भोपाल। कोरोना के चलते देश भर में काम करने वाले मजदूरों पर सीधा असर पड़ा है. जो मजदूर अन्य राज्यों में मजदूरी किया करते थे, वे कोरोना संक्रमण के चलते अपने-अपने घर लौट आए हैं. स्थिति यह है कि प्रदेश के मजदूर अब दोबारा उन राज्यों में जाना भी नहीं चाहते हैं. ऐसी परिस्थिति में इन मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है. इसे देखते हुए प्रदेश सरकार के द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इन मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है.
प्रदेश में अब तक 23 लाख से ज्यादा मजदूरों को काम मिल चुका है. इसके अलावा कई अन्य योजनाओं के माध्यम से भी दूसरे काम मजदूरों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके अलावा सरकार के द्वारा घरेलू महिलाओं को भी घर बैठे कई तरह के काम दिए जा रहे हैं, ताकि इस विषम परिस्थिति में महिलाएं घर पर बैठकर भी कई तरह के काम कर सकें. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को भी फेस कवर करने के लिए मास्क बनाने का काम दिया गया है. इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बच्चों की स्कूल ड्रेस बनाने का काम भी इन महिलाओं को दिया है.
लाभदायक साबित हो रही श्रम सिद्धि योजना
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान मध्य प्रदेश वापस लौटे श्रमिकों के लिए शासन की श्रम सिद्धि योजना लाभदायक साबित हो रही है. अपने ही गांव में रोजगार मिल जाने से श्रमिकों का जीवन आसान हुआ है. सरकार ने उन परिवारों की भी चिंता की है, जिनके पास मनरेगा के जॉब कार्ड नहीं थे. उन्हें भी श्रम सिद्धि अभियान से जोड़कर जॉब कार्ड बनाकर रोजगार दिया जा रहा है. प्रदेश के सभी जिलों में मनरेगा के अंतर्गत 20 अप्रैल से अभी तक श्रमिकों को पर्याप्त संख्या में रोजगार देने के प्रयास किए गए हैं.
रोजगार सेतु के तहत मजदूरों को अपने पंचायत में मिल रहा रोजगार
प्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा के तहत रोजगार सेतु में पंजीयन कराने से अपने गांव लौटे मजदूरों को अपनी ग्राम पंचायत में ही रोजगार मिलने लगा है. प्रदेश की 22 हजार 219 ग्राम पंचायतों में 1 लाख 91 हजार 299 कार्य चल रहे हैं. इनमें 23 लाख 4 हजार 588 मजदूरों को 1224 करोड़ 18 लाख की राशि का भुगतान किया जा चुका है.