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लॉकडाउन में फुल लॉक हुआ शीतल पेय, गरीबों के निवाले पर लगा ताला

वैश्विक महामारी से निपटने के लिए पूरे देश में तालाबंदी है, ऐसे में छोटे-बड़े सभी व्यापार लगभग ठप पड़े हैं, भोपाल में नीबू-शिकंजी और गन्ने की चरखियों पर ताला लटक रहा है और इसे चलाने वालों के पेट पर भी ताला लग गया है.

lock down effect
शीतल पेय पर संकट
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Published : May 16, 2020, 6:16 PM IST

Updated : May 16, 2020, 6:34 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण के चलते देश भर में करीब दो महीने से लॉकडाउन है, यही इस महामारी से बचाव का अचूक उपाय है, लेकिन लॉकडाउन से कई व्यवसाय और छोटे-मोटे उद्योग-धंधे पूरी तरह चौपट हो गए हैं. भोपाल में गर्मी के दिनों में शीतल पेय बेचने वालों का भी हाल बेहाल है. आलम ये है कि उनके सामने रोजी-रोटी चलाने का गंभीर संकट खड़ा हो गया है.

लॉकडाउन के चलते छोटे-बड़े सभी व्यवसाय बंद हैं, लेकिन छोटे व्यापारियों का तो जैसे सब कुछ उजड़ गया है. नीबू पानी, शिकंजी, गन्ने का ठेला लगाने वालों के पास रोजी-रोटी का दूसरा कोई साधन भी नहीं है. वल्लभनगर की बस्ती में रहने वाले गणेश पिछले 8 साल से नीबू-पानी शिकंजी का ठेला लगाते आ रहे हैं और गर्मी के महीनों में जो अच्छी कमाई होती है, उसी से घर चलाते हैं, लेकिन लॉकडाउन में इन्हें घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. सरकार की ओर से मिल रही थोड़ी मदद भी नाकाफी साबित हो रही है.

जगदीश यादव राजधानी भोपाल के सतपुड़ा भवन के पास गन्ने की चरखी लगाते हैं. इस इलाके में ही इनकी चार चरखियां लगती हैं, पर लॉकडाउन के चलते इनकी सभी चारखियों में ताले लगे हैं, उनका कहना है कि गन्ने की चारखियों से वह दिन का करीब 10 से 15 हजार रूपये कमाते थे, कोरोना काल में हुई तालाबंदी के चलते खाने के भी लाले पड़ गए हैं. जगदीश ने बताया कि गन्ने की चरखी और पूरा सेटअप तैयार करने में भी काफी पैसा खर्च होता है और अब दुकानें खुल नहीं रही हैं.

कोरोना काल में बड़े व्यापारी तो परेशान हैं ही, छोटे व्यापारियों को भी इस महामारी की बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है. गर्मी के दिनों में शहर की सड़कों पर नीबू-पानी, शिकंजी और गन्ने की चरखी जगह-जगह देखी जा सकती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते सब कुछ लॉक पड़ा है. लॉकडाउन में शीतल पेय पूरी तरह लॉक हो चुका है, जबकि गरीबों के निवाले पर भी ताला लग गया है.

भोपाल। कोरोना संक्रमण के चलते देश भर में करीब दो महीने से लॉकडाउन है, यही इस महामारी से बचाव का अचूक उपाय है, लेकिन लॉकडाउन से कई व्यवसाय और छोटे-मोटे उद्योग-धंधे पूरी तरह चौपट हो गए हैं. भोपाल में गर्मी के दिनों में शीतल पेय बेचने वालों का भी हाल बेहाल है. आलम ये है कि उनके सामने रोजी-रोटी चलाने का गंभीर संकट खड़ा हो गया है.

लॉकडाउन के चलते छोटे-बड़े सभी व्यवसाय बंद हैं, लेकिन छोटे व्यापारियों का तो जैसे सब कुछ उजड़ गया है. नीबू पानी, शिकंजी, गन्ने का ठेला लगाने वालों के पास रोजी-रोटी का दूसरा कोई साधन भी नहीं है. वल्लभनगर की बस्ती में रहने वाले गणेश पिछले 8 साल से नीबू-पानी शिकंजी का ठेला लगाते आ रहे हैं और गर्मी के महीनों में जो अच्छी कमाई होती है, उसी से घर चलाते हैं, लेकिन लॉकडाउन में इन्हें घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. सरकार की ओर से मिल रही थोड़ी मदद भी नाकाफी साबित हो रही है.

जगदीश यादव राजधानी भोपाल के सतपुड़ा भवन के पास गन्ने की चरखी लगाते हैं. इस इलाके में ही इनकी चार चरखियां लगती हैं, पर लॉकडाउन के चलते इनकी सभी चारखियों में ताले लगे हैं, उनका कहना है कि गन्ने की चारखियों से वह दिन का करीब 10 से 15 हजार रूपये कमाते थे, कोरोना काल में हुई तालाबंदी के चलते खाने के भी लाले पड़ गए हैं. जगदीश ने बताया कि गन्ने की चरखी और पूरा सेटअप तैयार करने में भी काफी पैसा खर्च होता है और अब दुकानें खुल नहीं रही हैं.

कोरोना काल में बड़े व्यापारी तो परेशान हैं ही, छोटे व्यापारियों को भी इस महामारी की बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है. गर्मी के दिनों में शहर की सड़कों पर नीबू-पानी, शिकंजी और गन्ने की चरखी जगह-जगह देखी जा सकती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते सब कुछ लॉक पड़ा है. लॉकडाउन में शीतल पेय पूरी तरह लॉक हो चुका है, जबकि गरीबों के निवाले पर भी ताला लग गया है.

Last Updated : May 16, 2020, 6:34 PM IST
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