भोपाल। कोरोना के चलते किया गया लॉकडाउन किसानों पर कहर बनकर बरसा है. खेतों में फसल तैयार है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से कटाई के लिए ना तो मजदूर मिल रहे हैं और ना ही हार्वेस्टर. जिससे किसानों को चिंता सताने लगी है कि अगर जल्द ही कटाई का इंतजाम नहीं हो पाया तो फसल खेत में ही सूख जाएगी.
राजधानी से सटे कटारा हिल्स इलाके में रहने वाले किसान आनंद पाटीदार ने बर्रई इलाके में अपने 22 एकड़ में गेहूं बोया था. फसल पककर तैयार है. बंपर पैदावार की उम्मीद भी है. लेकिन लॉकडाउन ने उनकी मुसीबत बढ़ा दी है. पिछले 10 दिनों से वे हार्वेस्टर के लिए परेशान हैं.लेकिन अभी तक इसका इंतजाम नहीं हो पाया है.
अब गांव के ही कुछ मजदूरों से फसल की कटाई करवाना शुरू किया है. वो कहते हैं कि हार्वेस्टर संचालकों ने मौके को देखते हुए रेट बढ़ा दिए हैं. इसी गांव के एक और किसान शफीक अहमद कहते हैं कि जल्द कटाई नहीं हुई, तो गेहूं की बाली अपने आप टूट कर खेतों में गिरने लगेगी. जिससे किसानों का नुकसान होगा. ऐसी ही स्थिति कमोबेश मध्य प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में रहने वाले किसानों की है.
भोपाल के बैरसिया इलाके में रहने वाली किसान महेंद्र कहते हैं कि लॉकडाउन का असर ग्रामीण इलाकों तक है. पुलिस की सख्ती की वजह से मजदूर घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. वहीं हार्वेस्टर संचालकों को पिछले 1 हफ्ते से कटाई के लिए बुलाया जा रहा है. लेकिन काम इतना है कि वो आ नहीं रहे.
सरकार ने जारी की पंजाब के हार्वेस्टर संचालकों की सूची
उधर जिला प्रशासन ने भोपाल जिले के लिए पंजाब के एक दर्जन हार्वेस्टर संचालक को की सूची जारी की है. जिसमें हार्वेस्टर संचालकों के मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक किए गए हैं. ताकि किसान इन से संपर्क कर सकें. साथ ही हार्वेस्टर संचालकों के लिए रेट भी तय किए गए हैं. कृषि विभाग के मुताबिक हार्वेस्टर्स की दरें 1200 रुपए प्रति एकड़ या दो हजार रुपए प्रति घंटा निर्धारित की गई है. प्रदेश के सभी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारियों को अधिक दरों के संबंध में कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.
किसान कॉल सेंटर की व्यवस्था
वहीं किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए मंडी बोर्ड में एक कॉल सेंटर शुरू किया गया है. इस कॉल सेंटर का नंबर 0755- 2550495 है. इसके अलावा उपयंत्री भूपेंद्र साहू का मोबाइल नंबर (9617998791) और प्रभारी अधिकारी कृषि यंत्री तकनीक के मोबाइल नंबर (9425666488) के नंबर भी जारी किए गए हैं. जिस पर किसान अपनी समस्या बता सकते हैं. कॉल सेंटर की निगरानी का जिम्मा कृषि विभाग के प्रमुख सचिव को मिला है.