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10 दिन पहले मानसून आने का खामियाजा भुगत रहे किसान, बारिश न होने से सूखे धान

मध्य प्रदेश में इस बार मानसून पहले आने का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. जिन किसानों ने मानसून के सहारे धान की रोपाई कर दी थी, अब उन किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिख रही हैं.

paddy farming
धान की खेती
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Published : Jul 3, 2021, 5:13 PM IST

भोपाल। प्रदेश में पिछले वर्षों में धान का उत्पादन लगातार बढ़ने से धान की फसल की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है. इस बार समय से पहले हुई बारिश के चलते किसानों ने धान की रोपाई तो कर दी, लेकिन अब जब पानी की जरूरत है तो बारिश नहीं हो रही है. इन हालातों में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं.

paddy farming
बारिश न होने से धान की खेती पर मंडराया संकट.

रोक दी धान की रोपाई
राजधानी से सटे खजरी कला गांव के किसान मिश्रीलाल राजपूत ने बताया कि उन्होंने फिलहाल धान की रोपाई रोक दी है. पहले 15 एकड़ में रोपाई करना थी. अब पानी नहीं मिलने से बुआई रोक दी है. पानी नहीं मिलने से फसल सूखने के आसार बन गए हैं. उनका कहना है कि जिन किसानों ने बुआई कर दी है, उनकी हालत खराब हो रही है.

वर्षधान का रकबाउत्पादन
2015-16 20.24 53.20
2016-17 22.60 80.98
2017-18 20.23 73.05
2018-19 27.94 78.60
2019-20 30.76 109.58
(रकबा लाख हेक्टेयर और उत्पादन लाख टन में)

अब तक 16 प्रतिशत अधिक बारिश
मौसम विभाग के अनुसार मानसून आने की अधिकृत तिथि 16 जून थी. इस बार 12 जून को ही मानसून की बारिश शुरू हो गई थी. मप्र में अब तक 170 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि 147 मिमी सामान्य तौर पर बारिश इस समय तक होती है. यह 16 प्रतिशत अधिक है.

बारिश न होने से पैदावार होगी प्रभावित
धान किसानों की आय बढ़ा रही है. पिछले पांच साल में किसानों का रुझान धान की खेती की तरफ बढ़ा है. अधिक उत्पादन क्षमता और अच्छा बाजार भाव मिलने के कारण किसान धान की अलग-अलग किस्मों की खेती करते हैं. कृषि के जानकार स्वरूप नायक का कहना है कि धान को ज्यादा पानी चाहिए. ऐसे में समय से पहले रोपाई करने में रिस्क है. बारिश न होने से अब बाकी रोपाई देर से होगी, जो धान लग चुका है वह सूख जाएगा. ऐसे में धान की पैदावार पर असर पड़ना तय है.

इन जिलों में होती है धान की खेती
बालाघाट, सिवनी, मंडला, रीवा, शहडोल, अनूपपुर, कटनी, जबलपुर, डिंडोरी जिलों में धान की खेती होती है. इसके साथ ही भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद, सीहोर आदि जिलों में भी किसान धान की खेती कर रहे हैं.

इस दिन से कर सकते हैं धान की रोपाई, आद्रा नक्षत्र हुआ शुरू

मप्र में धान के रकबे और उत्पादन की स्थिति
मप्र में साल-दर-साल इसकी पैदावार में वृद्धि हो रही है. वर्ष 2015-16 में 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपाई की गई थी और पैदावार 53.20 लाख टन हुई थी. वर्ष 2019-20 में रकबा बढ़कर 30 लाख हेक्टेयर के पार पहुंच गया है और पैदावार 109 लाख टन से अधिक हो गई.

भोपाल। प्रदेश में पिछले वर्षों में धान का उत्पादन लगातार बढ़ने से धान की फसल की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है. इस बार समय से पहले हुई बारिश के चलते किसानों ने धान की रोपाई तो कर दी, लेकिन अब जब पानी की जरूरत है तो बारिश नहीं हो रही है. इन हालातों में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं.

paddy farming
बारिश न होने से धान की खेती पर मंडराया संकट.

रोक दी धान की रोपाई
राजधानी से सटे खजरी कला गांव के किसान मिश्रीलाल राजपूत ने बताया कि उन्होंने फिलहाल धान की रोपाई रोक दी है. पहले 15 एकड़ में रोपाई करना थी. अब पानी नहीं मिलने से बुआई रोक दी है. पानी नहीं मिलने से फसल सूखने के आसार बन गए हैं. उनका कहना है कि जिन किसानों ने बुआई कर दी है, उनकी हालत खराब हो रही है.

वर्षधान का रकबाउत्पादन
2015-16 20.24 53.20
2016-17 22.60 80.98
2017-18 20.23 73.05
2018-19 27.94 78.60
2019-20 30.76 109.58
(रकबा लाख हेक्टेयर और उत्पादन लाख टन में)

अब तक 16 प्रतिशत अधिक बारिश
मौसम विभाग के अनुसार मानसून आने की अधिकृत तिथि 16 जून थी. इस बार 12 जून को ही मानसून की बारिश शुरू हो गई थी. मप्र में अब तक 170 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि 147 मिमी सामान्य तौर पर बारिश इस समय तक होती है. यह 16 प्रतिशत अधिक है.

बारिश न होने से पैदावार होगी प्रभावित
धान किसानों की आय बढ़ा रही है. पिछले पांच साल में किसानों का रुझान धान की खेती की तरफ बढ़ा है. अधिक उत्पादन क्षमता और अच्छा बाजार भाव मिलने के कारण किसान धान की अलग-अलग किस्मों की खेती करते हैं. कृषि के जानकार स्वरूप नायक का कहना है कि धान को ज्यादा पानी चाहिए. ऐसे में समय से पहले रोपाई करने में रिस्क है. बारिश न होने से अब बाकी रोपाई देर से होगी, जो धान लग चुका है वह सूख जाएगा. ऐसे में धान की पैदावार पर असर पड़ना तय है.

इन जिलों में होती है धान की खेती
बालाघाट, सिवनी, मंडला, रीवा, शहडोल, अनूपपुर, कटनी, जबलपुर, डिंडोरी जिलों में धान की खेती होती है. इसके साथ ही भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद, सीहोर आदि जिलों में भी किसान धान की खेती कर रहे हैं.

इस दिन से कर सकते हैं धान की रोपाई, आद्रा नक्षत्र हुआ शुरू

मप्र में धान के रकबे और उत्पादन की स्थिति
मप्र में साल-दर-साल इसकी पैदावार में वृद्धि हो रही है. वर्ष 2015-16 में 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपाई की गई थी और पैदावार 53.20 लाख टन हुई थी. वर्ष 2019-20 में रकबा बढ़कर 30 लाख हेक्टेयर के पार पहुंच गया है और पैदावार 109 लाख टन से अधिक हो गई.

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