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जानिए क्यों मनाया जाता है शिक्षा दिवस - भारत के प्रथम शिक्षामंत्री

'11 नवम्बर' को हर साल देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है. भारत में शिक्षा के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के अवसर पर 2008 से ही शिक्षा दिवस मनाया जा रहा है. मौलाना अबुल कलाम आजाद के बारे में जानने के लिए पढ़े खबर...

मौलाना अबुल कलाम आजाद
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Published : Nov 11, 2019, 12:13 AM IST

भोपाल। शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है. आजादी के बाद देश में शिक्षा की अहमियत को सबसे पहले किसी ने समझा, तो वह थे महान स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद. भारत में शिक्षा के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मौलाना अबुल कलाम आजाद जी के जन्मदिवस के अवसर पर उनकी स्मृति में '11 नवम्बर' को हर साल देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है.

आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को सऊदी अरब के मक्का में हुआ था. वह अपनी युवावस्था में मुहीउद्दीन अहमद के नाम से जाने जाते थे. उनका देहान्त 22 फरवरी 1958 को हुआ. मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में 2008 से मनाया जा रहा है. वे 15 अगस्त 1947 के बाद से 2 फरवरी 1958 तक पहले शिक्षा मंत्री रहे थे.

Maulana Abul Kalam Azad
मौलाना अबुल कलाम आजाद

महान स्वतंत्रता सेनानी कहे जाने वाले मौलाना आजाद का आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान था. वहीं बंटवारे के दौरान सांप्रदायिक तनाव को शांत करने में भी उनकी खास भूमिका रही. उनके समकालीन बताते हैं, कि आजाद साहब अल्पसंख्यकों को भरोसा दिलाने में कामयाब रहे कि 'यह देश तुम्हारा है और इसी देश में तुम रहो'.

संसद में मौलाना आजाद
संसद में मौलाना आजाद

शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद का योगदान

मौलाना अबुल कलाम आजाद का मानना था कि अंग्रेजों के जमाने में मिलने वाली शिक्षा में संस्कृति को अच्छे ढंग से शामिल नहीं किया गया, इसीलिए शिक्षामंत्री बनने पर उन्होंने पढ़ाई-लिखाई और संस्कृति के मेल पर विशेष ध्यान दिया.
मौलाना आजाद की अगुवाई में 1950 के शुरुआती दशक में 'संगीत नाटक अकादमी', 'साहित्य अकादमी' और 'ललित कला अकादमी' का गठन हुआ. इससे पहले वह 1950 में ही 'भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद' बना चुके थे.

वे भारत के 'केंद्रीय शिक्षा बोर्ड' के चेयरमैन थे, जिसका काम केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर शिक्षा का प्रसार करना था. उन्होंने भारत में धर्म, जाति और लिंग से ऊपर उठ कर 14 साल तक सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दिए जाने की सख्ती से वकालत की.

अबुल कलाम आजाद महिला शिक्षा के खास हिमायती थे. उनकी पहल पर ही भारत में 1956 में 'यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन' की स्थापना हुई थी. आजाद जी को एक दूरदर्शी विद्वान माना जाता था, जिन्होंने 1950 के दशक में ही सूचना और तकनीक के क्षेत्र में शिक्षा पर ध्यान देना शुरू कर दिया था.

Maulana Azad with Nehru
नेहरू के साथ मौलाना आजाद

शिक्षामंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल में ही भारत में 'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी' का गठन किया गया था. आज मौलाना अबुल कलाम आजाद की 131वीं जयंती पर ईटीवी भारत शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को सलाम करता है.

भोपाल। शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है. आजादी के बाद देश में शिक्षा की अहमियत को सबसे पहले किसी ने समझा, तो वह थे महान स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद. भारत में शिक्षा के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मौलाना अबुल कलाम आजाद जी के जन्मदिवस के अवसर पर उनकी स्मृति में '11 नवम्बर' को हर साल देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है.

आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को सऊदी अरब के मक्का में हुआ था. वह अपनी युवावस्था में मुहीउद्दीन अहमद के नाम से जाने जाते थे. उनका देहान्त 22 फरवरी 1958 को हुआ. मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में 2008 से मनाया जा रहा है. वे 15 अगस्त 1947 के बाद से 2 फरवरी 1958 तक पहले शिक्षा मंत्री रहे थे.

Maulana Abul Kalam Azad
मौलाना अबुल कलाम आजाद

महान स्वतंत्रता सेनानी कहे जाने वाले मौलाना आजाद का आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान था. वहीं बंटवारे के दौरान सांप्रदायिक तनाव को शांत करने में भी उनकी खास भूमिका रही. उनके समकालीन बताते हैं, कि आजाद साहब अल्पसंख्यकों को भरोसा दिलाने में कामयाब रहे कि 'यह देश तुम्हारा है और इसी देश में तुम रहो'.

संसद में मौलाना आजाद
संसद में मौलाना आजाद

शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद का योगदान

मौलाना अबुल कलाम आजाद का मानना था कि अंग्रेजों के जमाने में मिलने वाली शिक्षा में संस्कृति को अच्छे ढंग से शामिल नहीं किया गया, इसीलिए शिक्षामंत्री बनने पर उन्होंने पढ़ाई-लिखाई और संस्कृति के मेल पर विशेष ध्यान दिया.
मौलाना आजाद की अगुवाई में 1950 के शुरुआती दशक में 'संगीत नाटक अकादमी', 'साहित्य अकादमी' और 'ललित कला अकादमी' का गठन हुआ. इससे पहले वह 1950 में ही 'भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद' बना चुके थे.

वे भारत के 'केंद्रीय शिक्षा बोर्ड' के चेयरमैन थे, जिसका काम केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर शिक्षा का प्रसार करना था. उन्होंने भारत में धर्म, जाति और लिंग से ऊपर उठ कर 14 साल तक सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दिए जाने की सख्ती से वकालत की.

अबुल कलाम आजाद महिला शिक्षा के खास हिमायती थे. उनकी पहल पर ही भारत में 1956 में 'यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन' की स्थापना हुई थी. आजाद जी को एक दूरदर्शी विद्वान माना जाता था, जिन्होंने 1950 के दशक में ही सूचना और तकनीक के क्षेत्र में शिक्षा पर ध्यान देना शुरू कर दिया था.

Maulana Azad with Nehru
नेहरू के साथ मौलाना आजाद

शिक्षामंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल में ही भारत में 'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी' का गठन किया गया था. आज मौलाना अबुल कलाम आजाद की 131वीं जयंती पर ईटीवी भारत शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को सलाम करता है.

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