भोपाल। हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान प्रदेश के छात्र छात्राओं के शिक्षा के क्षेत्र में भविष्य के उज्ज्वल बनाने के लिए 27 जून को प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा एक आभासी मंच पर लॉन्च करने की घोषणा की गई थी. इस योजना के तहत प्रदेश के विद्यार्थियों को घरों में ही शिक्षा उपलब्ध कराना है, यह अभियान 6 जुलाई को शुरू हो चुका है और आज 1 माह से ज्यादा हो गया है. लेकिन अब तक कुछ ही छात्रों को इस अभियान का लाभ मिला है. वो भी अभियान के शुरुवाती दिनों में अब शिक्षक इस अभियान के विरोध में उतर आए हैं. संक्रमण के बीच किताबें और अनाज छात्रों को घर-घर जाकर देना शिक्षको के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है.
विभाग के मुताबिक एक माह में किताबें सभी छात्रों को उपलब्ध हो जाना चाहिए थीं लेकिन आश्चर्य की बात है कि अब तक 40 फीसदी छात्रों को भी किताबें नहीं मिल पाई हैं क्योंकि शिक्षकों ने खुद अभियान का विरोध करना शुरू कर दिया है. उच्चतर माध्यमिक शाला सूरज नगर के प्राचार्य सुभाष सक्सेना ने इस योजना के विरोध में कहा कि शिक्षकों को पहले ही अन्य कार्यों में लगाया हुआ है. ऐसे में इस अभियान के तहत शिक्षकों को घर-घर जाकर छात्रों को किताबें वितरित करने का कार्य दिया गया है. इस कार्य को करने से न केवल शिक्षक बल्कि छात्र और उसके घर वालों को भी संक्रमण फैलने का खतरा है. विभाग को इस योजना पर विचार करना चाहिए यह योजना जमीनी स्तर पर कारगर साबित नहीं हो पाएगी, क्योंकि शिक्षक खुदको और छात्रों को खतरे में डाल कर इस योजना के तहत काम नहीं कर पाएगा.
जहांगीराबाद उच्चतर माध्यमिक कन्या शाला की प्राचार्य उषा खरे का कहना है कि इस तरह बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच छात्रों के घर- घर जाने में खतरा तो है, लेकिन विभाग का आदेश है, इसलिए जाना पड़ेगा और छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए हम यह कार्य कर रहे हैं. हालांकि इसमें कोई दोराय नहीं कि कंटेंटमेंट जोन में छात्रों के घर जाना किसी खतरे से कम नहीं है. शिक्षकों का यह भी आरोप है कि शिक्षक अपने स्तर पर काम कर रहे है, लेकिन छात्रों के अभिभावक ही इस योजना के खिलाफ हैं. अभिभावकों का कहना है कि छात्र घर पर सुरक्षित हैं, लेकिन अगर बाहर से शिक्षक घर आकर कक्षाएं लेंगे तो शिक्षक खुद कोरोना संक्रमण लेकर घर आएंगे. ऐसे में शिक्षकों को घर में घुसने नहीं दिया जा रहा है. यह भी एक बड़ी वजह है कि किताबें अब तक कई छात्रों तक नही पहुंच पाई.
प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा, शिक्षक विरोध नहीं कर रहे हैं. कंटेंटमेंट जोन में जाने से पहले ही शिक्षकों को माना किया गया है. योजना के तहत कार्य चल रहा है और लॉकडाउन के कारण बीच में काम रुक गया. लेकिन अब वापस शिक्षक घर-घर जाकर बेहतर तरीके से अपना कार्य कर रहे है और जल्द ही प्रदेश के सभी छात्रों तक किताबें पहुंच जाएंगी.
'हमारा घर-हमारा विद्यालय' अभियान फ्लॉप, सिर्फ 30 फीसदी किताबों का हुआ वितरण
भोपाल में हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान प्रदेश के छात्र-छात्राओं के शिक्षा के क्षेत्र में सुविधा के लिए लाया गया था. लेकिन यह अभियान फ्लाॅप होता नजर आ रहा है. अब तक सभी बच्चों को कितााबों का वितरण नहीं हो पा रहा है. वहीं शिक्षक भी अभियान का विरोध कर रहे हैं.
भोपाल। हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान प्रदेश के छात्र छात्राओं के शिक्षा के क्षेत्र में भविष्य के उज्ज्वल बनाने के लिए 27 जून को प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा एक आभासी मंच पर लॉन्च करने की घोषणा की गई थी. इस योजना के तहत प्रदेश के विद्यार्थियों को घरों में ही शिक्षा उपलब्ध कराना है, यह अभियान 6 जुलाई को शुरू हो चुका है और आज 1 माह से ज्यादा हो गया है. लेकिन अब तक कुछ ही छात्रों को इस अभियान का लाभ मिला है. वो भी अभियान के शुरुवाती दिनों में अब शिक्षक इस अभियान के विरोध में उतर आए हैं. संक्रमण के बीच किताबें और अनाज छात्रों को घर-घर जाकर देना शिक्षको के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है.
विभाग के मुताबिक एक माह में किताबें सभी छात्रों को उपलब्ध हो जाना चाहिए थीं लेकिन आश्चर्य की बात है कि अब तक 40 फीसदी छात्रों को भी किताबें नहीं मिल पाई हैं क्योंकि शिक्षकों ने खुद अभियान का विरोध करना शुरू कर दिया है. उच्चतर माध्यमिक शाला सूरज नगर के प्राचार्य सुभाष सक्सेना ने इस योजना के विरोध में कहा कि शिक्षकों को पहले ही अन्य कार्यों में लगाया हुआ है. ऐसे में इस अभियान के तहत शिक्षकों को घर-घर जाकर छात्रों को किताबें वितरित करने का कार्य दिया गया है. इस कार्य को करने से न केवल शिक्षक बल्कि छात्र और उसके घर वालों को भी संक्रमण फैलने का खतरा है. विभाग को इस योजना पर विचार करना चाहिए यह योजना जमीनी स्तर पर कारगर साबित नहीं हो पाएगी, क्योंकि शिक्षक खुदको और छात्रों को खतरे में डाल कर इस योजना के तहत काम नहीं कर पाएगा.
जहांगीराबाद उच्चतर माध्यमिक कन्या शाला की प्राचार्य उषा खरे का कहना है कि इस तरह बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच छात्रों के घर- घर जाने में खतरा तो है, लेकिन विभाग का आदेश है, इसलिए जाना पड़ेगा और छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए हम यह कार्य कर रहे हैं. हालांकि इसमें कोई दोराय नहीं कि कंटेंटमेंट जोन में छात्रों के घर जाना किसी खतरे से कम नहीं है. शिक्षकों का यह भी आरोप है कि शिक्षक अपने स्तर पर काम कर रहे है, लेकिन छात्रों के अभिभावक ही इस योजना के खिलाफ हैं. अभिभावकों का कहना है कि छात्र घर पर सुरक्षित हैं, लेकिन अगर बाहर से शिक्षक घर आकर कक्षाएं लेंगे तो शिक्षक खुद कोरोना संक्रमण लेकर घर आएंगे. ऐसे में शिक्षकों को घर में घुसने नहीं दिया जा रहा है. यह भी एक बड़ी वजह है कि किताबें अब तक कई छात्रों तक नही पहुंच पाई.
प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा, शिक्षक विरोध नहीं कर रहे हैं. कंटेंटमेंट जोन में जाने से पहले ही शिक्षकों को माना किया गया है. योजना के तहत कार्य चल रहा है और लॉकडाउन के कारण बीच में काम रुक गया. लेकिन अब वापस शिक्षक घर-घर जाकर बेहतर तरीके से अपना कार्य कर रहे है और जल्द ही प्रदेश के सभी छात्रों तक किताबें पहुंच जाएंगी.