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खेती पर महंगाई की मार! दोगुनी हो गई लागत, नहीं मिल रहा लाभ

मध्य प्रदेश (MP) के किसान (Farmer) बढ़ती महंगाई (inflation) और खाद की किल्लत से बेहाल हैं. किसानों की मानें तो खेती की लागत दोगुना हो गई है, जबकि उस अनुपात में लाभ नहीं मिलता. बीते तीन सालों में डीजल (Diesel) के रेट करीब ₹30 तक बढ़ गए, ऊपर से खाद की कमी और अनचाहे मौसम की परेशानी अलग.

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Published : Nov 22, 2021, 9:41 PM IST

kissan
दोगुना महंगी हुई खेती की लागत

भोपाल। मध्य प्रदेश (MP) के किसान (Farmer) इन दिनों निराश हैं. सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुना करने की बात कही जा रही है जबकि इसका उल्टा असर पड़ रहा है. लगातार बढ़ रही महंगाई (inflation) से खेती की लागत दोगुना हो गई है. गौरतलब है कि 3 साल में डीजल की कीमतों (Diesel rate) में ₹30 से अधिक की वृद्धि हुई है, इससे खेती की लागत दोगुनी हो गई है वहीं खेती संबंधी अन्य कार्यों की लागत भी बढ़ गई है. बढ़ती महंगाई को लेकर प्रदेश के किसान परेशान हैं. ट्रैक्टर से जुताई के लिए महंगे दामों पर डीजल खरीदना पड़ता है. खाद समय पर नहीं मिलने से भी हालत खराब हुई है.

MP में जारी है...नेम चेंज पॉलिटिक्स

नहीं निकल पा रही लागत

भारतीय किसान संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष और उन्नतशील किसान मिश्रीलाल राजपूत का कहना है कि अगर एक किसान के पास 2 से 3 एकड़ जमीन है तो उसे उपज के लिए जितनी लागत लगती है उतनी कीमत उसे नहीं मिल रही है. खेती के लिए किसान को बीज, खाद ,डीजल ,कीटनाशक, मजदूरी के लिए और साहूकार का कर्ज चुकाने के लिए पैसे का प्रबंध करना पड़ता है. बढ़ती महंगाई (inflation) के कारण लोन की राशि और ब्याज भी लगातार बढ़ता है.

किसान का बढ़ गया खर्च

कम खर्च में जल्दी खेती के लिए प्रयोग किया जाने वाला यंत्र रोटावेटर का खर्च वर्ष 2019 में 1300 रुपए के करीब आता था वहीं 2020 में यह बढ़कर 1980 रुपए हो गया. इसके साथ ही 2021 में इसका खर्च ₹2300 पर पहुंच गया. वहीं डीजल इंजन पंपिंग सेट से पानी चलाने का रेट 2019 में ₹150 प्रति घंटा था, जो 2020 में बढ़कर 210 से ₹220 प्रति घंटा हो गया. वही वर्ष 2021 में इसका रेट ढाई सौ रुपए प्रति घंटा हो गया. धान की कटाई के रेट की बात की जाए तो प्रति एकड़ वर्ष 2020 में ₹2100खर्च आता था, वहीं 2021 में ढाई हजार रुपए प्रति एकड़ हो गया है. 2019 में ₹69 प्रति लीटर था डीजल सितंबर 2019 में डीजल ₹69 प्रति लीटर था, वहीं सितंबर 2020 में 80 रुपए और नवंबर 2021 में डीजल 107 रुपए पर पहुंच गया था. फिर केंद्र सरकार ने exice duty और मप्र सरकार ने vat घटाया इसके बाद भी डीजल करीब 91 रुपए प्रति लीटर में बिक रहा है.
Tigers के अवैध शिकार का मामला पहुंचा High Court, सुरक्षा के लिए स्पेशल फोर्स तैनात करने की मांग

जुताई का खर्च भी बढ़ा

प्रदेश में ज्यादातर किसान (Farmer) डीजल इंजन पंपसेट से अपने खेतों की सिंचाई करते आ रहे हैं. किसानों को ₹100 से अधिक दाम पर डीजल खरीदना पड़ा है. करीब 15 दिन पहले ही सरकार ने डीजल के रेट में कमी की है इसके बावजूद बहुत ज्यादा अंतर नहीं आया है, किसान बताते हैं कि जुताई की लागत 100 से 200 रुपए अधिक महंगी हो गई है. पहले यह 700 रुपए प्रति एकड़ प्रति घंटा थी, अब यह बढ़कर 800 से ₹900 हो गई है. इसी तरह अन्य खर्चे भी बढ़ गए हैं. टैक्स में और कमी लाए सरकार मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के प्रवक्ता फिरोज सिद्दीकी का कहना है कि सरकार ने भले ही डीजल के रेट में कमी करने के लिए एक्साइज ड्यूटी और वेट में थोड़ी राहत दी है लेकिन अभी भी इससे किसानों की हालत में सुधार नहीं हुआ है. महंगे बीज और खाद के साथ ही कृषि यंत्रों पर जीएसटी (GST) और वेट (VAT) के चलते किसानों को ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. महंगी बिजली ने भी किसानों की कमर तोड़ दी है. इससे किसानों की लागत का मूल्य नहीं मिल पा रहा है. सरकार को टैक्स में और कमी नहीं चाहिए.

भोपाल। मध्य प्रदेश (MP) के किसान (Farmer) इन दिनों निराश हैं. सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुना करने की बात कही जा रही है जबकि इसका उल्टा असर पड़ रहा है. लगातार बढ़ रही महंगाई (inflation) से खेती की लागत दोगुना हो गई है. गौरतलब है कि 3 साल में डीजल की कीमतों (Diesel rate) में ₹30 से अधिक की वृद्धि हुई है, इससे खेती की लागत दोगुनी हो गई है वहीं खेती संबंधी अन्य कार्यों की लागत भी बढ़ गई है. बढ़ती महंगाई को लेकर प्रदेश के किसान परेशान हैं. ट्रैक्टर से जुताई के लिए महंगे दामों पर डीजल खरीदना पड़ता है. खाद समय पर नहीं मिलने से भी हालत खराब हुई है.

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नहीं निकल पा रही लागत

भारतीय किसान संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष और उन्नतशील किसान मिश्रीलाल राजपूत का कहना है कि अगर एक किसान के पास 2 से 3 एकड़ जमीन है तो उसे उपज के लिए जितनी लागत लगती है उतनी कीमत उसे नहीं मिल रही है. खेती के लिए किसान को बीज, खाद ,डीजल ,कीटनाशक, मजदूरी के लिए और साहूकार का कर्ज चुकाने के लिए पैसे का प्रबंध करना पड़ता है. बढ़ती महंगाई (inflation) के कारण लोन की राशि और ब्याज भी लगातार बढ़ता है.

किसान का बढ़ गया खर्च

कम खर्च में जल्दी खेती के लिए प्रयोग किया जाने वाला यंत्र रोटावेटर का खर्च वर्ष 2019 में 1300 रुपए के करीब आता था वहीं 2020 में यह बढ़कर 1980 रुपए हो गया. इसके साथ ही 2021 में इसका खर्च ₹2300 पर पहुंच गया. वहीं डीजल इंजन पंपिंग सेट से पानी चलाने का रेट 2019 में ₹150 प्रति घंटा था, जो 2020 में बढ़कर 210 से ₹220 प्रति घंटा हो गया. वही वर्ष 2021 में इसका रेट ढाई सौ रुपए प्रति घंटा हो गया. धान की कटाई के रेट की बात की जाए तो प्रति एकड़ वर्ष 2020 में ₹2100खर्च आता था, वहीं 2021 में ढाई हजार रुपए प्रति एकड़ हो गया है. 2019 में ₹69 प्रति लीटर था डीजल सितंबर 2019 में डीजल ₹69 प्रति लीटर था, वहीं सितंबर 2020 में 80 रुपए और नवंबर 2021 में डीजल 107 रुपए पर पहुंच गया था. फिर केंद्र सरकार ने exice duty और मप्र सरकार ने vat घटाया इसके बाद भी डीजल करीब 91 रुपए प्रति लीटर में बिक रहा है.
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जुताई का खर्च भी बढ़ा

प्रदेश में ज्यादातर किसान (Farmer) डीजल इंजन पंपसेट से अपने खेतों की सिंचाई करते आ रहे हैं. किसानों को ₹100 से अधिक दाम पर डीजल खरीदना पड़ा है. करीब 15 दिन पहले ही सरकार ने डीजल के रेट में कमी की है इसके बावजूद बहुत ज्यादा अंतर नहीं आया है, किसान बताते हैं कि जुताई की लागत 100 से 200 रुपए अधिक महंगी हो गई है. पहले यह 700 रुपए प्रति एकड़ प्रति घंटा थी, अब यह बढ़कर 800 से ₹900 हो गई है. इसी तरह अन्य खर्चे भी बढ़ गए हैं. टैक्स में और कमी लाए सरकार मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के प्रवक्ता फिरोज सिद्दीकी का कहना है कि सरकार ने भले ही डीजल के रेट में कमी करने के लिए एक्साइज ड्यूटी और वेट में थोड़ी राहत दी है लेकिन अभी भी इससे किसानों की हालत में सुधार नहीं हुआ है. महंगे बीज और खाद के साथ ही कृषि यंत्रों पर जीएसटी (GST) और वेट (VAT) के चलते किसानों को ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. महंगी बिजली ने भी किसानों की कमर तोड़ दी है. इससे किसानों की लागत का मूल्य नहीं मिल पा रहा है. सरकार को टैक्स में और कमी नहीं चाहिए.

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