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शिव महिमा केन्द्रित 'गणगौर उत्सव' का आयोजन, संग्रहालय के यूट्यूब चैनल पर होगा प्रसारित - Bhopal News

भोपाल अकादमी द्वारा तीन दिवसीय गणगौर उत्सव का आयोजन संग्राहालय के यूट्यूब चैनल निमाड़ अंचल में नौ दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठानिक पर्व का शुभारंभ निमाड़ अंचल के पारंपरिक गणगौर नृत्य से हुआ.

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गणगौर उत्सव
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Published : Aug 29, 2020, 2:27 PM IST

भोपाल। अकादमी द्वारा तीन दिवसीय गणगौर उत्सव का आयोजन संग्राहालय के यूट्यूब चैनल पर 28 से 30 अगस्त 2020 तक सायं 6 बजे से किया जा रहा है. मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल में नौ दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठानिक पर्व का शुभारंभ निमाड़ अंचल के पारंपरिक गणगौर नृत्य से हुआ.

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गणगौर उत्सव

गणगौर पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला पर्व है, जिसमें स्त्रियों और पुरषों की अपनी-अपनी भूमिका निश्चित होती है. प्रतिदिन प्रातः से ही अनुष्ठान प्रारम्भ होते हैं, जो देर रात्रि तक नृत्य-गीत, गम्मत के साथ विश्राम लेते हैं. समापन दिवस मातृशक्ति को उसके लौकिक संसार से ससुराल के लिए विदाई की जाती है.

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गणगौर उत्सव

बाद में उड़ीसा के पारंपरिक लोकनृत्य गोटीपुआ की प्रस्तुति प्रसारित की गई. गोटीपुआ में सभी नर्तक 6 से 15 वर्ष के बच्चे होते हैं और स्त्रियों की तरह श्रृंगार कर विभिन्न हस्त-पद मुद्राएं बनाते हुए नृत्य करते हैं. यही नर्तक बड़े होकर शास्त्रीय ओडिसी नृत्य परंपरा के गुरू बनते हैं. इस अनुष्ठानिक पर्व के 'सरे दिन 29 अगस्त को कथक नृत्य के माध्यम से भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरुप की प्रस्तुति होगी.

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भोपाल। अकादमी द्वारा तीन दिवसीय गणगौर उत्सव का आयोजन संग्राहालय के यूट्यूब चैनल पर 28 से 30 अगस्त 2020 तक सायं 6 बजे से किया जा रहा है. मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल में नौ दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठानिक पर्व का शुभारंभ निमाड़ अंचल के पारंपरिक गणगौर नृत्य से हुआ.

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गणगौर पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला पर्व है, जिसमें स्त्रियों और पुरषों की अपनी-अपनी भूमिका निश्चित होती है. प्रतिदिन प्रातः से ही अनुष्ठान प्रारम्भ होते हैं, जो देर रात्रि तक नृत्य-गीत, गम्मत के साथ विश्राम लेते हैं. समापन दिवस मातृशक्ति को उसके लौकिक संसार से ससुराल के लिए विदाई की जाती है.

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बाद में उड़ीसा के पारंपरिक लोकनृत्य गोटीपुआ की प्रस्तुति प्रसारित की गई. गोटीपुआ में सभी नर्तक 6 से 15 वर्ष के बच्चे होते हैं और स्त्रियों की तरह श्रृंगार कर विभिन्न हस्त-पद मुद्राएं बनाते हुए नृत्य करते हैं. यही नर्तक बड़े होकर शास्त्रीय ओडिसी नृत्य परंपरा के गुरू बनते हैं. इस अनुष्ठानिक पर्व के 'सरे दिन 29 अगस्त को कथक नृत्य के माध्यम से भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरुप की प्रस्तुति होगी.

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