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कोरोना काल में बैंककर्मियों पर बड़ी जिम्मेदारी, संक्रमण से खुद को बचाना बड़ी चुनौती

कोरोना संक्रमण काल में आर्थिक गतिविधियां सुचारु रुप से चालू रहें, इसके लिए सरकार ने बैंकों को 30 प्रतिशत स्टाफ के साथ काम करने की अनुमति दी है. ऐसे में बैंककर्मियों पर बड़ी जिम्मेदारी है और वे काम करते हुए खुद और परिवार को सुरक्षित रख रहे हैं.

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Published : Jul 30, 2020, 8:06 PM IST

Big responsibility on bank employees
बैंक कर्मचारियों पर बड़ी जिम्मेदारी

भोपाल। कोरोना के संक्रमण काल में वैसे तो हर वर्ग के लोगों को इस खतरे से दो-चार होना पड़ रहा है, लेकिन एक ऐसा सेक्टर भी है, जो देश में आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चला रहा है. कोरोना के खिलाफ जारी इस जंग में वो अपने को बचाते हुए लोगों की सेवा में जुटा है. हम बात कर रहे हैं बैंकिंग सेक्टर की, जो संक्रमण काल के दौरान भी अपनी जान का ख्याल रखते हुए जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे हैं. कोरोना काल में सरकार ने 30 फीसदी स्टाफ के साथ बैंकों के लिए काम करने की अनुमति दी है. ऐसे में बैंक कर्चमारी पूरी सुरक्षा के साथ कस्टमर को सुरक्षित रखते हुए काम कर रहे हैं.

कोरोना काल में बैंक कर्मचारियों पर बड़ी जिम्मेदारी

कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बाद पूरे देश में इस वायरस को लेकर डर बैठ गया है. बैंक कर्मी मानसी नागर का मानना है कि, 'डर तो लगता है, लेकिन काम भी नहीं छोड़ सकते'. 30 प्रतिशत स्टॉफ के साथ काम करने के आदेश के बाद बैंककर्मियों पर काम का बोझ जरूर बढ़ा, लेकिन वे इस कोरोना काल में पूरी हिम्मत के साथ डटे हुए हैं.

क्या कहते हैं बैंककर्मी ?

निजी बैंक में काम करने वाले रोहित छाबड़ा का कहना है कि, 'इन दिनों स्टाफ कम आता है, ऐसे में कहीं ना कहीं काम का बोझ भी ज्यादा होता है, क्योंकि सरकार के आदेश के अनुसार 30 फीसदी कर्मचारी ही भी काम कर सकते हैं और सुरक्षा की दृष्टि से भी यदि कम लोग आते हैं, तो काम करना सुरक्षित होता है, लेकिन 10 लोगों का काम यदि तीन लोग करते हैं, तो काम का बोझ तो बढ़ जाता है और मानसिक दवाब भी रहता है'.

परिवार को कोरोना से बचाना जरूरी

कोरोना काल में निजी बैंक कर्मियों को काम के साथ ऑफिस और परिवार के बीच सामंजस्य बिठाना बेहद मुश्किल है. इसके बावजदू बैंक कर्मी, कस्टमर और अपने परिजनों का ख्याल रखते हुए कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं. एक निजी बैंक में काम करने वाली सोनिका बैंक से वापस घट लौटते वक्त पहले खुद को सेनेटाइज करती हैं, साथ ही फैमली से भी सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन कर रही हैं.

कोरोना काल में काम करना बड़ी चुनौती

कोरोना के संक्रमण काल में आर्थिक गतिविधियां सुचारु रुप से चालू रहें, इसके लिए सरकार ने बैंकों को 30 प्रतिशत स्टाफ के साथ काम करने की अनुमति दी है. ऐसे में कहीं ना कहीं बैंककर्मी अपने घर- परिवार और अपने कार्यालय में लोगों से सोशल डिस्टेंस के साथ अन्य उपाय करते हुए अपने आप को बचा रहे हैं. जिस तरीके से कोरोना संक्रमण बढ़ता जा रहा है, ऐसे में बैंककर्मियों को अपने ऑफिस और परिवार के लोगों को संक्रमण से बचाते हुए काम करना वाकई किसी चुनौती से कम नहीं है.

भोपाल। कोरोना के संक्रमण काल में वैसे तो हर वर्ग के लोगों को इस खतरे से दो-चार होना पड़ रहा है, लेकिन एक ऐसा सेक्टर भी है, जो देश में आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चला रहा है. कोरोना के खिलाफ जारी इस जंग में वो अपने को बचाते हुए लोगों की सेवा में जुटा है. हम बात कर रहे हैं बैंकिंग सेक्टर की, जो संक्रमण काल के दौरान भी अपनी जान का ख्याल रखते हुए जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे हैं. कोरोना काल में सरकार ने 30 फीसदी स्टाफ के साथ बैंकों के लिए काम करने की अनुमति दी है. ऐसे में बैंक कर्चमारी पूरी सुरक्षा के साथ कस्टमर को सुरक्षित रखते हुए काम कर रहे हैं.

कोरोना काल में बैंक कर्मचारियों पर बड़ी जिम्मेदारी

कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बाद पूरे देश में इस वायरस को लेकर डर बैठ गया है. बैंक कर्मी मानसी नागर का मानना है कि, 'डर तो लगता है, लेकिन काम भी नहीं छोड़ सकते'. 30 प्रतिशत स्टॉफ के साथ काम करने के आदेश के बाद बैंककर्मियों पर काम का बोझ जरूर बढ़ा, लेकिन वे इस कोरोना काल में पूरी हिम्मत के साथ डटे हुए हैं.

क्या कहते हैं बैंककर्मी ?

निजी बैंक में काम करने वाले रोहित छाबड़ा का कहना है कि, 'इन दिनों स्टाफ कम आता है, ऐसे में कहीं ना कहीं काम का बोझ भी ज्यादा होता है, क्योंकि सरकार के आदेश के अनुसार 30 फीसदी कर्मचारी ही भी काम कर सकते हैं और सुरक्षा की दृष्टि से भी यदि कम लोग आते हैं, तो काम करना सुरक्षित होता है, लेकिन 10 लोगों का काम यदि तीन लोग करते हैं, तो काम का बोझ तो बढ़ जाता है और मानसिक दवाब भी रहता है'.

परिवार को कोरोना से बचाना जरूरी

कोरोना काल में निजी बैंक कर्मियों को काम के साथ ऑफिस और परिवार के बीच सामंजस्य बिठाना बेहद मुश्किल है. इसके बावजदू बैंक कर्मी, कस्टमर और अपने परिजनों का ख्याल रखते हुए कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं. एक निजी बैंक में काम करने वाली सोनिका बैंक से वापस घट लौटते वक्त पहले खुद को सेनेटाइज करती हैं, साथ ही फैमली से भी सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन कर रही हैं.

कोरोना काल में काम करना बड़ी चुनौती

कोरोना के संक्रमण काल में आर्थिक गतिविधियां सुचारु रुप से चालू रहें, इसके लिए सरकार ने बैंकों को 30 प्रतिशत स्टाफ के साथ काम करने की अनुमति दी है. ऐसे में कहीं ना कहीं बैंककर्मी अपने घर- परिवार और अपने कार्यालय में लोगों से सोशल डिस्टेंस के साथ अन्य उपाय करते हुए अपने आप को बचा रहे हैं. जिस तरीके से कोरोना संक्रमण बढ़ता जा रहा है, ऐसे में बैंककर्मियों को अपने ऑफिस और परिवार के लोगों को संक्रमण से बचाते हुए काम करना वाकई किसी चुनौती से कम नहीं है.

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