भोपाल। मस्जिदों मे अब सिर्फ पांच वक्त की नमाज ही नहीं पढ़ी जाएंगी बल्कि यहां इस्लामिक सेंटर बनाने की योजना बनाई है. इस योजना पर काम भी शुरू कर दिया है. योजना के तहत प्रदेश भर में अलग-अलग काम कर रहीं संस्थाओं को एक साथ लगाकर काम किया जाएगा. कमेटी की योजना के मुताबिक शहर की बड़ी मस्जिदों में इस्लामिक सेंटर बनाए जाएंगे. कमेटी की योजना है कि पांच वक्त की नमाज के बाद मस्जिदों की जगह खाली होती है. इस जगह का उपयोग मुस्लिम समाज की तरक्की और उन्हें शिक्षा देने के लिए किया जाएगा.
इस्लामिक सेंटर में मिलेंगी कई सुविधाएं
इन सेंटरों के माध्यम से गरीब और यतीम बच्चों को तालीम, रोजगार आदि सुविधा दी जाएगी. वहीं कमेटी की इन इस्लामिक सेंटरों के साथ पारिवारिक विवादों को सुलझाने के लिए परामर्श केंद्र स्थापित करने की योजना है. कमेटी की ये योजना बैंगलोर और दिल्ली में संचालित इस्लामिक सेंटरों की तर्ज पर तैयार की गई है.
कुरान के साथ देंगे उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी की तालीम
मसाजिद कमेटी सचिव एसएम सलमान ने बताया कि बताया कि मस्जिद कमेटी शहर की बड़ी मस्जिदों में इस्लामिक सेंटर बनाने की योजना पर काम कर रही है. मस्जिदों में पांच वक्त की नमाज के बाद यहां जगह खाली होती है. जिसका उपयोग तालीम, रोजगार और अन्य जरूरी कामों के लिए किया जा सकता है. बैंगलोर और दिल्ली में संचालित इस तरह के सेंटरों को आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि इन सेंटरों से कुरान की तालीम के साथ उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी विषयों को पढ़ाते हुए बेसिक तालीम दी जा सकती है.
इस्लामिक सेंटरों में मिलेंगी ये सुविधाएं
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही शहर की मस्जिदों में पारिवारिक विवादों को सुलझाने के लिए परामर्श केन्द्र की स्थापना भी की जाएगी. इससे लोगों को अपनी परेशानियों का हल अपने मोहल्ले और नजदीकी मस्जिदों में ही मिल जाएगा.
सेंटर से होंगे कई फायदें
सलमान ने बताया कि इस्लामिक सेंटरों से कॅरियर काउंसलिंग, मेडिकल सुविधा, लाइब्रेरी, कॉन्फ्रेंस हॉल, किड्स प्ले जोन, बाहर से आए स्टूडेंट्स और कामकाजी लोगों के ठहरने के इंतजाम किए जा सकते हैं.
इन सेंटरों का संचालन मस्जिदों में बनाई गईं दुकानों से किया जाएगा. बोर्ड के प्रशासक निसार अहमद ने कहा मस्जिदों में रोजगार, स्वास्थ्य और कॅरियर गाइडेंस के कैंप लगाकर मुस्लिम समाज को फायदा पहुंचाया जा सकता है.