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भोपाल का खूबसूरत 'बड़ा बाग', जानें इसमें क्या हैं खास

भोपाल शहर का बड़ा बाग ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है, जिसका निर्माण कुदसिया बेगम ने अपने वालिद वजीर मोहम्मद खान की याद में कराया था, जो उन दिनों वजीरबाग कहलाता था. जानें इस बड़ा बाग का इतिहास...

bada Bagh
बड़ा बाग
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Published : Sep 14, 2020, 12:17 PM IST

Updated : Sep 14, 2020, 12:45 PM IST

भोपाल। भोपाल शहर यूं तो अपने नवाबों के महल और बावड़ियों के लिए देश-विदेश में ख्यात है. इसके अलावा नवाबों के दौर की चीजें बड़ी फेमस है, वहीं भोपाल की पुरानी बावड़ियों की बात ही कुछ और है. नवाबी शासन काल शान-ओ-शौकत, नजाकत, नफासत और तहजीब के लिए जितना जाना जाता है, उतना ही यहां की धरोहरें भी जानी जाती है. इन्ही में से एक है बड़ा बाग, जिसका निर्माण 30.23 एकड़ में नवाब कुदसिया बेगम ने अपने वालिद वजीर मोहम्मद खान की याद में कराया था, जो उन दिनों वजीरबाग कहलाता था.

ऐतिहासिक धरोहर 'बड़ा बाग'

शहर का सबसे बड़ा बाग

कुदसिया बेगम के पति नजर मोहम्मद खान का देहांत होने पर उन्हें इसी बाग में दफन कर उनका मकबरा बनवाया गया था, तब से इसका नाम नजरबाग पड़ गया. कुदसिया बेगम के निधन पर उन्हें उनके स्वर्गीय पति के मकबरे के निकट दफन किया गया. आठ फीट ऊंची लाल पत्थर की चार दीवारी के अंदर इसका निर्मित ये मकबरा बिल्कुल सादा है. ये शहर का सबसे बड़ा बाग था, इस कारण इसे स्थानीय बोली में 'बागे कलां' अर्थात बड़ा बाग नाम दिया गया.

History of Bada Bagh of Bhopal
बड़ा बाग

बड़ा बाग का इतिहास

भोपाल राज्य के छठवें शासक नवाब वजीर मोहम्मद खान की कब्र पर एक विशाल मकबरा बनाया गया था, इनकी दो पत्तियां थी. जिनकी मृत्यु होने पर उन्हें भी पास में दफनाया गया. यह तीनों एक ही मकबरे में दफन है. मकबरा चबूतरे पर वर्गाकार उनकी चौकी पर निर्मित है, मजार तक पहुंचने के लिए तीन मेहराब युक्त द्वार के बाद इसका भव्य और विशाल गुंबद है. इस बाग में नजर मोहम्मद खां का मकबरा नगर में इस्लामिक वास्तु शैली की सुंदरता कृतियों में है. लाल बलुआ पत्थर से निर्मित चारबाग पद्धति पर आधारित है. मकबरे के अंदर मजार संगमरमर से निर्मित है. इसकी मेहराबों पर अरबी में आयतें और लेख उत्कीर्ण है.

ये भी पढ़े- कोरोना काल में मास्क अनिवार्य, लेकिन लगातार पहनने से हो सकते हैं ये नुकसान

कलात्मक और दर्शनीय स्थान

बड़ा बाग की नक्काशीदार और वास्तुकला की बात करें तो इनमें कई देशों की वास्तुकला के प्रमाण मिलते हैं, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से ये बदहाल हो गई है. बड़ा बाग की बावड़ी पर आशिकों ने अपने नाम दर्ज कर इसकी खूबसूरती को बदरंग कर दिया है. तीन मंजिला बनी बड़ा बाग की बावड़ी की हर मंजिल की दीवार, सीढ़ियों और मुंडेर पर आशिकों ने अपने नाम लिख रखे है. यहां किसी ने दुआ लिखी है, तो किसी ने यहां आने वालों की लिए अनुनयपूर्ण संदेश लिखा है. ये बावड़ी अत्यंत कलात्मक और दर्शनीय है.

भोपाल। भोपाल शहर यूं तो अपने नवाबों के महल और बावड़ियों के लिए देश-विदेश में ख्यात है. इसके अलावा नवाबों के दौर की चीजें बड़ी फेमस है, वहीं भोपाल की पुरानी बावड़ियों की बात ही कुछ और है. नवाबी शासन काल शान-ओ-शौकत, नजाकत, नफासत और तहजीब के लिए जितना जाना जाता है, उतना ही यहां की धरोहरें भी जानी जाती है. इन्ही में से एक है बड़ा बाग, जिसका निर्माण 30.23 एकड़ में नवाब कुदसिया बेगम ने अपने वालिद वजीर मोहम्मद खान की याद में कराया था, जो उन दिनों वजीरबाग कहलाता था.

ऐतिहासिक धरोहर 'बड़ा बाग'

शहर का सबसे बड़ा बाग

कुदसिया बेगम के पति नजर मोहम्मद खान का देहांत होने पर उन्हें इसी बाग में दफन कर उनका मकबरा बनवाया गया था, तब से इसका नाम नजरबाग पड़ गया. कुदसिया बेगम के निधन पर उन्हें उनके स्वर्गीय पति के मकबरे के निकट दफन किया गया. आठ फीट ऊंची लाल पत्थर की चार दीवारी के अंदर इसका निर्मित ये मकबरा बिल्कुल सादा है. ये शहर का सबसे बड़ा बाग था, इस कारण इसे स्थानीय बोली में 'बागे कलां' अर्थात बड़ा बाग नाम दिया गया.

History of Bada Bagh of Bhopal
बड़ा बाग

बड़ा बाग का इतिहास

भोपाल राज्य के छठवें शासक नवाब वजीर मोहम्मद खान की कब्र पर एक विशाल मकबरा बनाया गया था, इनकी दो पत्तियां थी. जिनकी मृत्यु होने पर उन्हें भी पास में दफनाया गया. यह तीनों एक ही मकबरे में दफन है. मकबरा चबूतरे पर वर्गाकार उनकी चौकी पर निर्मित है, मजार तक पहुंचने के लिए तीन मेहराब युक्त द्वार के बाद इसका भव्य और विशाल गुंबद है. इस बाग में नजर मोहम्मद खां का मकबरा नगर में इस्लामिक वास्तु शैली की सुंदरता कृतियों में है. लाल बलुआ पत्थर से निर्मित चारबाग पद्धति पर आधारित है. मकबरे के अंदर मजार संगमरमर से निर्मित है. इसकी मेहराबों पर अरबी में आयतें और लेख उत्कीर्ण है.

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कलात्मक और दर्शनीय स्थान

बड़ा बाग की नक्काशीदार और वास्तुकला की बात करें तो इनमें कई देशों की वास्तुकला के प्रमाण मिलते हैं, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से ये बदहाल हो गई है. बड़ा बाग की बावड़ी पर आशिकों ने अपने नाम दर्ज कर इसकी खूबसूरती को बदरंग कर दिया है. तीन मंजिला बनी बड़ा बाग की बावड़ी की हर मंजिल की दीवार, सीढ़ियों और मुंडेर पर आशिकों ने अपने नाम लिख रखे है. यहां किसी ने दुआ लिखी है, तो किसी ने यहां आने वालों की लिए अनुनयपूर्ण संदेश लिखा है. ये बावड़ी अत्यंत कलात्मक और दर्शनीय है.

Last Updated : Sep 14, 2020, 12:45 PM IST
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