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क्या दादी की रफ्तार से बीजेपी में आगे बढ़ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ? - भोपाल

लंबे समय के इंतजार के बाद शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया, लेकिन शिवराज की टीम में 28 मंत्रियों में से 11 मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं. ऐसे में सिंधिया ने जिन शर्तों के साथ बीजेपी की सरकार बनवाई थी उसे उन्होंने पूरा करके भी दिखाया. इसी तरह 1967 में जब उनकी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने डीपी मिश्र की सरकार गिराकर प्रदेश में जनसंघ की सरकार बनवाई थी.

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Published : Jul 3, 2020, 8:39 AM IST

Updated : Jul 3, 2020, 1:57 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में आखिरकार लंबे समय बाद शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया, लेकिन शिवराज की यह टीम बिल्कुल अलग नजर आ रही है. इसमें 11 मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं, जिससे एक बात साफ हो गई कि सिंधिया ने जिन शर्तों के साथ बीजेपी की सरकार बनवाई थी उसे उन्होंने पूरा करके भी दिखाया. वहीं इस मंत्रिमंडल के विस्तार से एक बार फिर मध्य प्रदेश के सियासी इतिहास की कुछ घटनाएं जैसे फिर दोहराई गई हों.

File photo
फाइल फोटो

1967 राजमाता ने बनावाई थी जनसंघ की सरकार

ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है कि सिंधिया की तरह 1967 में जब उनकी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने डीपी मिश्र की सरकार गिराकर प्रदेश में जनसंघ की सरकार बनवाई थी, तब राजमाता के समर्थक 36 विधायकों ने अपनी निष्ठा उनके प्रति जताते हुए जनसंघ को समर्थन दिया था. खास बात यह है कि उस वक्त भी सरकार तो जनसंघ की बनी, लेकिन उसमें दबदबा राजमाता का ही रहा था. तब मुख्यमंत्री बने थे गोविंद नारायण सिंह, लेकिन विधानसभा में सत्तापक्ष की नेता राजमाता विजयाराजे सिंधिया खुद बनी थीं. जबकि उनके समर्थक विधायकों को भी उन्होंने मंत्रिमंडल में पर्याप्त जगह दिलाई थी.

File photo
फाइल फोटो

शिवराज के मंत्रिमंडल में सिंधिया का दबदबा

अब इतिहास एक बार फिर दोहराया गया है, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में 22 विधायकों ने इस्तीफा देकर बीजेपी की सरकार बनवाई. तो शिवराज सरकार में सिंधिया की हर बात को तरहीज दी जा रही है. शिवराज ने जब पांच मंत्रियों का छोटा मंत्रिमंडल बनाया तब भी सिंधिया के दो खास समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री बनाया गया.

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फाइल फोटो

वहीं अब जब एक बार फिर शिवराज ने अपनी टीम का विस्तार किया तो फिर सिंधिया के 11 सर्मथक मंत्री बनाए गए. खुद शिवराज सिंह चौहान को अपने कई करीबी विधायकों को मंत्री नहीं बनवा पाए. यानि सिंधिया का दबदबा साफ तौर पर शिवराज सिंह चौहान की टीम में दिख रहा है.

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फाइल फोटो

उपचुनाव प्रचार समिति में सिंधिया ने दिग्गजों को छोड़ा पीछे

इससे पहले बीजेपी ने 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए जो प्रचार समिति बनाई उसमें भी सिंधिया को छठवें नंबर पर रखा गया. जबकि केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और नरोत्तम मिश्रा जैसे दिग्गज नेताओं को उनके बाद रखा गया. यानि सिंधिया तेज रफ्तार से बीजेपी में अपना कद बढ़ा रहे हैं. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सिंधिया के समर्थकों का तो यहां तक दावा है कि वे जल्द ही केंद्र में मंत्री भी बनेंगे.

भोपाल। मध्य प्रदेश में आखिरकार लंबे समय बाद शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया, लेकिन शिवराज की यह टीम बिल्कुल अलग नजर आ रही है. इसमें 11 मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं, जिससे एक बात साफ हो गई कि सिंधिया ने जिन शर्तों के साथ बीजेपी की सरकार बनवाई थी उसे उन्होंने पूरा करके भी दिखाया. वहीं इस मंत्रिमंडल के विस्तार से एक बार फिर मध्य प्रदेश के सियासी इतिहास की कुछ घटनाएं जैसे फिर दोहराई गई हों.

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1967 राजमाता ने बनावाई थी जनसंघ की सरकार

ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है कि सिंधिया की तरह 1967 में जब उनकी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने डीपी मिश्र की सरकार गिराकर प्रदेश में जनसंघ की सरकार बनवाई थी, तब राजमाता के समर्थक 36 विधायकों ने अपनी निष्ठा उनके प्रति जताते हुए जनसंघ को समर्थन दिया था. खास बात यह है कि उस वक्त भी सरकार तो जनसंघ की बनी, लेकिन उसमें दबदबा राजमाता का ही रहा था. तब मुख्यमंत्री बने थे गोविंद नारायण सिंह, लेकिन विधानसभा में सत्तापक्ष की नेता राजमाता विजयाराजे सिंधिया खुद बनी थीं. जबकि उनके समर्थक विधायकों को भी उन्होंने मंत्रिमंडल में पर्याप्त जगह दिलाई थी.

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शिवराज के मंत्रिमंडल में सिंधिया का दबदबा

अब इतिहास एक बार फिर दोहराया गया है, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में 22 विधायकों ने इस्तीफा देकर बीजेपी की सरकार बनवाई. तो शिवराज सरकार में सिंधिया की हर बात को तरहीज दी जा रही है. शिवराज ने जब पांच मंत्रियों का छोटा मंत्रिमंडल बनाया तब भी सिंधिया के दो खास समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री बनाया गया.

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वहीं अब जब एक बार फिर शिवराज ने अपनी टीम का विस्तार किया तो फिर सिंधिया के 11 सर्मथक मंत्री बनाए गए. खुद शिवराज सिंह चौहान को अपने कई करीबी विधायकों को मंत्री नहीं बनवा पाए. यानि सिंधिया का दबदबा साफ तौर पर शिवराज सिंह चौहान की टीम में दिख रहा है.

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उपचुनाव प्रचार समिति में सिंधिया ने दिग्गजों को छोड़ा पीछे

इससे पहले बीजेपी ने 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए जो प्रचार समिति बनाई उसमें भी सिंधिया को छठवें नंबर पर रखा गया. जबकि केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और नरोत्तम मिश्रा जैसे दिग्गज नेताओं को उनके बाद रखा गया. यानि सिंधिया तेज रफ्तार से बीजेपी में अपना कद बढ़ा रहे हैं. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सिंधिया के समर्थकों का तो यहां तक दावा है कि वे जल्द ही केंद्र में मंत्री भी बनेंगे.

Last Updated : Jul 3, 2020, 1:57 PM IST
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