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गेहूं खरीदी में नंबर वन का खिताब नहीं बचा पाएगा मध्यप्रदेश, यास तूफान का भी खरीदी पर पड़ा असर

एमपी गेहूं की खरीदी के मामले में पिछड़ता नजर आ रहा है.बता दें कि पिछली साल एमपी में गेहूं की बंपर खरीदी की गई थी और प्रदेश नंबर 1 पर था लेकिन इस बार प्रदेश में करीब 116 लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी की गई है जो पंजाब से कम है,वहीं यास तूफान की वजह से 15 जिलों में दो दिन खरीदी बंद रखी जाएगी.जिससे खरीदी के मामले में पंजाब से एमपी का आगे निकलना मुश्किल है.

गेहूं खरीदी में नंबर वन का खिताब नहीं बचा पाएगा मध्यप्रदेश
गेहूं खरीदी में नंबर वन का खिताब नहीं बचा पाएगा मध्यप्रदेश
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Published : May 26, 2021, 9:34 PM IST

भोपाल।एमपी इस बार गेहूं खरीदी में पिछड़ गया है.अब तक एमपी में लगभग 116 लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी की गई है.और यास तूफान की वजह से खरीदी पर 15 जिलों में रोक के कारण अब आगे भी किसानों से खरीदी कम होगी.जिससे उम्मीद की जा रही है कि अब किसानों से गेहूं की खरीदी में एमपी पिछड़ जाएगा.बता दें कि पिछली साल पंजाब से एमपी गेहूं खरीदी में आगे निकल गया था.लेकिन इस बार 132 लाख मैट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीदी के साथ पंजाब पहले पायदान पर पहुंच चुका हैं

सरकार ने किसानों को 21 हजार करोड़ का किया भुगतान

पिछले वर्ष मध्यप्रदेश में एक करोड़ 29 लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी की गई थी. जबकि गेहूं खरीदी के मामले में पंजाब इस वर्ष मध्यप्रदेश से आगे हैं, इस बार पंजाब सरकार ने 132 लाख मैट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीदी की है. वैसे तो पंजाब में गेहूं का उत्पादन एक करोड़ 70 लाख मैट्रिक टन हुआ है. लेकिन इसमें से एक करोड़ 32 लाख मैट्रिक टन गेहूं ही समर्थन मूल्य पर बिक्री के लिए बिक्री केंद्रों पर पहुंचा.वहीं इस दौरान गेहूं उपार्जन पर पंजाब के किसानों को 26 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि का भुगतान किया गया है.उधर जानकारी के अनुसार 19 मई तक मध्य प्रदेश सरकार ने लगभग 116 लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी की है. हालांकि यह खरीदी पिछले वर्ष के गेहूं खरीदी से लगभग 13 लाख मैट्रिक टन कम है,ऐसे में जब प्रदेश में खरीदी के लिए अधिकांश गेहूं केंद्रों को बंद करना पड़ रहा है. तब सरकार के सामने पिछले साल के रिकॉर्ड को ही पीछे छोड़ना मुश्किल हो गया है.वहीं मध्य प्रदेश में लगभग 21000 करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को किया गया.

सिर्फ 16 लाख किसानों से की गई गेहूं की खरीदी
मध्य प्रदेश में लगभग 16 लाख किसानों से ही गेहूं खरीदी की गई है, जबकि मध्यप्रदेश में 5171 उपार्जन केंद्र बनाए गए थे, और मध्यप्रदेश में लगभग 35 लाख 64 हजार 369 की किसानों का पंजीयन वेरिफाई हुआ है. इस प्रकार पंजीयन के लिहाज से देखें तो प्रदेश में आधे किसानों से भी खरीदी नहीं हुई है. यदि सभी पंजीकृत किसानों का गेहूं बिकने के लिए पहुंचे तो प्रदेश में गेहूं उपार्जन का आंकड़ा 150 लाख मैट्रिक टन से अधिक हो सकता है. आफको ये भी बता दें कि राज्य सरकार ने एक करोड़ 40 लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीदी के हिसाब से तैयारी की थी, लेकिन इस बार पिछले साल के बराबर भी खरीदी का आंकड़ा पहुंचता नहीं दिख रहा है.

भोपाल।एमपी इस बार गेहूं खरीदी में पिछड़ गया है.अब तक एमपी में लगभग 116 लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी की गई है.और यास तूफान की वजह से खरीदी पर 15 जिलों में रोक के कारण अब आगे भी किसानों से खरीदी कम होगी.जिससे उम्मीद की जा रही है कि अब किसानों से गेहूं की खरीदी में एमपी पिछड़ जाएगा.बता दें कि पिछली साल पंजाब से एमपी गेहूं खरीदी में आगे निकल गया था.लेकिन इस बार 132 लाख मैट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीदी के साथ पंजाब पहले पायदान पर पहुंच चुका हैं

सरकार ने किसानों को 21 हजार करोड़ का किया भुगतान

पिछले वर्ष मध्यप्रदेश में एक करोड़ 29 लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी की गई थी. जबकि गेहूं खरीदी के मामले में पंजाब इस वर्ष मध्यप्रदेश से आगे हैं, इस बार पंजाब सरकार ने 132 लाख मैट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीदी की है. वैसे तो पंजाब में गेहूं का उत्पादन एक करोड़ 70 लाख मैट्रिक टन हुआ है. लेकिन इसमें से एक करोड़ 32 लाख मैट्रिक टन गेहूं ही समर्थन मूल्य पर बिक्री के लिए बिक्री केंद्रों पर पहुंचा.वहीं इस दौरान गेहूं उपार्जन पर पंजाब के किसानों को 26 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि का भुगतान किया गया है.उधर जानकारी के अनुसार 19 मई तक मध्य प्रदेश सरकार ने लगभग 116 लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी की है. हालांकि यह खरीदी पिछले वर्ष के गेहूं खरीदी से लगभग 13 लाख मैट्रिक टन कम है,ऐसे में जब प्रदेश में खरीदी के लिए अधिकांश गेहूं केंद्रों को बंद करना पड़ रहा है. तब सरकार के सामने पिछले साल के रिकॉर्ड को ही पीछे छोड़ना मुश्किल हो गया है.वहीं मध्य प्रदेश में लगभग 21000 करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को किया गया.

सिर्फ 16 लाख किसानों से की गई गेहूं की खरीदी
मध्य प्रदेश में लगभग 16 लाख किसानों से ही गेहूं खरीदी की गई है, जबकि मध्यप्रदेश में 5171 उपार्जन केंद्र बनाए गए थे, और मध्यप्रदेश में लगभग 35 लाख 64 हजार 369 की किसानों का पंजीयन वेरिफाई हुआ है. इस प्रकार पंजीयन के लिहाज से देखें तो प्रदेश में आधे किसानों से भी खरीदी नहीं हुई है. यदि सभी पंजीकृत किसानों का गेहूं बिकने के लिए पहुंचे तो प्रदेश में गेहूं उपार्जन का आंकड़ा 150 लाख मैट्रिक टन से अधिक हो सकता है. आफको ये भी बता दें कि राज्य सरकार ने एक करोड़ 40 लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीदी के हिसाब से तैयारी की थी, लेकिन इस बार पिछले साल के बराबर भी खरीदी का आंकड़ा पहुंचता नहीं दिख रहा है.

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