भोपाल। प्रदेश में जारी लॉक डाउन की वजह से इस साल गेहूं उपार्जन का काम काफी देर से शुरू हुआ, लेकिन बेहतर व्यवस्था की वजह से उपार्जन के काम में तेजी आई है. यही कारण है कि मात्र 28 दिनों में ही 105 लाख मीट्रिक टन गेहूं का क्रय अभी तक किया जा चुका है, जो देश में एक नया रिकॉर्ड है. फिलहाल गेहूं उपार्जन का काम अभी भी लगातार जारी है.
वर्ष 2012-13 का टूटा रिकॉर्ड
समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों के द्वारा बताया गया है कि वर्ष 2012-13 में मध्यप्रदेश में 10.27 लाख किसानों से 84.90 लाख मीट्रिक टन गेहूं की उच्चतम मात्रा खरीदने का रिकार्ड था, जो इस साल टूट गया है. अभी तक 14.16 लाख किसानों से 105.32 लाख मीट्रिक टन उपार्जन किया जा चुका है. प्रदेश में एक दिन में लगभग 5 लाख मीट्रिक टन गेहूं उपार्जन करने का भी रिकार्ड बना है.
इसके पहले गेहूं की इतनी मात्रा एक दिन में कभी भी नहीं खरीदी गई. इस वर्ष का रिकार्ड इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि पिछले सालों में खरीदी का काम 50 दिनों में किया गया था. चालू वर्ष में 28 दिनों में ही लक्ष्य से अधिक गेहूं का उपार्जन किया गया है, जबकि कोविड-19 के संक्रमण के कारण यह काम अधिक चुनौतीपूर्ण था.
लक्ष्य पूरा होने के बाद भी होगी खरीदी
प्रदेश में गेहूं उपार्जन का कार्य अभी जारी है, लक्ष्य पूरा हो जाने के बाद भी सभी किसानों से गेहूं खरीदी के लिए आगे की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही है. गेहूं उपार्जन के काम को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान भी लगातार समीक्षा कर रहे हैं. मंत्रालय अधिकारियों के साथ हुई बैठक के दौरान भी सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पंजीकृत सभी किसानों का पूरा गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा जायेगा. किसी भी किसान को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, जो भी आवश्यक होगा वह व्यवस्था की जायेगी.
पंजाब के बाद दूसरे नंबर पर मध्यप्रदेश
राज्य शासन ने गेहूं उपार्जन के लिए लॉकडाउन अवधि में बारदानों की पर्याप्त व्यवस्था की गई है. वहीं उपार्जित गेहूं के सुरक्षित भंडारण पर विशेष ध्यान दिया गया है. अभी तक 87.20 लाख मीट्रिक टन का परिवहन कर सुरक्षित भंडारण कराया गया है. पिछले साल 45 लाख मीट्रिक टन गेहूं, 16 लाख मीट्रिक टन चना, 26 लाख मीट्रिक टन धान, इस प्रकार कुल 87 लाख मीट्रिक टन का स्टॉक पहले से उपलब्ध होने के बावजूद इस साल उपार्जित गेहूं का भंडारण सुनिश्चित किया गया है. इसके लिए 10 लाख मीट्रिक टन क्षमता की नई केप निर्माण की गई है. समर्थन मूल्य पर खरीदी का भुगतान भी किसानों को किया गया है. इस तरह लगभग 12 हजार करोड़ का भुगतान किसानों को किया जा चुका है. गेहूं खरीदी के मामले में मध्यप्रदेश पंजाब के बाद देश में दूसरे नंबर पर है .