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जीवन ही नहीं रोजी-रोटी का भी काल बना कोरोना! मजबूरी में पलायन करते मजदूर

कोरोना काल में सबसे अधिक मार शहरों में रहने वाले दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ी है, इन लोगों को सामने पिछले वर्ष भी रोटी का संकट खड़ा हुआ था और एक बार फिर इनके सामने ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई है. अब शहरों में अधिकाश दफ्तर, कंपनियां, दुकानें, होटल, रेस्टोरेंट में काम कम होने से लोग अपने-अपने गांवों की ओर पलायन करने लगे हैं.

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पलायन
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Published : Apr 24, 2021, 9:34 AM IST

Updated : Apr 24, 2021, 9:55 AM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण की जानलेवा दूसरी लहर में लोगों को हर तरफ से मार पड़ी है. कोरोना संक्रमण के बढ़ने से शहरों में कई पाबंदियां लगाई गई हैं, जिससे लोगों का कामकाज ठप हो गया है और लाखों लोग बेरोजगारी के कगार पर खड़े हो गए हैं. कोरोना काल में सबसे अधिक मार शहरों में रहने वाले दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ी है, इन लोगों को सामने पिछले वर्ष भी रोटी का संकट खड़ा हुआ था और एक बार फिर इनके सामने ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई है. अब शहरों में अधिकाश दफ्तर, कंपनियां, दुकानें, होटल, रेस्टोरेंट में काम कम होने से लोग अपने-अपने गांवों की ओर पलायन करने लगे हैं.

पलायन
  • दर-दर की ठोकरें खाते मजदूर

इस त्रासदी में शहरों से पलायन कर रहे लोग बसों और रेलगाड़ियों से अपना सफर तय कर रहे हैं. शहरों से पलायन करने वाले मजदूर बताते हैं कि वह जहां काम करते हैं, वहां सब बंद पड़ा है. उनके रहने-खाने की व्यवस्था चौपट हो चुकी है, पिछली बार भी ऐसा ही हुआ था, सब दर-दर की ठोकरें खाकर मुश्किल से अपने घर पहुंचे थे. इसलिए पिछले साल के हालात को देखते हुए वह घर निकल रहे हैं.

अब MP को हर रोज केंद्र सरकार से मिलेगी 643 टन ऑक्सीजन

  • रोजाना सैंकड़ो मजदूर भोपाल छोड़कर जा रहे

भोपाल के आईएसबीटी बस स्टैंड पर मुलताई जा रहे एक मजदूर का कहा, "आज मेरे पास रोजगार नहीं है, रोजाना काम करके कमाने की स्थिति अब बनती नजर नहीं आ रही है. मैं परिवार को छोड़ने जा रहा हूं, वापस आऊंगा और फिर कोशिश करूंगा लेकिन ऐसे हालात में बच्चों को भूखा प्यासा तड़पता हुआ नहीं देख सकता." वहीं, रेलवे रिजर्वेशन का काम करने वाल एक कर्मचारी ने बताया कि रोजाना 50-100 के बीच मजदूर यहां से अपने-अपने घर जाने के लिए टिकट बुक करा रहे है. रेलगाड़ियां भी बहुत कम चल रही है, लोग रेलवे स्टेशन पर आकर यहां-वहां भोजन पानी की व्यवस्था देखते हैं क्योंकि जहां से आते हैं वहां उन्हें खाना नहीं मिल पा रहा है, इसलिए हम कोशिश करते हैं की उनकी व्यवस्थाएं हो जाएं.

भोपाल। कोरोना संक्रमण की जानलेवा दूसरी लहर में लोगों को हर तरफ से मार पड़ी है. कोरोना संक्रमण के बढ़ने से शहरों में कई पाबंदियां लगाई गई हैं, जिससे लोगों का कामकाज ठप हो गया है और लाखों लोग बेरोजगारी के कगार पर खड़े हो गए हैं. कोरोना काल में सबसे अधिक मार शहरों में रहने वाले दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ी है, इन लोगों को सामने पिछले वर्ष भी रोटी का संकट खड़ा हुआ था और एक बार फिर इनके सामने ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई है. अब शहरों में अधिकाश दफ्तर, कंपनियां, दुकानें, होटल, रेस्टोरेंट में काम कम होने से लोग अपने-अपने गांवों की ओर पलायन करने लगे हैं.

पलायन
  • दर-दर की ठोकरें खाते मजदूर

इस त्रासदी में शहरों से पलायन कर रहे लोग बसों और रेलगाड़ियों से अपना सफर तय कर रहे हैं. शहरों से पलायन करने वाले मजदूर बताते हैं कि वह जहां काम करते हैं, वहां सब बंद पड़ा है. उनके रहने-खाने की व्यवस्था चौपट हो चुकी है, पिछली बार भी ऐसा ही हुआ था, सब दर-दर की ठोकरें खाकर मुश्किल से अपने घर पहुंचे थे. इसलिए पिछले साल के हालात को देखते हुए वह घर निकल रहे हैं.

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  • रोजाना सैंकड़ो मजदूर भोपाल छोड़कर जा रहे

भोपाल के आईएसबीटी बस स्टैंड पर मुलताई जा रहे एक मजदूर का कहा, "आज मेरे पास रोजगार नहीं है, रोजाना काम करके कमाने की स्थिति अब बनती नजर नहीं आ रही है. मैं परिवार को छोड़ने जा रहा हूं, वापस आऊंगा और फिर कोशिश करूंगा लेकिन ऐसे हालात में बच्चों को भूखा प्यासा तड़पता हुआ नहीं देख सकता." वहीं, रेलवे रिजर्वेशन का काम करने वाल एक कर्मचारी ने बताया कि रोजाना 50-100 के बीच मजदूर यहां से अपने-अपने घर जाने के लिए टिकट बुक करा रहे है. रेलगाड़ियां भी बहुत कम चल रही है, लोग रेलवे स्टेशन पर आकर यहां-वहां भोजन पानी की व्यवस्था देखते हैं क्योंकि जहां से आते हैं वहां उन्हें खाना नहीं मिल पा रहा है, इसलिए हम कोशिश करते हैं की उनकी व्यवस्थाएं हो जाएं.

Last Updated : Apr 24, 2021, 9:55 AM IST
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