भोपाल। आगामी नगरीय निकाय चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए कांग्रेस आदिवासी सीटों पर विशेष तौर पर फोकस कर रही हैं. आदिवासी वोट बैंक कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है. ऐसी स्थिति में कमलनाथ ने आदिवासी बाहुल्य इलाकों के नेताओं, प्रभारी- सह प्रभारी के साथ 6 जनवरी को बैठक बुलाई है. इस बैठक में नगरीय निकाय की आदिवासी सीटों के लिए विशेष तौर पर रणनीति बनाई जाएगी.
कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है आदिवासी वोट बैंक
आदिवासी बाहुल्य इलाकों में कांग्रेस की पकड़ मजबूत है. इन इलाकों की नगरीय निकाय की सीटों पर कांग्रेस विशेष तौर पर फोकस कर रही हैं. कांग्रेस को भरोसा है कि पार्टी के परंपरागत वोट बैंक के चलते इन सीटों पर उसे जीत हासिल होगी. इसलिए कांग्रेसी इन सीटों के लिए अलग से रणनीति बना रही हैं. इसी सिलसिले में कमलनाथ ने 6 जनवरी बुधवार को अपने आवास पर आदिवासी बाहुल्य इलाकों के नेताओं और प्रभारी सह प्रभारियों की अलग से बैठक बुलाई है.
नगर निगम और नगर पालिकाओं पर विशेष फोकस
मध्य प्रदेश के पिछले नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है. ऐसी स्थिति में कांग्रेस विशेष तौर पर नगर निगम और नगर पालिका पर फोकस कर रही हैं. जहां वह जीत हासिल कर सकती है. आदिवासी इलाकों की नगर निगम के अलावा बड़ी नगर पालिकाओं पर भी कांग्रेस का विशेष फोकस है. बैठक में इन चुनाव क्षेत्रों की रणनीति अलग से बनाई जाएगी और विशेष रूप से इन सीटों पर बड़ी जीत हासिल करने के लिए प्रयास किए जाएंगे.
आदिवासी बाहुल्य सीटों पर बनेगी रणनीति
मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और संगठन प्रभारी चंद्र प्रभाष शेखर का कहना है कि प्रदेश में जितने भी चुनाव हो रहे हैं. 16 नगर निगम क्षेत्र नगर पालिका और नगर परिषद के चुनाव हो गए हैं. कुछ जिले ऐसे हैं, जो आदिवासी बाहुल्य हैं. दिन में झाबुआ, मंडला, उमरिया, शहडोल जैसे जिले शामिल हैं. हमारे आदिवासी बाहुल्य जिलों के प्रभारियों को 6 जनवरी को कमलनाथ ने विशेष तौर पर चर्चा के लिए बुलाया है.