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दीन के साथ दुनिया की तालीम देंगी मस्जिदें, इस्लामिक सेंटर से खुलेंगे मुस्लिम समाज की तरक्की के द्वार

मस्जिदों मे अब सिर्फ पांच वक्त की नमाज ही नहीं पढ़ी जाएगी बल्कि यहां इस्लामिक सेंटर बनाने की योजना बनाई है. इस योजना के तहत शहर की बड़ी मस्जिदों में इस्लामिक सेंटर बनाए जाएंगे.

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मस्जिदों में खुलेंगे इस्लामिक सेंटर
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Published : Nov 30, 2019, 10:31 AM IST

Updated : Dec 2, 2019, 3:18 PM IST

भोपाल। मस्जिदों मे अब सिर्फ पांच वक्त की नमाज ही नहीं पढ़ी जाएंगी बल्कि यहां इस्लामिक सेंटर बनाने की योजना बनाई है. इस योजना पर काम भी शुरू कर दिया है. योजना के तहत प्रदेश भर में अलग-अलग काम कर रहीं संस्थाओं को एक साथ लगाकर काम किया जाएगा. कमेटी की योजना के मुताबिक शहर की बड़ी मस्जिदों में इस्लामिक सेंटर बनाए जाएंगे. कमेटी की योजना है कि पांच वक्त की नमाज के बाद मस्जिदों की जगह खाली होती है. इस जगह का उपयोग मुस्लिम समाज की तरक्की और उन्हें शिक्षा देने के लिए किया जाएगा.

मस्जिदों में खुलेंगे इस्लामिक सेंटर

इस्लामिक सेंटर में मिलेंगी कई सुविधाएं
इन सेंटरों के माध्यम से गरीब और यतीम बच्चों को तालीम, रोजगार आदि सुविधा दी जाएगी. वहीं कमेटी की इन इस्लामिक सेंटरों के साथ पारिवारिक विवादों को सुलझाने के लिए परामर्श केंद्र स्थापित करने की योजना है. कमेटी की ये योजना बैंगलोर और दिल्ली में संचालित इस्लामिक सेंटरों की तर्ज पर तैयार की गई है.

कुरान के साथ देंगे उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी की तालीम
मसाजिद कमेटी सचिव एसएम सलमान ने बताया कि बताया कि मस्जिद कमेटी शहर की बड़ी मस्जिदों में इस्लामिक सेंटर बनाने की योजना पर काम कर रही है. मस्जिदों में पांच वक्त की नमाज के बाद यहां जगह खाली होती है. जिसका उपयोग तालीम, रोजगार और अन्य जरूरी कामों के लिए किया जा सकता है. बैंगलोर और दिल्ली में संचालित इस तरह के सेंटरों को आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि इन सेंटरों से कुरान की तालीम के साथ उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी विषयों को पढ़ाते हुए बेसिक तालीम दी जा सकती है.

इस्लामिक सेंटरों में मिलेंगी ये सुविधाएं
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही शहर की मस्जिदों में पारिवारिक विवादों को सुलझाने के लिए परामर्श केन्द्र की स्थापना भी की जाएगी. इससे लोगों को अपनी परेशानियों का हल अपने मोहल्ले और नजदीकी मस्जिदों में ही मिल जाएगा.

सेंटर से होंगे कई फायदें
सलमान ने बताया कि इस्लामिक सेंटरों से कॅरियर काउंसलिंग, मेडिकल सुविधा, लाइब्रेरी, कॉन्फ्रेंस हॉल, किड्स प्ले जोन, बाहर से आए स्टूडेंट्स और कामकाजी लोगों के ठहरने के इंतजाम किए जा सकते हैं.

इन सेंटरों का संचालन मस्जिदों में बनाई गईं दुकानों से किया जाएगा. बोर्ड के प्रशासक निसार अहमद ने कहा मस्जिदों में रोजगार, स्वास्थ्य और कॅरियर गाइडेंस के कैंप लगाकर मुस्लिम समाज को फायदा पहुंचाया जा सकता है.

भोपाल। मस्जिदों मे अब सिर्फ पांच वक्त की नमाज ही नहीं पढ़ी जाएंगी बल्कि यहां इस्लामिक सेंटर बनाने की योजना बनाई है. इस योजना पर काम भी शुरू कर दिया है. योजना के तहत प्रदेश भर में अलग-अलग काम कर रहीं संस्थाओं को एक साथ लगाकर काम किया जाएगा. कमेटी की योजना के मुताबिक शहर की बड़ी मस्जिदों में इस्लामिक सेंटर बनाए जाएंगे. कमेटी की योजना है कि पांच वक्त की नमाज के बाद मस्जिदों की जगह खाली होती है. इस जगह का उपयोग मुस्लिम समाज की तरक्की और उन्हें शिक्षा देने के लिए किया जाएगा.

मस्जिदों में खुलेंगे इस्लामिक सेंटर

इस्लामिक सेंटर में मिलेंगी कई सुविधाएं
इन सेंटरों के माध्यम से गरीब और यतीम बच्चों को तालीम, रोजगार आदि सुविधा दी जाएगी. वहीं कमेटी की इन इस्लामिक सेंटरों के साथ पारिवारिक विवादों को सुलझाने के लिए परामर्श केंद्र स्थापित करने की योजना है. कमेटी की ये योजना बैंगलोर और दिल्ली में संचालित इस्लामिक सेंटरों की तर्ज पर तैयार की गई है.

कुरान के साथ देंगे उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी की तालीम
मसाजिद कमेटी सचिव एसएम सलमान ने बताया कि बताया कि मस्जिद कमेटी शहर की बड़ी मस्जिदों में इस्लामिक सेंटर बनाने की योजना पर काम कर रही है. मस्जिदों में पांच वक्त की नमाज के बाद यहां जगह खाली होती है. जिसका उपयोग तालीम, रोजगार और अन्य जरूरी कामों के लिए किया जा सकता है. बैंगलोर और दिल्ली में संचालित इस तरह के सेंटरों को आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि इन सेंटरों से कुरान की तालीम के साथ उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी विषयों को पढ़ाते हुए बेसिक तालीम दी जा सकती है.

इस्लामिक सेंटरों में मिलेंगी ये सुविधाएं
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही शहर की मस्जिदों में पारिवारिक विवादों को सुलझाने के लिए परामर्श केन्द्र की स्थापना भी की जाएगी. इससे लोगों को अपनी परेशानियों का हल अपने मोहल्ले और नजदीकी मस्जिदों में ही मिल जाएगा.

सेंटर से होंगे कई फायदें
सलमान ने बताया कि इस्लामिक सेंटरों से कॅरियर काउंसलिंग, मेडिकल सुविधा, लाइब्रेरी, कॉन्फ्रेंस हॉल, किड्स प्ले जोन, बाहर से आए स्टूडेंट्स और कामकाजी लोगों के ठहरने के इंतजाम किए जा सकते हैं.

इन सेंटरों का संचालन मस्जिदों में बनाई गईं दुकानों से किया जाएगा. बोर्ड के प्रशासक निसार अहमद ने कहा मस्जिदों में रोजगार, स्वास्थ्य और कॅरियर गाइडेंस के कैंप लगाकर मुस्लिम समाज को फायदा पहुंचाया जा सकता है.

Intro:भोपाल। मस्जिदों मे अब सिर्फ पांच वक्त की नमाज़ ही नही पढ़ी जाएगी बल्कि यहा इस्लामिक सेंटर बनाने की योजना बनाई है। इस योजना पर काम भी शुरू कर दिया है। इस योजना के तहत प्रदेश भर में अलग-अलग काम कर रहीं विभिन्न संस्थाओं को एक साथ लगाकर काम किया जाएगा। कमेटी की योजना के मुताबिक शहर की बड़ी मस्जिदों में इस्लामिक सेंटर बनाए जाएंगे। कमेटी की योजना है कि पांच वक्त की नमाज के बाद मस्जिदों की जगह खाली होती है। इस जगह का उपयोग मुस्लिम समाज की तरक्की और उन्हें शिक्षा देने के लिए किया जाएगा। इन सेंटरों के माध्यम से गरीब और यतीम बच्चों को तालीम, रोजगार आदि सुविधा दी जाएगी। वहीं कमेटी की इन इस्लामिक सेंटरों के साथ पारिवारिक विवादों को सुलझाने के लिए परामर्श केंद्र स्थापित करने की योजना है। कमेटी की यह योजना बैंगलोर और दिल्ली में संचालित इस्लामिक सेंटरों की तर्ज पर तैयार की गई है। इस योजना को कमेटी ने अमलीजामा पहनाने का काम शुरू कर दिया और कमेटी ने छह माह से शहर की बड़ी मस्जिदों में इस्लामिक सेंटर तैयार करने का प्लॉन बनाया है। इन सेंटरों के सफल होने के बाद प्रदेश भर में ऐसे सेंटर बनाए जाएंगे। Body:कुरआन के साथ देंगे उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी की तालीम

मसाजिद कमेटी सचिव एसएम सलमान ने बताया कि बताया कि मसाजिद कमेटी शहर की बड़ी मस्जिदों में इस्लामिक सेंटर बनाने की योजना पर काम कर रही है। उन्होंने बताया कि मस्जिदों में पांच वक्त की नमाज के बाद यहां जगह खाली होती है, जिसका उपयोग तालीम, रोजगार और अन्य जरूरी कामों के लिए किया जा सकता है। बैंगलोर और दिल्ली में संचालित इस तरह के सेंटरों को आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि इन सेंटरों से कुरआन की तालीम के साथ उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी विषयों को पढ़ाते हुए बेसिक तालीम दी जा सकती है।

इस्लामिक सेंटरों में मिलेंगी ये सुविधाएं
वहीं उन्होंने बताया कि इसके साथ ही शहर की मस्जिदों में पारिवारिक विवादों को सुलझाने के लिए परामर्श केन्द्र की स्थापना भी की जाएगी। इससे लोगों को अपनी परेशानियों का हल अपने मोहल्ले और नजदीकी मस्जिदों में ही मिल जाएगा। सलमान ने बताया कि इस्लामिक सेंटरों से कॅरियर काउंसलिंग, मेडिकल सुविधा, लाइब्रेरी, कॉन्फ्रेंस हॉल, किड्स प्ले जोन, बाहर से आए स्टूडेंट्स और कामकाजी लोगों के ठहरने के इंतजाम आदि किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इन सेंटरों का संचालन मस्जिदों में बनाई गईं दुकानों से किया जाएगा।
Conclusion:आएं, देखें और समझें, क्या है मस्जिद और इस्लाम।
मसाजिद कमेटी इन इस्लामिक सेंटरों में अन्य धर्मों के लोगों को बुलाकर इस्लाम, नमाज, कुरआन आदि के बारे में जानकारी देने की भी योजना बनाई है। इसका मकसद लोगों के दिलों में हमेशा बनी रहने वाली इन बातों को साफ किया जा सकेगा कि आखिर मस्जिदों से होता क्या है। वहीं मसाजिद कमेटी द्वारा तैयार की गई इस योजना में मप्र वक्फ बोर्ड सहयोग कर रहा है।

मस्जिदों में समय पर लगेंगे रोजगार और स्वास्थ्य संबंधित कैंप
बोर्ड के प्रशासक निसार अहमद ने कहा मस्जिदों में रोजगार, स्वास्थ्य और कॅरियर गाइडेंस के कैंप लगाकर मुस्लिम समाज को फायदा पहुंचाया जा सकता है।
Last Updated : Dec 2, 2019, 3:18 PM IST
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