भोपाल। भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) का मकसद तो जाहिर है, लेकिन वो कौन सी ड्राइविंग फोर्स है जो राहुल गांधी की थमने नहीं दे रही. क्या वजह है कि इतने निजी हमलों के बाद भी राहुल गांधी हर मुद्दे पर पलटवार नहीं करते. क्या ये यात्रा राहुल गांधी की पप्पू की छवि को धो पाएगी. (Mission mp 2023 Sal Chunavi hai) भारत जोड़ो यात्रा के स्थाई नौजवान यात्री अंशुल त्रिवेदी के जरिए हमने यात्रा के अनदेखे हिस्सों को जानने की कोशिश की. कन्हैया कुमार और अंशुल त्रिवेदी यात्रा के ये वो साथी हैं जो कन्याकुमारी से शुरु हुई इस यात्रा में कदम कदम राहुल गांधी के साथ बने हुए हैं. ये उन 119 यात्रियों में शामिल हैं जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा में लगातार चलेंगे.
इस वजह से यात्रा में फिट है राहुल: सबसे बड़ा सवाल इन दिनों यही है कि, 50 की उम्र को छू रहे राहुल गांधी रोज 20-25 किलोमीटर चलने के बाद भी लगातार फिट कैसे बने रहते हैं. अंशुल त्रिवेदी उनके एक्सरसाइज शैड्यूल के बारे में बताते हैं, उनका मार्शल आर्ट ट्रेनर भी साथ चल रहा है. राहुल यात्रा में इतने किलोमीटर चलने के बाद भी अपनी एक्सरसाइज 1 दिन को भी नहीं छोड़ते. अंशुल बताते हैं, राहुल विपश्यना करते हैं रोज. विपश्यना वो साधना जिसमें सत्य में जीता है व्यक्ति मानसिक बंधनों से मुक्त होकर.अंशुल कहते हैं विपक्षी दलों ने राहुल गांधी की जो छवि गढ़ी है. मीडिया ने जो दिखाया. इस यात्रा में 5 मिनिट साथ चलिए राहुल गांधी को जानेंगे कि वो कितने अलग हैं.
हर दिन राहुल करते हैं एकिडो अभ्यास: अंशुल बताते हैं कम लोग जानते हैं कि राहुल गाधी का मार्शल आर्ट भी बखूबी जानते हैं. उनके मार्शल आर्ट के ट्रेनर हमारे साथ चल रहे हैं. एक्सरसाईज के बाद वे मार्शल आर्ट भी करते हैं. खास बात ये है कि जो एकिडो मार्शल आर्ट है इसमे बिना हथियार के विरोधी को मात दी जाती है, ये इस तरह की कला है. एक तरह से कहें तो राहुल गांधी की राजनीति भी यही है. वो अहिंसा से मात देने वालों में हैं. राहुल गांधी की फिलॉसफी भी यही अहिंसा और करुणा से आगे बढ़ने वाले हैं. राहुल स्पीरिचुअल व्यक्ति हैं. यात्रा के दौरान आम लोगों के साथ की जितनी तस्वीरें वायरल हो रही हैं. वो स्पॉन्टेनियस हैं. कोई थ्री कैमरा शूट के बाद ये फोटो सेशन नहीं है. करुणा से भरे हुए हैं राहुल गांधी और बाकी दुनिया को भी वही दे रहे हैं.
जब अपना दर्द भूल गए राहुल: अंशुल बताते हैं कि, आप भारत जोड़ो यात्रा में चलेंगे तो जान पाएंगे कि राहुल गांधी की कितने सहज और सरल हैं. एक दिन का वाकया आपको बताता हूं उस दिन उनके पैरों में काफी दर्द था. हम सभी के होता है. इतना चलने के बाद ये कोई हैरानी की बात नहीं और उसी दिन पब्लिक चाहती थी कि, राहुल गांधी उनका अभिवादन करें. तो राहुल गांधी उतने दर्द में भी किसी तरह से गाड़ी के ऊपर चढे और मुस्कुराते हुए सबका अभिवादन स्वीकार किया.
सबसे बड़ा बदलाव:अंशुल कहते हैं मैं ये बताना चाह रहा हूं कि, सुबह 5 बजे से उठकर रात 8 बजे तक लगातार यात्रा में रहना मजाक नहीं है. और सबसे बड़ा बदलाव जो इस यात्रा के जरिए हो रहा है वो ये कि लोगों को लग रहा है कि कोई सुनने वाला तो है. लोग आकर अपने दुख परेशानियां राहुल गांधी को बता रहे हैं.
कंटेनर टेम्परेरी घर, जहां सूरज से पहले सुबह: इस यात्रा में 58 कंटेनर लगातार चल रहे हैं. जो यात्रियों का अस्थाई घर भी है. इस कंटेनर में तड़के 5 बजे सुबह हो जाती है. 6 बजे झंडावंदन के साथ यात्रा शुरु हो जाती है. अंशुल कहते हैं आप सोचिए हर दिन का यही शेड्यूल है. इसके बाद भी राहुल के चेहरे पर शिकन नहीं आती. बल्कि मैं तो उहें तब देखता हूं गौर से जब वो दूसरे लोगों से मिलते हैं कितनी करुणा होती है उनके चेहरे पर कितना अपनापन.
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70 पार कैसे हिट और फिट दिग्विजय: अंशुल के मुताबिक, इस यात्रा में राहुल गांधी के बाद जिनकी फिटनेस और अनुशासन से सब मात खा जाते हैं वे दिग्विजय सिंह हैं. 70 पार की उम्र में भी जब वो चलते हैं तो कई नौजावन उनके साथ उस रफ्तार से नहीं चल पाते. दूसरा वो यात्राके हर सदस्य को नाम से जानते हैं. कहिए तो इलाका भी बता देंगे इतना कनेक्ट रहते हैं. और गजब की बात ये है कि, जहां यात्रा ठहरी वहीं एक कोने में योगा का अभ्यान भी कर लेते हैं. एक दिन के लिए भी वे योग मिस नहीं करते. एक कोने में जहां दरी बिछी है. वहीं विश्राम भी. अंशुल कहते हैं राजनीति में आने हम जैसे लोग सीख रहे है कि जमीनी होना क्या होता है.