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22 विधायकों की हॉर्स ट्रेडिंग अब तक का सबसे बड़ा घोटाला, होनी चाहिए उच्च स्तरीय जांच: पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

पूर्व विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति ने बीजेपी पर कांग्रेस की सरकार गिराने का आरोप लगाते हुए कहा कि विधायकों की खरीद फरोद आजादी के बाद से अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है. इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए.

Accused of former assembly speaker
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का आरोप
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Published : May 23, 2020, 10:53 AM IST

भोपाल। 15 साल बाद मध्यप्रदेश की सत्ता में आई कांग्रेस की महज 15 महीने में भी विदाई हो गई. कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने में उसके ही 22 विधायकों सहित कांग्रेस के तत्कालीन दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का हाथ माना जाता है. बाद में सभी 22 विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद बीजेपी में शामिल हो गए, कांग्रेस प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के पहले से ही बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाती रही है. पूर्व विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति ने इसे आजादी के बाद से अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बताया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि बचे हुए किसानों का भी पूर्ण रूप से कर्ज माफ किया जाए.

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का आरोप

प्रजापति ने कहा कि बीजेपी बताए कि इतनी बड़ी खरीद-फरोख्त के लिए उनके पास इतना पैसा कहां से आया. इनकम टैक्स वालों ने बीजेपी से नहीं पूछा कि पैसा कहां से आया है. बीजेपी कांग्रेस सरकार गिराने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक चली गई थी. कोरोना के चलते हमने विधानसभा की कार्यवाही 10 दिनों के लिए मुल्तवी की थी, उस समय तरह-तरह की बातें की गई, किसी ने भी इस मामले की गंभीरता को नहीं समझा, लेकिन हम उन चीजों को समझ रहे थे, जबकि राज्यसभा चुनाव टाल दिए गए, लेकिन विधानसभा की कार्यवाही को टालने के लिए तैयार नहीं थे.

प्रजापति ने कहा कि ये खरीद-फरोख्त का घोटाला आंखों देखा है, इस पर कोई बात नहीं कर रहा है, इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए कि बेचने वाला कौन और खरीदने वाला कौन था. इन सबका खुलासा होना चाहिए. इस बात का भी खुलासा होना चाहिए कि कौन विधायकों को प्लेन से बेंगलुरु लेकर गया था और कैसे बेंगलुरु में इन विधायकों को रखा गया. वो कौन से नेता थे, जिनके सानिध्य में ये सारा काम हुआ.

किसान कर्ज माफी पर उन्होंने कहा कि ये वादा कांग्रेस सरकार ने किया था. विधानसभा चुनाव के दौरान वचन पत्र में हमने किसानों से वादा किया था और कमलनाथ ने तीन चरणों में किसानों के कर्ज माफी के लिए योजना बनाई थी, सरकार अपना काम कर रही थी, किसानों को कर्ज माफी के सर्टिफिकेट भी दिए गए हैं, लेकिन एक व्यवस्था होती है कर्ज माफी का प्रस्ताव कैबिनेट में पास किया गया और कर्ज माफी का पैसा कोई विधायक या मंत्री बैंक लेकर नहीं जाता है कि वह वहां पहुंचकर पैसा जमा करा दें.

भोपाल। 15 साल बाद मध्यप्रदेश की सत्ता में आई कांग्रेस की महज 15 महीने में भी विदाई हो गई. कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने में उसके ही 22 विधायकों सहित कांग्रेस के तत्कालीन दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का हाथ माना जाता है. बाद में सभी 22 विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद बीजेपी में शामिल हो गए, कांग्रेस प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के पहले से ही बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाती रही है. पूर्व विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति ने इसे आजादी के बाद से अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बताया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि बचे हुए किसानों का भी पूर्ण रूप से कर्ज माफ किया जाए.

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का आरोप

प्रजापति ने कहा कि बीजेपी बताए कि इतनी बड़ी खरीद-फरोख्त के लिए उनके पास इतना पैसा कहां से आया. इनकम टैक्स वालों ने बीजेपी से नहीं पूछा कि पैसा कहां से आया है. बीजेपी कांग्रेस सरकार गिराने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक चली गई थी. कोरोना के चलते हमने विधानसभा की कार्यवाही 10 दिनों के लिए मुल्तवी की थी, उस समय तरह-तरह की बातें की गई, किसी ने भी इस मामले की गंभीरता को नहीं समझा, लेकिन हम उन चीजों को समझ रहे थे, जबकि राज्यसभा चुनाव टाल दिए गए, लेकिन विधानसभा की कार्यवाही को टालने के लिए तैयार नहीं थे.

प्रजापति ने कहा कि ये खरीद-फरोख्त का घोटाला आंखों देखा है, इस पर कोई बात नहीं कर रहा है, इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए कि बेचने वाला कौन और खरीदने वाला कौन था. इन सबका खुलासा होना चाहिए. इस बात का भी खुलासा होना चाहिए कि कौन विधायकों को प्लेन से बेंगलुरु लेकर गया था और कैसे बेंगलुरु में इन विधायकों को रखा गया. वो कौन से नेता थे, जिनके सानिध्य में ये सारा काम हुआ.

किसान कर्ज माफी पर उन्होंने कहा कि ये वादा कांग्रेस सरकार ने किया था. विधानसभा चुनाव के दौरान वचन पत्र में हमने किसानों से वादा किया था और कमलनाथ ने तीन चरणों में किसानों के कर्ज माफी के लिए योजना बनाई थी, सरकार अपना काम कर रही थी, किसानों को कर्ज माफी के सर्टिफिकेट भी दिए गए हैं, लेकिन एक व्यवस्था होती है कर्ज माफी का प्रस्ताव कैबिनेट में पास किया गया और कर्ज माफी का पैसा कोई विधायक या मंत्री बैंक लेकर नहीं जाता है कि वह वहां पहुंचकर पैसा जमा करा दें.

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