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MP By-Election: चुनाव हारे तो मंत्रियों पर गिरेगी गाज, परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार कर रहा है संगठन

प्रदेश में उप चुनाव की तारीखों का मंगलवार को चुनाव आयोग (Election Commission) ने ऐलान कर दिया है. खंडवा लोकसभा समेत 3 विधानसभा में 30 अक्टूबर को वोटिंग होगी. वहीं दो नवंबर को मतगणना होगी.

MP By Election
भोपाल समाचार
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Published : Oct 3, 2021, 6:45 AM IST

Updated : Oct 3, 2021, 9:13 AM IST

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (MP) की 4 सीटों पर बीजेपी (BJP) हर हाल में जीतना चाहती है. इसके लिए बैठकों (Meeting) का दौर भी शुरू हो चुका है. वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj singh chouhan) ने इन चार सीटों पर जनदर्शन यात्रा भी निकाल दी है, चारों सीटों के प्रभारियों ने रणनीति के हिसाब से मोर्चा भी संभाल लिया है.

चुनाव हारे तो मंत्रियों पर गिरेगी गाज

मंत्रियों को दौरे करने की नसीहत
सीएम निवास पर लगातार बैठकों का दौर जारी है और इस दौरान बैठक में यह संकेत भी दिए गए कि चुनावी नतीजों के हिसाब से मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार होगी. मंत्रियों को लगातार दौरे करने की नसीहत दी गई है, और जो भी जन कल्याणकारी योजना है वह जनता को मिले इसकी मॉनिटरिंग मंत्री को ही करना है, जो रिपोर्ट मिली उससे पता चला कि प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ने तो वहां पर दौरे किए हैं, लेकिन क्षेत्रों के प्रभारी मंत्री उतनी मुस्तैदी से वहां पर नहीं डटे हैं.

मुख्यमंत्री ने दिए संकेत
ऐसे में कहा गया है कि जिन क्षेत्रों में बीजेपी यदि हारती है, तो उसकी जिम्मेदारी मंत्री की होगी. संगठन के पदाधिकारी भी उतने ही जिम्मेदार होंगे. उनका परफॉर्मेंस इसी जरिए आंका जाएगा. मुख्यमंत्री पहले ही संकेत दे चुके हैं कि जोबट और पृथ्वीपुर सीट पर बहुत चुनौतियां है. इसलिए चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए, पार्टी का भी मानना है कि समय-समय पर कार्यकर्ताओं को काम दिया गया है. उनका आकलन होता है. साथ ही कहा गया कि पार्टी में कोई मंत्री नहीं, सभी पहले पहले कार्यकरता हैं.


कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं
प्रदेश में 04 सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं, लेकिन इससे बीजेपी सरकार को कोई असर नहीं पड़ेगा. वहीं कांग्रेस (Congress) यदि ये सीटें जीत जाती हैं, तो आने वाले चुनाव में जनता को यह मैसेज दे सकती है कि बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी (Anti-incumbency) है. वहीं, बीजेपी को सरकार के लिहाज से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन यह 2023 का सेमीफाइनल माना जा रहा है और हार जाती है तो आने वाले चुनाव में उसको दिक्कतों का सामना करना होगा.

कांग्रेस ने बीजेपी पर उठाए सवाल
तो वहीं कांग्रेस मंत्रियों की परफॉर्मेंस को लेकर तंज कस रही है, कांग्रेस का मानना है कि बीजेपी अपने मुख्यमंत्री, मंत्रियों और सांसदों सभी को सीटों पर भेज रही है, लेकिन अब जनता इनके चेहरों से ऊब चुकी है और जितना ज्यादा यह लोग चुनावी प्रचार प्रसार में जाएंगे उतना फायदा कांग्रेस को होगा.


चार सीटों पर 26 लाख से ज्यादा मतदाता
उप चुनाव की घोषणा होते ही आदर्श आचार संहिता भी लग गई है. चुनावी क्षेत्रों में बिना निर्वाचन आयोग की अनुमति के कोई नई पदस्थापना नहीं होगी और ना ही तबादला होगा और ना ही कोई बड़ी घोषणा है. आयोग की राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक भी हो चुकी है. उधर, लोकसभा सीट खंडवा और पृथ्वीपुर जोबट रैगांव उपचुनावों में 26 लाख से ज्यादा मतदाता अपना नेता चुनेंगे. इन सीटों के लिए 3204 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. साथ ही 9650 बैलेट और 9370 कंट्रोल यूनिट उपलब्ध कराई गई है.

MP By-Election: खंडवा लोकसभा समेत 3 विधानसभा में 30 अक्टूबर को वोटिंग, सारंग ने कहा प्रचंड बहुमत से जितेगी BJP

चुनाव प्रबंधन का जिम्मा फिर भूपेंद्र सिंह को दिया
वहीं, दमोह उपचुनाव में चुनाव प्रबंधन का जिम्मा संभाल रहे. भूपेंद्र सिंह पर फिर पार्टी ने भरोसा जताया है. भूपेंद्र सिंह शिवराज के करीबी माने जाते हैं. इसी वजह से एक बार फिर पार्टी ने संयोजक के रूप में चुनाव प्रबंध का जिम्मा भूपेंद्र सिंह को दिया है.

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (MP) की 4 सीटों पर बीजेपी (BJP) हर हाल में जीतना चाहती है. इसके लिए बैठकों (Meeting) का दौर भी शुरू हो चुका है. वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj singh chouhan) ने इन चार सीटों पर जनदर्शन यात्रा भी निकाल दी है, चारों सीटों के प्रभारियों ने रणनीति के हिसाब से मोर्चा भी संभाल लिया है.

चुनाव हारे तो मंत्रियों पर गिरेगी गाज

मंत्रियों को दौरे करने की नसीहत
सीएम निवास पर लगातार बैठकों का दौर जारी है और इस दौरान बैठक में यह संकेत भी दिए गए कि चुनावी नतीजों के हिसाब से मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार होगी. मंत्रियों को लगातार दौरे करने की नसीहत दी गई है, और जो भी जन कल्याणकारी योजना है वह जनता को मिले इसकी मॉनिटरिंग मंत्री को ही करना है, जो रिपोर्ट मिली उससे पता चला कि प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ने तो वहां पर दौरे किए हैं, लेकिन क्षेत्रों के प्रभारी मंत्री उतनी मुस्तैदी से वहां पर नहीं डटे हैं.

मुख्यमंत्री ने दिए संकेत
ऐसे में कहा गया है कि जिन क्षेत्रों में बीजेपी यदि हारती है, तो उसकी जिम्मेदारी मंत्री की होगी. संगठन के पदाधिकारी भी उतने ही जिम्मेदार होंगे. उनका परफॉर्मेंस इसी जरिए आंका जाएगा. मुख्यमंत्री पहले ही संकेत दे चुके हैं कि जोबट और पृथ्वीपुर सीट पर बहुत चुनौतियां है. इसलिए चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए, पार्टी का भी मानना है कि समय-समय पर कार्यकर्ताओं को काम दिया गया है. उनका आकलन होता है. साथ ही कहा गया कि पार्टी में कोई मंत्री नहीं, सभी पहले पहले कार्यकरता हैं.


कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं
प्रदेश में 04 सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं, लेकिन इससे बीजेपी सरकार को कोई असर नहीं पड़ेगा. वहीं कांग्रेस (Congress) यदि ये सीटें जीत जाती हैं, तो आने वाले चुनाव में जनता को यह मैसेज दे सकती है कि बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी (Anti-incumbency) है. वहीं, बीजेपी को सरकार के लिहाज से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन यह 2023 का सेमीफाइनल माना जा रहा है और हार जाती है तो आने वाले चुनाव में उसको दिक्कतों का सामना करना होगा.

कांग्रेस ने बीजेपी पर उठाए सवाल
तो वहीं कांग्रेस मंत्रियों की परफॉर्मेंस को लेकर तंज कस रही है, कांग्रेस का मानना है कि बीजेपी अपने मुख्यमंत्री, मंत्रियों और सांसदों सभी को सीटों पर भेज रही है, लेकिन अब जनता इनके चेहरों से ऊब चुकी है और जितना ज्यादा यह लोग चुनावी प्रचार प्रसार में जाएंगे उतना फायदा कांग्रेस को होगा.


चार सीटों पर 26 लाख से ज्यादा मतदाता
उप चुनाव की घोषणा होते ही आदर्श आचार संहिता भी लग गई है. चुनावी क्षेत्रों में बिना निर्वाचन आयोग की अनुमति के कोई नई पदस्थापना नहीं होगी और ना ही तबादला होगा और ना ही कोई बड़ी घोषणा है. आयोग की राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक भी हो चुकी है. उधर, लोकसभा सीट खंडवा और पृथ्वीपुर जोबट रैगांव उपचुनावों में 26 लाख से ज्यादा मतदाता अपना नेता चुनेंगे. इन सीटों के लिए 3204 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. साथ ही 9650 बैलेट और 9370 कंट्रोल यूनिट उपलब्ध कराई गई है.

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चुनाव प्रबंधन का जिम्मा फिर भूपेंद्र सिंह को दिया
वहीं, दमोह उपचुनाव में चुनाव प्रबंधन का जिम्मा संभाल रहे. भूपेंद्र सिंह पर फिर पार्टी ने भरोसा जताया है. भूपेंद्र सिंह शिवराज के करीबी माने जाते हैं. इसी वजह से एक बार फिर पार्टी ने संयोजक के रूप में चुनाव प्रबंध का जिम्मा भूपेंद्र सिंह को दिया है.

Last Updated : Oct 3, 2021, 9:13 AM IST
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