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बब्बर शेर को मध्यप्रदेश लाएगी कमलनाथ सरकार, सुप्रीम कोर्ट में लगाएगी विशेष याचिका

एशियाटिक लायन को गुजरात से मध्यप्रदेश लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दायर करेगी सरकार. सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2013 एशियाटिक शेर की नस्ल बढ़ाने के लिए दिये थे ये निर्देश.

मुख्यमंत्री कमलनाथ
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Published : Jul 26, 2019, 11:34 PM IST

भोपाल। कमलनाथ सरकार गिर अभ्यारण के एशियाटिक शेर (बब्बर शेर) को मध्यप्रदेश लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका लगाने जा रही है. मामले में अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एशियाटिक लायन की नस्ल बढ़ाने और पुनर्वास के लिए उन्हें मध्यप्रदेश भेजने का फैसला दिया था.

एशियाटिक शेर के लिए विशेष याचिका

कांग्रेस का कहना है कि बब्बर शेर की प्रजाति को बचाने के लिए सारी कवायद की जा रही है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ग्वालियर में आए थे, तब उन्होंने बब्बर शेर देने से मना किया था. काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि मध्य प्रदेश सरकार इसके लिए संघर्ष करेगी और न्याय के लिए जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट जाने का कदम भी उठाएगी.

वन्य प्राणी संरक्षण की लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे अजय दुबे का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2013 में कहा था कि एशियाटिक लाइन उनकी सुरक्षा के लिए 6 महीने के अंदर मध्य प्रदेश भेजे जाएं, जो आज तक नहीं भेजे गए हैं. उन्होंने अवमानना की याचिका दायर की थी. भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्वीकार किया था कि वे इस मामले में जल्द कार्रवाई करेंगे,लेकिन ऐसा कुछ न हुआ. अब गुजरात से शेर लाना जन आंदोलन बन चुका है.

भोपाल। कमलनाथ सरकार गिर अभ्यारण के एशियाटिक शेर (बब्बर शेर) को मध्यप्रदेश लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका लगाने जा रही है. मामले में अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एशियाटिक लायन की नस्ल बढ़ाने और पुनर्वास के लिए उन्हें मध्यप्रदेश भेजने का फैसला दिया था.

एशियाटिक शेर के लिए विशेष याचिका

कांग्रेस का कहना है कि बब्बर शेर की प्रजाति को बचाने के लिए सारी कवायद की जा रही है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ग्वालियर में आए थे, तब उन्होंने बब्बर शेर देने से मना किया था. काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि मध्य प्रदेश सरकार इसके लिए संघर्ष करेगी और न्याय के लिए जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट जाने का कदम भी उठाएगी.

वन्य प्राणी संरक्षण की लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे अजय दुबे का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2013 में कहा था कि एशियाटिक लाइन उनकी सुरक्षा के लिए 6 महीने के अंदर मध्य प्रदेश भेजे जाएं, जो आज तक नहीं भेजे गए हैं. उन्होंने अवमानना की याचिका दायर की थी. भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्वीकार किया था कि वे इस मामले में जल्द कार्रवाई करेंगे,लेकिन ऐसा कुछ न हुआ. अब गुजरात से शेर लाना जन आंदोलन बन चुका है.

Intro:भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनने के बाद कई मामलों में गुजरात और मध्यप्रदेश सरकार की तल्खी बढ़ती जा रही है। नर्मदा जल को लेकर तो विवाद चल ही रहा है, अब गिर अभ्यारण के एशियाटिक शेर (बब्बर शेर) को मध्यप्रदेश लाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका लगाने जा रही है। दरअसल इस मामले में अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एशियाटिक लायन की नस्ल बढ़ाने और पुनर्वास के लिए उन्हें मध्यप्रदेश भेजने का फैसला दिया था। लेकिन गुजरात सरकार के सामने मध्यप्रदेश सरकार की नहीं चली और गुजरात सरकार ने आज तक एशियाटिक लायन मध्यप्रदेश नहीं भेजें।इस मामले में कई वन्य प्राणी संगठनों ने भी याचिका दायर की है और अब इस मामले में मध्यप्रदेश सरकार भी सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका लगाने जा रही है।


Body:इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि गुजरात सरकार मध्यप्रदेश को पिछले 15 साल से दबाने का काम कर रही है। यहां तक कि मैं स्मरण दिलाना चाहता हूं कि जब वह प्रधानमंत्री मोदी ग्वालियर में आए थे, तो उन्होंने कहा था कि बब्बर शेर तो क्या, शेर की मूंछ का बाल भी हम नहीं देंगे। जबकि यह सारी व्यवस्था गिर के शेर के संरक्षण के लिए की जा रही है और उस जाति की नस्ल को बचाने की कोशिश के तहत की जा रही है। भारत में मूंछ का सवाल गुजरात में इतना ज्यादा बढ़ गया है कि वह पूरी की पूरी एशियाटिक लायन की नस्ल बचाने की कोशिशों पर भारी पड़ रही है। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि मध्य प्रदेश सरकार इसके लिए संघर्ष करेगी और न्याय के लिए जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट जाने का कदम भी उठाएगी।


Conclusion:वहीं इस मामले में वन्य प्राणी संरक्षण की लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे अजय दुबे का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2013 में कहा था कि एशियाटिक लाइन उनकी सुरक्षा के लिए 6 महीने के अंदर मध्य प्रदेश भेजे जाएं, जो आज तक नहीं भेजे गए हैं। हमने इस मामले में अवमानना की याचिका दायर की थी और भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्वीकार किया था कि वह इस मामले में जल्द कार्रवाई करेंगे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में कहे अनुसार आज तक भारत सरकार ने मध्य प्रदेश से नहीं भेजे हैं। अब हम फिर से सुप्रीम कोर्ट गए हैं कि भारत सरकार और गुजरात सरकार पर कार्रवाई की जाए। गुजरात से शेर लाना जन आंदोलन बन चुका है। सहरिया आदिवासियों की जमीन छीनी गई है, हम उनके हितों की लड़ाई लड़ेंगे और अगर मध्य प्रदेश सरकार इस लड़ाई में हमारे साथ सुप्रीम कोर्ट जा रही है,तो यह कदम स्वागत योग्य है।
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