भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस अब कार्रवाई के दौरान उर्दू, फारसी जैसे शब्दों से तौबा करने जा रही है. पुलिसिया कार्रवाई से खारिजी, मुचलका, इस्तगासा जैसे तमाम शब्दों को हटाया जाएगा. पुलिस मुख्यालय ने इस संबंध में पुलिस अधिकारियों को पत्र लिखकर सुझाव (MP Police will remove Urdu-Arabic-Persian words from his dictionary) मांगा है. पुलिस मुख्यालय के रिसर्च एंड डेवलपमेंट एडीजी ने उपयोग में लाए जा रहे उर्दू, फारसी शब्दों के स्थान पर हिंदी शब्दकोष तैयार करके भेजने के लिए कहा है. इसके लिए अधिकारियों को 7 दिनों का समय दिया गया है.
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अभी इन शब्दों का होता है उपयोग
1861 में पुलिस एक्ट बनने के दौरान अंग्रेजों ने आधिकारिक भाषा हिंदुस्तानी अपनाई थी, इसमें उर्दू, फारसी, अरबी शब्दों का मिश्रण था. इसके बाद से इन्हीं शब्दों का लगातार उपयोग हो रहा है. हालांकि, इनमें से कई शब्द ऐसे हैं, जिन्हें आमजन के लिए समझना थोड़ा मुश्किल होता है. मसलन जैसे रोजनामचा.
खात्मा-खारिजी- जब किसी मामले में पर्याप्त तथ्य नहीं मिलते तो उस मामले को खत्म कर दिया जाता है, जिसे खात्मा कहा जाता है. इसी तरह खारिजी में जब चालान की फाइनल रिपोर्ट में यह साबित हो जाता है कि रिपोर्ट झूठी है और उसमें कोई तथ्य नहीं है तो खारिजी लगाई जाती है.
मुचलका- अगर किसी आरोपी को छोटे अपराध में सीधे जेल न भेजकर छोड़ा जाता है तो उससे दो तरह के बांड भरवाए जाते हैं, एक सिक्योरिटी बांड और दूसरा पर्सनल बांड. सिक्योरिटी बांड को जमानत और पर्सनल बांड को मुचलका कहा जाता है.
इस्तगासा- यह परिवाद है जो किसी आपराधिक मुकदमे को चलाने के लिए न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है.
माल वाजयाफ्ता- माल जब्त होने को माल वाजयाफ्ता कहा जाता है.
दौरान-ए-गश्त- गश्त के दौरान.
जरायम- अपराध
सीएम ने कहा था बदलो अरबी-फारसी
पिछले दिनों कलेक्टर कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दस्तयाब शब्द को मुगलकालीन बताते हुए सरल शब्दों का उपयोग करने की सलाह (MP Police Hindi Dictionary) दी थी, इसके बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा था कि जो शब्द चलन में नहीं हैं, रिफ्यूजी शब्द हो गए हैं, उन्हें बदल दिया जाएगा. वैसे दिल्ली, उत्तर प्रदेश में ऐसे शब्दों को बदला जा चुका है.