भोपाल। प्रदेश में बारिश के बाद बढ़ती उमस का सिलसिला लगातार जारी है. इसी के साथ सांप काटने के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. खासतौर से ग्रामीण इलाकों और नालों के किनारे स्थित बस्तियों से ये घटनाएं ज्यादा सामने आ रही हैं. ऐसे में अगर सांप काट भी ले तो घबराना नहीं, बल्कि अस्पताल जाएं, क्योंकि ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते, लेकिन लोग उनके काटने की दहशत से मर जाते हैं.
मप्र में सांपों की 40 प्रजातियां
विशेषज्ञों के मुताबिक मप्र में सांपों की जो 40 प्रजातियां पाई जाती हैं. उनमें मात्र चार करैत, कोबरा, रसल, वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर ही जहरीले होते हैं. दरअसल, बारिश का सीजन शुरू होते ही प्रदेश में सांप काटने के मामले सामने आने लगे हैं. इन दिनों सांप पकड़ने वाले विशेषज्ञों के पास रोज आने वाले फोन की संख्या बढ़ गई है. हालांकि, जो सांप भोपाल में पकड़े जा रहे हैं उनमें से अधिकतर जहरीले नहीं हैं, लेकिन रैट स्नेक और कोबरा भी कई जगह मिल रहे हैं.
हर साल 2 हजार से अधिक सर्पदंश के मामले
एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल भारत में 2.8 मिलियन यानि 28 लाख लोगों को सांप काटते हैं, जिनमें से करीब 50 हजार लोगों की मौत सर्पदंश से होती है. वहीं, भोपाल और आसपास के इलाकों में साल भर में 2 हजार से अधिक मामले सांप काटने के आते हैं. जानकारी के मुताबिक, राजधानी में सांप काटने के 2019 में 180 और 2020 में 200 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं.
ज्यादातर सांप जंगल में छोड़े जाते हैं
सांप पकड़ने का काम करने वाले आकाश पदमें ने बताया कि, सांप निकलने पर लोगों के फोन आते हैं. इसके बाद वे तुरंत स्थल पर पहुंचकर सांप को रेस्क्यू करते हैं और फिर आसपास के जंगल में इन्हें छोड़ देते हैं. आकाश ने बताया कि भोपाल में रैट स्नेक, कोबरा और करैत सांप मिलते हैं. इन सांपों को वन विभाग को सौंपा जाता है या फिर फारेस्ट एरिया में छोड़ दिया जाता है.
केवल चार प्रकार के सांप ही जहरीले
वन्य प्राणी संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले डॉ जफर खान ने बताया कि, बारिश में सांपों के बिलों में पानी घुस जाता है. जिसके कारण वे बाहर निकलते हैं और रहवासी क्षेत्र में घुस जाते हैं. इसके साथ ही चूहे और मेंढकों का अपने भोजन के लिए शिकार करते हैं. मप्र में 40 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं, जिनमें केवल चार प्रकार के सांप ही जहरीले होते हैं. ये हैं कोबरा, करैत, रसल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर.
अस्पतालों में एंटी वेनम इंजेक्शन उपलब्ध
भोपाल जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ प्रभाकर तिवारी का कहना है कि जिला अस्पताल के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी वेनम इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं. सभी अस्पतालों को बारिश जन्य रोगों के साथ ही सर्पदंश के मामलों को देखते हुए पर्याप्त सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं. आपातकालीन व्यवस्थाएं भी की गई हैं।
अभी भी अंधविश्वास हावी
विशेषज्ञों के मुताबिक, सांप कोहनी औक घुटने के नीचे ही काटते हैं. सर्पदंश में अभी भी अंधविश्वास पर लोग ज्यादा आश्रित हैं. सांप काटने पर झाड़ फूंक कराने में लग जाते हैं, जिसके कारण सांप का जहर शरीर में फैलने लगता है. ऐसे में लोगों का जागरूक रहने की जरूरत है. सांप काटने पर तुरंत ही अस्पताल पहुंचना चाहिए और एंटी वेनम इंजेक्शन (Anti Venom Injection) लगवाकर इलाज कराना ही बेहतर उपाय है.
सांप काटने पर लक्षण
सांप के काटने पर प्रारंभिक तौर पर करीब-करीब 95 प्रतिशत मामलों में पहला लक्षण नींद का आना होता है. इसके साथ ही निगलने या सांस लेने में तकलीफ होती है. आमतौर पर सांप काटने पर आधे घंटे बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं.