हैदराबाद। दुनियाभर में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. इसके लिए हर साल बाकायदा एक थीम तैयार किया जाता है. साल विश्व जनसंख्या दिवस 2021 का थीम- अधिकार और विकल्प उत्तर हैं: चाहे बेबी बूम हो या बस्ट, प्रजनन दर में बदलाव का समाधान सभी लोगों के प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को प्राथमिकता देना है. जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को पॉपुलेशन कंट्रोल करने के लिए तरह-तरह से नियमों से अवगत कराना होता है.
विश्वभर में बढ़ रही जनसंख्या, नहीं हो रही कंट्रोल
Human Resource के तौर पर किसी भी देश की जनसंख्या उसके लिए काफी उपयोगी होती है. जनसंख्या कंट्रोल के लिए विश्व भर में तरह-तरह की योजनाएं बनायी जाती हैं. अगर इस तरह की योजनाएं नहीं बनाए जाएं तो पॉपुलेशन अनकंट्रोल हो जाती है. जिससे उस देश में अशिक्षा, बेरोजगारी, भुखमरी और गरीबी का स्तर बढ़ जाता है. बढ़ती पॉपुलेशन की इस बड़ी समस्या से निपटने के लिए परिवार नियोजन जैसे समाधान मौजूद हैं, लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी के कारण इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है.
जानें क्यों मनाया जाता है World Population Day
यूनाइटेड नेशन ने 11 जुलाई 1989 को आम सभा में 'विश्व जनसंख्या दिवस' मनाने का फैसला लिया था. दरअसल, 11 जुलाई 1987 तक वर्ल्ड पॉपुलेशन का आंकड़ा पांच अरब के भी पार पहुंच चुका था. तब दुनिया भर के लोगों को बढ़ती आबादी के प्रति जागरूक करने के लिए इसे वैश्विक स्तर पर मनाने का फैसला लिया गया.
जनसंख्या वृद्धि से जुड़े मुद्दे
- परिवार नियोजन
- लिंग समानता
- बाल विवाह
- मानवाधिकार
- स्वास्थ्य अधिकार, बच्चों का स्वास्थ्य आदि
कैसे मनाया जाता है वर्ल्ड पॉपुलेशन-डे
वर्ल्ड पॉपुलेशन-डे पर पूरी दुनिया में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए लोगों को भिन्न-भिन्न प्रकार के नियमों के बारे में अवगत कराया जाता है. इसके अलावा परिवार नियोजन के मुद्दे पर लोगों से बातचीत की जाती है. इस दिन जगह-जगह जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है. जेंडर इक्वलिटी, मां और बच्चे का स्वास्थ्य, जेंडर एजुकेशन, गर्भनिरोधक दवाओं के इस्तेमाल से लेकर यौन संबंध जैसे सभी गंभीर विषयों पर लोगों से खुलकर चर्चा की जाती है.
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है जागरूक
बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम कोशिशें की जाती हैं. इसके लिए कइ स्थानों पर सम्मेलनों का भी आयोजन किया जाता है और जनसंख्या नियंत्रण जैसे विषय पर चर्चा की जाती है. हालांकि साल 2020 में कोरोना के बाद से इस तरह के सम्मेलनों का आयोजन नहीं हो सका है. इस दिन लोगों को विभिन्न प्रकार की गर्भ निरोधक गोलियों के बारे में भी बताया जाता है.
विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले 10 देश (10 जुलाई, 2021 तक)
देश | जनसंख्या |
चीन | 1,41,35,00,000 |
भारत | 1,35,10,90,000 |
अमेरिका | 34,12,97,000 |
इंडोनेशिया | 229,965,000 |
पाकिस्तान | 21,41,24,000 |
ब्राजील | 21,28,09,000 |
बांग्लादेश | 162,221,000 |
नाइजीरिया | 154,729,000 |
रूस | 14,15,69,000 |
मेक्सिको | 12,86,49,565 |
जनसंख्या नियंत्रण के लिए देश बना रहे चाइल्ड पॉलिसी
आज दुनियाभर में बढ़ती और घटती आबादी को देखते हुए अलग-अलग चाइल्ड पॉलिसी अपनाई जा रही हैं. जिस तरह से जनसंख्या लगातार बढ़ रही है आने वाले समय में यह एक विस्फोट का रूप धारण कर सकती है. विश्वभर में उपायों के बावजूद जनसंख्या पर उस स्तर से नियंत्रण नहीं लग सका है, जितना की उम्मीद की जा रही थी. आज चाइना विश्व भर में जनसंख्या के मामले में नंबर एक पर है, जिसके चलते वहां परिवार नियोजन को लेकर कई तरह के नियम बनाए हुए हैं. वहीं भारत दूसरे नंबर पर है, लेकिन भारत में जिस तरह से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है. जानकार बता रहे हैं कि जल्द ही यह पहले नंबर पर हो सकता है.
चीन की आबादी सबसे ज्यादा
दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश चीन है. वहां काम करने वालों की दर भी अधिक है. इतना ही नहीं जनसंख्या को कंट्रोल करने के लिए चीन ने वन चाइल्ड पॉलिसी भी लागू की थी, हालांकि घटती आबाद की चिंता में फिर से दो चाइल्ड पॉलिसी लाने की बात सामने आ रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले कुछ वर्षों में चीन की आबादी एक अरब 40 करोड़ तक पहुंच जाएगी, लेकिन सदी के अंत तक यह 70 करोड़ रह जाएगी.
विश्व जनसंख्या दिवस आज, जानें इससे जुड़ी खास बातें
जनसंख्या के मामले में भारत दूसरे नंबर पर
भारत देश तेजी से उभरता हुआ देश है. यह विकास की राह पर भी आगे बढ़ रहा है, लेकिन आने वाले समय में भारत की आबादी और अधिक होगी. अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत जल्द चीन को पछाड़ कर सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक सदी के आखिरी छोर तक आबादी घटकर 1 अरब 10 करोड़ रह जाएगी. वहीं आगामी समय में भारत के कई राज्यों में भी वन चाइल्ड पॉलिसी को लागू करने पर विचार किया जा रहा है.