भोपाल. मध्यप्रदेश सरकार पर कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा छुपाने के कमलनाथ के आरोपों के बाद कांग्रेस पूरे जोर शोर से इस मुद्दे को उठाने में लग गई है. कांग्रेस ने प्रदेश के कई श्मशान घाटों पर कोविड प्रोटोकॉल के तहत जलाए गए शवों का आंकड़ा जारी कर सरकार पर सवाल उठाए हैं. वहीं मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने वाली नगर निगम की साइट के क्रैश हो जाने से भी कांग्रेस के आरोपों को मजबूती मिल रही है. कमलनाथ के खिलाफ 'आग लगाने वाले' बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने वाली प्रदेश सरकार के सुर भले ही बदल गए हों लेकिन मोतों का आंकड़े को छुपाने का सवाल बार बार उठाकर कांग्रेस शिवराज सरकार को कोई राहत देना नहीं चाहती है.
कमलनाथ ने किया था 1 लाख से अधिक मौतें होने का दावा
कुछ दिन पहले ही प्रदेश सरकार की ओर से बताए गए कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़ों पर सवाल उठते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने दावा किया था कि कोरोना से सिर्फ मार्च - अप्रैल में ही मध्यप्रदेश में एक लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं. उनके इस दावे को सरकार ने नकार दिया था जिसके बाद से दोनों दलों के बीच संग्राम छिड़ा हुआ है. कमल नाथ के सरकार पर मौतों के आंकड़े छुपाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि मध्यप्रदेश में इस साल मार्च-अप्रैल में कुल 1,27,503 लोगों की मौत हुई हैं. इनमें से कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 1,02,002 है. जिस पर प्रदेश के गृहमंत्री ने कमलनाथ के इस दावे को भ्रम फैलाने वाला और झूठा करार दिया था. हालांकि कांग्रेस नेता और प्रवक्ता पीसी शर्मा ने सरकार को श्मशान के रिकॉर्ड सौंपने का दावा भी किया था.
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प्रदेश में घटा मौतों का आंकड़ा, कांग्रेस अपनी बात पर अड़ी
कमलनाथ के दावे के उलट प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा बृहस्पतिवार को जारी हेल्थ बुलेटिन में राज्य में अब तक कोविड-19 बीमारी से मरने वालों की संख्या मात्र 7,315 बताई गई है, वहीं एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कमलनाथ ने चुनौती देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनके इस आरोप का खंडन करें कि इस साल मार्च-अप्रैल में 1,27,503 शव राज्य के श्मशान घाटों एवं कब्रिस्तानों में नहीं आए हैं. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता ने सीएम शिवराज सिंह पर निशाना साधते हुए उनसे मौतों का आंकड़ा छुपाने को लेकर जनता से झूठ बोलने का आरोप लगाया है.
कई जिलों में नहीं मिल रहे मृत्यु प्रमाण पत्र
कोरोना महामारी के दौरान ऐसे मरीज जिनकी अस्पताल ले जाते वक्त या एंबुलेंस में या अस्पताल के बाहर ही मुत्यु हो गई थी ऐसे कई लोगों के मृत्यु प्रमाणपत्र अभी तक जारी नहीं किए गए हैं. कई जिलों में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाली साइट ही क्रेश हो गई. जिसके बाद कलेक्टर को ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों को पत्र लिखकर मृत्यू प्रमाणपत्र जारी किए जाने के लिए निर्देशित किया था. हालांकि पत्र को अगले दिन ही तत्काल प्रभाव से निरस्त भी कर दिया जाना बताता है कि सरकार के पास कई जिलों के ऐसे नागरिकों की जिनके दूसरे राज्यों या जिलों में इलाज के दौरान मृत्यु हुई है उनका कोई रिकॉर्ड नहीं है. प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री को इसकी कोई जानकारी ही नहीं है.
जबलपुर में भी हुआ कुछ ऐसा ही
जबलपुर में भी मुत्यु प्रमाणपत्र लेने को लेकर मारामारी हो रही है. नियम के मुताबिक जब किसी की मृत्यु जबलपुर जिले में होती है तो उसे नगर निगम से ही मुत्यु प्रामणपत्र जारी किया जाता है, लेकिन ऐसे लोग जिनके परिजनों की मृत्यु इलाज के दौरान जिले के बाहर या दूसरे राज्यों में हुई है तो उन्हें मृत्यु प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जा रहा है. और अगर किया भी जा रहा है तो पैसे ले देकर यहां के बाबू मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं.
सरकारी आंकड़ों में सब चंगा सी
मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण को लेकर बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों में भारी राहत नजर आ रही है. बीते 24 घंटे में प्रदेश में पॉजिटिविटी रेट घटकर 3.1% हो गई है. संक्रमण दर के मामले में भी प्रदेश का स्थान देश में 16वें से 19वें स्थान पर हो गया है. प्रदेश में 7 दिनों का औसत पॉजिटिविटी रेट 4.5% है. केवल 7 जिलों में ही 5% से अधिक पॉजिटिविटी दर पाई गई है. सरकार इन आंकड़ों को हासिल करना अपनी उपलब्धि बता रही है और खुद ही खुद की पीठ भी थपथपा रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में किल कोरोना अभियान के तहत शत प्रतिशत (6 करोड़ 7 लाख 73 हजार 15) ग्रामीण जनता का सर्वेक्षण पूरा किया गया है. घर-घर जाकर सर्दी, बुखार, खांसी के मरीजों की पहचान की गई तथा उन्हें नि:शुल्क मेडिकल किट वितरित किए गए हैं जिससे प्रदेश में संक्रमण की दर काफी कम और पॉजिटिविटी रेट 3 फीसदी के आसपास है. इसके साथ ही प्रदेश में एक जून से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी भी दी गई.
आंकड़े राहत भरे, कांग्रेस के सवालों से किनारा क्यों
मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण घट रहा है यह प्रदेश के लोगों के लिए अच्छी बात है , लेकिन मौतों के आंकड़े को लेकर सरकार कॉंग्रेस के सवालों से किनारा करती नजर आ रही है. सरकार की तरफ से कमलनाथ और कांग्रेस पर प्रदेश में सवा लाख के आसपास मौतें होने के आंकड़े को भ्रम फैलाने वाला तो बता दिया गया, लेकिन सच्चाई क्या है इसे लेकर सरकार के प्रवक्ता उल्टे कांग्रेस को ही सवालों के घेरे में खड़े करते नजर आए.