती रही हैं.
  • अब तक 2000 से ज्यादा रेप केस विमेंस अगेंस्ट क्राइम सेल ने ही दर्ज किए हैं. इनमें से 31 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई है, जबकि 200 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई जा चुकी है.
  • मध्यप्रदेश न सिर्फ नाबालिगों के लिए, बल्कि उम्रदराज महिलाओं के लिए भी सुरक्षित राज्य नहीं है. देश में बच्चियों के खिलाफ रेप के मामले सबसे ज्यादा चिंता का विषय है. 6 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामले में मध्यप्रदेश सिर्फ उत्तर प्रदेश से पीछे है, जबकि लड़कियों से बलात्कार के मामलों में सूची में सबसे ऊपर मध्यप्रदेश है.
  • वहीं, राजधानी भोपाल में महिलाओं के साथ हुए संगीन अपराध, हत्या, छेड़छाड़, दुष्कर्म और दहेज के कुल 3062 मामले जनवरी से अक्टूबर 2019 तक दर्ज किए गए हैं.
  • मध्यप्रदेश में सड़क हादसों का ग्राफ भी चिंताजनक है. पिछले साल की तुलना में इस साल 1000 से ज्यादा लोग हादसे के शिकार हुए हैं. मौजूदा आंकड़ों से पता चल रहा है कि तेज रफ्तार और गलत दिशा में गाड़ी चलाने के चलते सबसे ज्यादा जानलेवा हादसे हुए हैं और मरने वालों में सबसे ज्यादा युवा शामिल हैं.
  • केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की साल 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक सड़क हादसों में मौत के मामलो में मध्यप्रदेश चौथे स्थान पर है. इससे पहले उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु हैं. पिछले 18 महीनों की बात की जाए तो 18500 लोग सड़क हादसे में अपनी जान गवां चुके हैं.

प्रदेश सरकार ने इन हादसों के लिए जिम्मेदारी तय कर दी है. हाल ही में राज्य सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में फैसला लिया गया था कि हादसों पर जिम्मेदारी तय होनी चाहिए. सरकार ने उस सुझाव पर अमल करते हुए सड़क बनाने वाली कंपनी और विभाग पर एक लाख रूपये जुर्माना तय किया है. गृह विभाग से मिले निर्देशों के आधार पर पुलिस मुख्यालय ने प्रदेश के सभी एसपी डीआईजी और कलेक्टर को पत्र लिखा है. जिसमें कहा गया है कि यदि खराब सड़क की वजह से हादसा होता है तो सड़क निर्माण रख रखाव रोड डिजाइन में कमी पाए जाने पर संबंधित विभागों और एजेंसियों से एक लाख रुपये जुर्माना वसूला जाएगा.

प्रदेश के गृह मंत्री बाला बच्चन दावा करते हैं कि शिवराज सरकार के मुकाबले पिछले एक साल में क्राइम का ग्राफ घटा है, लेकिन प्रदेश में लगातार चोरी, लूट, हत्या डकैती और महिला अपराधों के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में सरकार का दावा कितना सही है ये कहना मुश्किल होगा.

भोपाल। अपराध के दलदल में फंसा मध्यप्रदेश चाहकर भी निकल नहीं पा रहा है, प्रदेश के लिए साल 2019 भी अपराधों को लेकर सुर्खियों में रहा. इस साल जहां कई बड़ी घटनाएं हुईं, वहीं महिला अपराधों में भी बढ़ोत्तरी हुई है. जिनमें हत्या, बलात्कार, छेड़छाड़ के अलावा दहेज प्रताड़ना के मामले भी शामिल हैं.

देश में सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले शांति का टापू कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में ही सामने आए हैं. इसके अलावा सड़क हादसों में भी मध्यप्रदेश कुछ ही राज्यों से पीछे है. आलम ये है कि पिछले 18 महीनों में 18500 लोग सड़क हादसे में अपनी जान गवां चुके हैं.

देश भर में सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश में ही सामने आए हैं. सबसे शर्मनाक आंकड़े नाबालिग बच्चियों के साथ अपराध के हैं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के जारी आंकड़ों में भी इसे देखा जा सकता है.

  • साल 2017 की बात करें तो इस साल अकेले मध्यप्रदेश में 5599 बलात्कार के मामले सामने आए हैं. ये आंकड़ा साल 2016 के मुकाबले 14.6 फीसदी ज्यादा है.
  • साल 2016 में मध्यप्रदेश में 4882 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2015 में भी मध्यप्रदेश सूची में पहले नंबर पर था.
  • साल 2018 की बात करें तो 5310 बलात्कार के मामले सामने आए थे और साल 2019 में भी लगातार रेप की घटनाएं सामने आती रही हैं.
  • अब तक 2000 से ज्यादा रेप केस विमेंस अगेंस्ट क्राइम सेल ने ही दर्ज किए हैं. इनमें से 31 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई है, जबकि 200 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई जा चुकी है.
  • मध्यप्रदेश न सिर्फ नाबालिगों के लिए, बल्कि उम्रदराज महिलाओं के लिए भी सुरक्षित राज्य नहीं है. देश में बच्चियों के खिलाफ रेप के मामले सबसे ज्यादा चिंता का विषय है. 6 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामले में मध्यप्रदेश सिर्फ उत्तर प्रदेश से पीछे है, जबकि लड़कियों से बलात्कार के मामलों में सूची में सबसे ऊपर मध्यप्रदेश है.
  • वहीं, राजधानी भोपाल में महिलाओं के साथ हुए संगीन अपराध, हत्या, छेड़छाड़, दुष्कर्म और दहेज के कुल 3062 मामले जनवरी से अक्टूबर 2019 तक दर्ज किए गए हैं.
  • मध्यप्रदेश में सड़क हादसों का ग्राफ भी चिंताजनक है. पिछले साल की तुलना में इस साल 1000 से ज्यादा लोग हादसे के शिकार हुए हैं. मौजूदा आंकड़ों से पता चल रहा है कि तेज रफ्तार और गलत दिशा में गाड़ी चलाने के चलते सबसे ज्यादा जानलेवा हादसे हुए हैं और मरने वालों में सबसे ज्यादा युवा शामिल हैं.
  • केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की साल 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक सड़क हादसों में मौत के मामलो में मध्यप्रदेश चौथे स्थान पर है. इससे पहले उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु हैं. पिछले 18 महीनों की बात की जाए तो 18500 लोग सड़क हादसे में अपनी जान गवां चुके हैं.

प्रदेश सरकार ने इन हादसों के लिए जिम्मेदारी तय कर दी है. हाल ही में राज्य सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में फैसला लिया गया था कि हादसों पर जिम्मेदारी तय होनी चाहिए. सरकार ने उस सुझाव पर अमल करते हुए सड़क बनाने वाली कंपनी और विभाग पर एक लाख रूपये जुर्माना तय किया है. गृह विभाग से मिले निर्देशों के आधार पर पुलिस मुख्यालय ने प्रदेश के सभी एसपी डीआईजी और कलेक्टर को पत्र लिखा है. जिसमें कहा गया है कि यदि खराब सड़क की वजह से हादसा होता है तो सड़क निर्माण रख रखाव रोड डिजाइन में कमी पाए जाने पर संबंधित विभागों और एजेंसियों से एक लाख रुपये जुर्माना वसूला जाएगा.

प्रदेश के गृह मंत्री बाला बच्चन दावा करते हैं कि शिवराज सरकार के मुकाबले पिछले एक साल में क्राइम का ग्राफ घटा है, लेकिन प्रदेश में लगातार चोरी, लूट, हत्या डकैती और महिला अपराधों के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में सरकार का दावा कितना सही है ये कहना मुश्किल होगा.

Intro:भोपाल- साल 2019 मध्य प्रदेश में अपराधों को लेकर कुछ ठीक नहीं रहा। पूरे साल प्रदेश भर में कई संगीन अपराध घटित हुए हैं। खास तौर पर महिला अपराधों की संख्या में इजाफा हुआ है। चाहे बलात्कार के मामले हो या फिर छेड़छाड़ सहित दहेज प्रताड़ना और हत्या के मामले। देश भर में सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले शांति के टापू कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में ही सामने आए हैं। इसके अलावा सड़क हादसों में भी मध्य प्रदेश कुछ एक राज्यों से ही पीछे है। आलम यह है कि पिछले 18 महीनों में साढे 18 हज़ार लोग सड़क हादसों के चलते काल के गाल में समा चुके हैं।


Body:देश में मध्य प्रदेश एक ऐसी फेहरिस्त में पहले पायदान पर मौजूद हैं जिस पर कोई भी राज्य नहीं रहना चाहेगा। देश भर में सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश में ही सामने आए हैं। सबसे शर्मनाक आंकड़ा नाबालिग बच्चियों के बारे में है। देश में बच्चियों के बलात्कार के कुल मामलों में से एक तिहाई सिर्फ मध्यप्रदेश में है। नेशनल क्राईम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के जारी आंकड़ों में भी इसे देखा जा सकता है। साल 2017 की बात करें तो इस साल अकेले मध्यप्रदेश में 5599 बलात्कार के मामले सामने आए हैं। यह आंकड़ा साल 2016 के मुकाबले 14.6 फ़ीसदी ज्यादा है। साल 2016 में मध्यप्रदेश में 4882 मामले दर्ज किए गए थे। तो वहीं 2015 में भी मध्य प्रदेश सूची में पहले नंबर पर था। साल 2018 की बात करें तो 5310 बलात्कार के मामले सामने आए थे और साल 2019 में भी लगातार रेप की घटनाएं सामने आती रही है बताया जा रहा है कि अब तक 2000 से ज्यादा रेप केस विमेंस अगेंस्ट क्राईम सेल ने ही दर्ज किए हैं। इनमें से 31 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई है तो 200 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई जा चुकी है।

आंकड़ों से साफ जाहिर है कि मध्यप्रदेश न सिर्फ नाबालिगों के लिए बल्कि उम्रदराज महिलाओं के लिए भी सुरक्षित राज्य नहीं है। देश में बच्चियों के खिलाफ रेप के मामले सबसे ज्यादा चिंता का विषय है 6 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामले में मध्य प्रदेश सिर्फ उत्तर प्रदेश से पीछे हैं जबकि लड़कियों के बलात्कार के मामलों में सूची में सबसे ऊपर मध्यप्रदेश है। वहीं अगर बात करें राजधानी भोपाल में महिलाओं के साथ हुए संगीन अपराधों हत्या छेड़छाड़ दुष्कर्म और दहेज हत्या की तो, कुल 3062 मामले जनवरी से अक्टूबर 2019 तक दर्ज किए गए हैं।


Conclusion:वहीं मध्यप्रदेश में सड़क हादसों का ग्राफ भी चिंताजनक है पिछले साल की तुलना में इस साल 1000 से ज्यादा लोग हादसों के शिकार हुए हैं मौजूदा आंकड़ों से पता चल रहा है कि तेज रफ्तार और गलत दिशा में गाड़ी चलाने के कारण सबसे ज्यादा जानलेवा हादसे हो रहे हैं और मरने वालों में सबसे ज्यादा युवा शामिल है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की साल 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक सड़क हादसों में मौत के मामलो में मध्य प्रदेश चौथे स्थान पर है। मध्य प्रदेश से पहले उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और तमिलनाडु है। पिछले 18 महीनों की बात की जाए तो साढे 18 हज़ार लोग सड़क हादसों में अपनी जान गवा चुके हैं।

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने इन हादसों के लिए जिम्मेदारी तय कर दी है। हाल ही में राज्य सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में फैसला लिया गया था कि, हादसों के लिए जिम्मेदारी तय होना चाहिए। सरकार ने उस सुझाव पर अमल करते हुए सड़क बनाने वाली कंपनी और विभाग पर 1 लाख रुपये का जुर्माना तय कर दिया है। गृह विभाग से मिले निर्देशों के आधार पर पुलिस मुख्यालय ने प्रदेश के सभी एसपी डीआईजी और कलेक्टर को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि, अगर खराब सड़क की वजह से हादसा होता है तो सड़क निर्माण रखरखाव रोड डिजाइन में कमी पाए जाने पर संबंधित विभागों और एजेंसियों से 1 लाख रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।

प्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन दावा करते हैं कि शिवराज सरकार के मुकाबले पिछले 1 साल में क्राइम का ग्राफ घटा है लेकिन प्रदेश में लगातार चोरी लूट हत्या डकैती और महिला अपराधों के मामले सामने आ रहे हैं ऐसे में सरकार का दावा कितना सही है यह कहना मुश्किल होगा।

पीटीसी- सिद्धार्थ सोनवाने।
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