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कैसे घटित होते हैं साइबर अपराध, क्या है बचाव के उपाय, कहां करें शिकायत ?

मध्यप्रदेश में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में लोगों को सचेत रहने की जरुरत है. इन्हीं तमाम मुद्दों पर ईटीवी भारत ने एडिशनल एसपी साइबर संदेश जैन से खास बात की. इस दौरान उन्होंने बताया कि, कैसे ठगी से बचा जा सकता है ?

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Published : Nov 17, 2020, 10:46 PM IST

Updated : Nov 19, 2020, 1:23 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश और राजधानी भोपाल में साइबर अपराधों का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है. मध्य प्रदेश के साथ-साथ राजधानी भोपाल में भी लगातार इस तरीके के मामले सामने आ रहे हैं. जालसाज नए-नए तरीके इजाद कर साइबर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं. भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसा कर लाखों करोड़ों रुपए की ठगी कर रहे हैं.

एडिशनल एसपी संदेश जैन से खास बातचीत

क्या होता है साइबर अपराध ?

मध्य प्रदेश राज्य साइबर सेल के एडिशनल एसपी संदेश जैन ने बताया कि, आधुनिक जमाने के साथ-साथ लोग आधुनिक उपकरणों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. जैसे मोबाइल, कंप्यूटर और अन्य गैजेट्स, इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग डिजिटल पेमेंट एप और नेट बैंकिंग का उपयोग कर रहे हैं. ऐसे में जालसाजों के लिए साइबर ठगी करना और भी आसान हो गया है. साइबर ठग रेंडम नंबरों पर फोन करते हैं और किसी इनाम या ऑफर का लालच देकर आपसे बैंक की डिटेल्स ले लेते हैं. इतना ही नहीं, लोगों को जालसाज अपनी बातों में फंसाकर उनसे ओटीपी भी प्राप्त कर लेते हैं और पलक झपकते ही बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं.

This is how fraudsters get caught
ऐसे फंसाते हैं जालसाज

इस तरह घटित हो रहे अपराध

  • किसी पॉलिसी या इनाम का लालच देकर जाल साज भोले-भाले लोगों से उनकी बैंक डिटेल्स लेते हैं. मिनटों में ही उनके खाते का पैसा जालसाजों के खाते में पहुंच जाता है.
  • सोशल मीडिया पर विशेष तौर से फेसबुक प्रोफाइल को हैक किया जा रहा है. इसके बाद जालसाज फ्रेंड लिस्ट के कांटेक्ट को मैसेज कर खुद किसी आपदा में फंसे होने का झांसा देकर पैसों की मांग करता है.
  • ऑनलाइन शॉपिंग अन्य सेवाएं ओएलएक्स, फेसबुक मार्केटप्लेस, इंडिया मार्ट पर खरीदी और विक्रय के नाम पर अन्य सेवाओं की फर्जी वेबसाइट के जरिए ठगी की जा रही है.
  • लॉकडाउन के दौरान सैनिटाइजर और मास्क विक्रय, ऑनलाइन ग्रॉसरी और अन्य घर पहुंच सेवा के नाम पर भी फर्जी मोबाइल एप्लीकेशन वेबसाइट और बल्क एसएमएस लिंक के माध्यम से भी वित्तीय ठगी की जा रही है.
  • ऑनलाइन राशि ट्रांसफर करने के लिए प्रचलित यूपीआई जैसे फोन-पे, गूगल-पे को हैक कर राशि की ऑनलाइन ठगी की जा रही है. यूपीआई के डिटेल प्राप्त करने के लिए फर्जी लिंक पर क्लिक कराकर जानकारी हैकर द्वारा प्राप्त की जाती है. यह लिंक उपयोगकर्ता को एक अन्य पेज पर ले जाती है. जहां पर हैकर गूगल डॉक्स जैसे लिंक के माध्यम से जानकारी प्राप्त की जाती है. यूपीआई उपयोगकर्ताओं के बैंक खातों से सीधे लिंक होता है. यदि उसका एक सेट हैकर के पास जाता है, तो उपयोगकर्ता के बैंक खाते में उपलब्ध राशि की ठगी की जाती है.
    How to rescue
    कैसे करें बचाव

कैसे करें साइबर अपराधों से बचाव ?

साइबर सेल के एडिशनल एसपी संदेश जैन ने बताया कि, ठगी से बचने के कुछ आसान तरीके हैं. उन्होंने कहा कि, सबसे पहले तो किसी भी तरह के ऑफर और लालच में ना आएं. किसी भी अनजान व्यक्ति से फोन पर बात कर उसके बहकावे में ना आएं. अच्छी तरह जांच पड़ताल करने के बाद ही किसी भी बैंक खाते में राशि डालें. इसके अलावा मोबाइल पर आए किसी भी लिंक को ओपन ना करें. फेसबुक ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रोफाइल आईडी का पासवर्ड काफी स्ट्रांग रखें, सरल पासवर्ड ना रखें. सोशल मीडिया पर अगर किसी परिचित का मैसेज आता है और वह आपसे रुपयों की मांग करता है, तो पहले उसे अच्छी तरह से जांच लें या मैसेज करने वाले से फोन पर संपर्क करें. उसके बाद ही किसी भी खाते में राशि ट्रांसफर करें. बैंक कर्मचारी कभी भी फोन पर बैंक डिटेल्स नहीं मांगते हैं.

साइबर अपराधों की यहां करें शिकायत

साइबर सेल ने लोगों से अपील की है कि, अगर किसी के भी साथ साइबर ठगी होती है, तो वो तत्काल राज्य साइबर सेल के दफ्तर पहुंचकर शिकायत दर्ज करवा सकता है. अगर जल्द से जल्द शिकायत दर्ज करवाई तो बैंक से रुपए ट्रांसफर होने से रोके जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि, पिछले दिनों समय पर शिकायत करने वालों के लगभग 1 करोड़ रुपए बचाए जा चुके हैं. इसके अलावा साइबर सेल ने एक हेल्प लाइन नंबर भी शिकायतों के लिए जारी किया है. 7049106300 इस नंबर पर भी तत्काल शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है.

राज्य सायबर क्राइम ने जारी की एडवाइजरी

  • सोशल मीडिया प्रोफाइल के कंटेंट और क्रैडेंशियल्स की प्राइवेसी सेटिंग में जाकर इसे प्राइवेट करें, ताकि अन्य व्यक्ति द्वारा इसका दुरुपयोग न किया जा सके.
  • सोशल मीडिया प्रोफाइल के पासवर्ड आसान ना रखें स्ट्रांग पासवर्ड रखें. लेटर अंक और स्पेशल का कॉम्बिनेशन रखें, ताकि अनुमान ना लगाया जा सके.
  • केवल विश्वसनीय ई-कॉमर्स वेबसाइट के जरिए ही शॉपिंग करें. किसी भी अनजान वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करने से पहले उसे जांच लें.
  • किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक ना करें यह लिंक आपको किसी थर्ड पार्टी एप्लीकेशन पर फॉरवर्ड कर सकती है. जिससे आपके साथ ठगी हो सकती है.
  • ई-कॉमर्स बल्क एसएमएस के जरिए प्राप्त सूचना पर अचानक विश्वास न करें, उसे जांच लें.
  • यूपीआई क्रेडिट डेबिट कार्ड, बैंक खाते से संबंधित जानकारी किसी भी माध्यम से अनजान व्यक्ति को शेयर ना करें.
  • ठगी का शिकार होने पर या ठगी का शक होने पर पुलिस हेल्पलाइन 7049106300 पर संपर्क करें.

भोपाल। मध्य प्रदेश और राजधानी भोपाल में साइबर अपराधों का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है. मध्य प्रदेश के साथ-साथ राजधानी भोपाल में भी लगातार इस तरीके के मामले सामने आ रहे हैं. जालसाज नए-नए तरीके इजाद कर साइबर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं. भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसा कर लाखों करोड़ों रुपए की ठगी कर रहे हैं.

एडिशनल एसपी संदेश जैन से खास बातचीत

क्या होता है साइबर अपराध ?

मध्य प्रदेश राज्य साइबर सेल के एडिशनल एसपी संदेश जैन ने बताया कि, आधुनिक जमाने के साथ-साथ लोग आधुनिक उपकरणों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. जैसे मोबाइल, कंप्यूटर और अन्य गैजेट्स, इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग डिजिटल पेमेंट एप और नेट बैंकिंग का उपयोग कर रहे हैं. ऐसे में जालसाजों के लिए साइबर ठगी करना और भी आसान हो गया है. साइबर ठग रेंडम नंबरों पर फोन करते हैं और किसी इनाम या ऑफर का लालच देकर आपसे बैंक की डिटेल्स ले लेते हैं. इतना ही नहीं, लोगों को जालसाज अपनी बातों में फंसाकर उनसे ओटीपी भी प्राप्त कर लेते हैं और पलक झपकते ही बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं.

This is how fraudsters get caught
ऐसे फंसाते हैं जालसाज

इस तरह घटित हो रहे अपराध

  • किसी पॉलिसी या इनाम का लालच देकर जाल साज भोले-भाले लोगों से उनकी बैंक डिटेल्स लेते हैं. मिनटों में ही उनके खाते का पैसा जालसाजों के खाते में पहुंच जाता है.
  • सोशल मीडिया पर विशेष तौर से फेसबुक प्रोफाइल को हैक किया जा रहा है. इसके बाद जालसाज फ्रेंड लिस्ट के कांटेक्ट को मैसेज कर खुद किसी आपदा में फंसे होने का झांसा देकर पैसों की मांग करता है.
  • ऑनलाइन शॉपिंग अन्य सेवाएं ओएलएक्स, फेसबुक मार्केटप्लेस, इंडिया मार्ट पर खरीदी और विक्रय के नाम पर अन्य सेवाओं की फर्जी वेबसाइट के जरिए ठगी की जा रही है.
  • लॉकडाउन के दौरान सैनिटाइजर और मास्क विक्रय, ऑनलाइन ग्रॉसरी और अन्य घर पहुंच सेवा के नाम पर भी फर्जी मोबाइल एप्लीकेशन वेबसाइट और बल्क एसएमएस लिंक के माध्यम से भी वित्तीय ठगी की जा रही है.
  • ऑनलाइन राशि ट्रांसफर करने के लिए प्रचलित यूपीआई जैसे फोन-पे, गूगल-पे को हैक कर राशि की ऑनलाइन ठगी की जा रही है. यूपीआई के डिटेल प्राप्त करने के लिए फर्जी लिंक पर क्लिक कराकर जानकारी हैकर द्वारा प्राप्त की जाती है. यह लिंक उपयोगकर्ता को एक अन्य पेज पर ले जाती है. जहां पर हैकर गूगल डॉक्स जैसे लिंक के माध्यम से जानकारी प्राप्त की जाती है. यूपीआई उपयोगकर्ताओं के बैंक खातों से सीधे लिंक होता है. यदि उसका एक सेट हैकर के पास जाता है, तो उपयोगकर्ता के बैंक खाते में उपलब्ध राशि की ठगी की जाती है.
    How to rescue
    कैसे करें बचाव

कैसे करें साइबर अपराधों से बचाव ?

साइबर सेल के एडिशनल एसपी संदेश जैन ने बताया कि, ठगी से बचने के कुछ आसान तरीके हैं. उन्होंने कहा कि, सबसे पहले तो किसी भी तरह के ऑफर और लालच में ना आएं. किसी भी अनजान व्यक्ति से फोन पर बात कर उसके बहकावे में ना आएं. अच्छी तरह जांच पड़ताल करने के बाद ही किसी भी बैंक खाते में राशि डालें. इसके अलावा मोबाइल पर आए किसी भी लिंक को ओपन ना करें. फेसबुक ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रोफाइल आईडी का पासवर्ड काफी स्ट्रांग रखें, सरल पासवर्ड ना रखें. सोशल मीडिया पर अगर किसी परिचित का मैसेज आता है और वह आपसे रुपयों की मांग करता है, तो पहले उसे अच्छी तरह से जांच लें या मैसेज करने वाले से फोन पर संपर्क करें. उसके बाद ही किसी भी खाते में राशि ट्रांसफर करें. बैंक कर्मचारी कभी भी फोन पर बैंक डिटेल्स नहीं मांगते हैं.

साइबर अपराधों की यहां करें शिकायत

साइबर सेल ने लोगों से अपील की है कि, अगर किसी के भी साथ साइबर ठगी होती है, तो वो तत्काल राज्य साइबर सेल के दफ्तर पहुंचकर शिकायत दर्ज करवा सकता है. अगर जल्द से जल्द शिकायत दर्ज करवाई तो बैंक से रुपए ट्रांसफर होने से रोके जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि, पिछले दिनों समय पर शिकायत करने वालों के लगभग 1 करोड़ रुपए बचाए जा चुके हैं. इसके अलावा साइबर सेल ने एक हेल्प लाइन नंबर भी शिकायतों के लिए जारी किया है. 7049106300 इस नंबर पर भी तत्काल शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है.

राज्य सायबर क्राइम ने जारी की एडवाइजरी

  • सोशल मीडिया प्रोफाइल के कंटेंट और क्रैडेंशियल्स की प्राइवेसी सेटिंग में जाकर इसे प्राइवेट करें, ताकि अन्य व्यक्ति द्वारा इसका दुरुपयोग न किया जा सके.
  • सोशल मीडिया प्रोफाइल के पासवर्ड आसान ना रखें स्ट्रांग पासवर्ड रखें. लेटर अंक और स्पेशल का कॉम्बिनेशन रखें, ताकि अनुमान ना लगाया जा सके.
  • केवल विश्वसनीय ई-कॉमर्स वेबसाइट के जरिए ही शॉपिंग करें. किसी भी अनजान वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करने से पहले उसे जांच लें.
  • किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक ना करें यह लिंक आपको किसी थर्ड पार्टी एप्लीकेशन पर फॉरवर्ड कर सकती है. जिससे आपके साथ ठगी हो सकती है.
  • ई-कॉमर्स बल्क एसएमएस के जरिए प्राप्त सूचना पर अचानक विश्वास न करें, उसे जांच लें.
  • यूपीआई क्रेडिट डेबिट कार्ड, बैंक खाते से संबंधित जानकारी किसी भी माध्यम से अनजान व्यक्ति को शेयर ना करें.
  • ठगी का शिकार होने पर या ठगी का शक होने पर पुलिस हेल्पलाइन 7049106300 पर संपर्क करें.
Last Updated : Nov 19, 2020, 1:23 AM IST
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