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Congress MLA हर्ष यादव ने लिखी PM मोदी को चिट्ठी, फिर उठा पृथक बुंदेलखंड का मुद्दा

पृथक बुंदेलखंड का मुद्दा एक बार फिर गर्माने (Issue of separate Bundelkhand raised) लगा है. देवरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक हर्ष यादव ने पृथक बुंदेलखंड राज्य की स्थापना की मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को (Congress MLA Harsh Yadav letter to PM) चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में पृथक बुंदेलखंड की मांग की गई है. विधायक ने लिखा है कि बुंदेलखंड राज्य के निर्माण के लिए बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा लंबे समय से संघर्षरत है. संगठन को अवगत कराया गया है कि बुंदेलखंड को राज्य बनाने का प्रस्ताव लोकसभा में रखा जा चुका है.

issue of separate Bundelkhand raised again
Congress MLA हर्ष यादव ने लिखी PM को चिट्ठी
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Published : Nov 21, 2022, 2:19 PM IST

भोपाल। पत्र में विधायक हर्ष यादव ने बुंदेलखंडवासियों की तरफ से प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि पृथक राज्य निर्माण की स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करें. चिट्ठी में हर्ष यादव ने ये भी बताया है कि देश के नक्शे पर बुंदेलखंड राज्य की अलग तस्वीर देखने के लिए यहां के लोग लंबे समय से आंदोलित हैं. इसके लिए जनप्रतिनिधियों के अलावा सामाजिक, राजनीतिक, व्यापारिक संगठनों व आम नागरिकों ने सैकड़ों बार ज्ञापन, धरना व आंदोलन किया है.

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पृथक बुंदेलखंड की मांग चुनाव के समय ही क्यों : मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुल 13 जिलों को मिलाकर बुंदेलखंड का नक्शा बनता है. अक्सर ये मांग उठती रही है कि एमपी और यूपी के बीच बंटे बुंदेलखंड इलाके के सभी जिलों को मिलाकर अलग से बुंदेलखंड राज्य का गठन किया जाए. इस मांग को लंबा समय हो चुका है. 1989 में बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के गठन के साथ ये मांग उठाई गई. आंदोलन इतना धारदार था कि बताते हैं कि इस मांग के समर्थन में 1994 के विधानसभा सत्र और लोकसभा में भी पर्चे फेंके गए थे. 90 के दशक में ही दिल्ली में भी इस मांग को लेकर लंबा प्रदर्शन चला था. इसी दशक में दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी करीब महीने भर तक प्रदर्शन हुआ.

भोपाल। पत्र में विधायक हर्ष यादव ने बुंदेलखंडवासियों की तरफ से प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि पृथक राज्य निर्माण की स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करें. चिट्ठी में हर्ष यादव ने ये भी बताया है कि देश के नक्शे पर बुंदेलखंड राज्य की अलग तस्वीर देखने के लिए यहां के लोग लंबे समय से आंदोलित हैं. इसके लिए जनप्रतिनिधियों के अलावा सामाजिक, राजनीतिक, व्यापारिक संगठनों व आम नागरिकों ने सैकड़ों बार ज्ञापन, धरना व आंदोलन किया है.

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