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बर्बाद होता भोपाल का इतिहास! अतिक्रमण की चपेट में ऐतिहासिक इमारतें

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Published : Jan 7, 2021, 1:50 PM IST

किसी भी शहर का इतिहास ही उसकी आत्मा होती है, ऐतिहासिक धरोहरें उसकी विरासत को दर्शाती है. लेकिन भोपाल के पुराना शहर के ऐतिहासिक गेट और अपना वजूद खोते जा रहे हैं. पढ़िए पूरी खबर....

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बर्बाद होता भोपाल का इतिहास

भोपाल। भोपाल के बड़े तालाब के पास यह शहर कैसा हो, सड़कें व चौराहे कहां और कितने हों, चारों ओर से कैसे सुरक्षित हो, दरवाजे कितने और कहां हों, इसकी विस्तृत डिजाइन खुद राजा भोज (1010 -1055) ने ही बनाई थी. तब वह छोटा सा भोपाल 12 दरवाजों के साथ एक चारदीवारी से घिरा था. अब इस जगह को पुराना भोपाल के नाम से जाना जाता है.

अतिक्रमण की चपेट में ऐतिहासिक इमारतें

भोपाल में परमार, नवाब, गोंड शासक ने राज किया है, जिन्होंने शहर में कई एतिहासिक इमारतों का निर्माण कराया हैं. जो आज भोपाल की शान है. जिन्हें बचाने के लिए कई बार पुरात्व विभाग की तरफ से प्लान तैयार किया गया. लेकिन कभी जमीन पर नहीं पहुंच पाया. जिससे शहर की अधिकतर इमारज और गेट बर्बादी की कहानी बयां कर रहे हैं.

बीतते साल, बर्बाद होता इतिहास

पाल के पुराने शहर में 15 ऐतिहासिक दरवाजे है जिसमें इस्लामी गेट, लाल दरवाजा, नूर महल दरवाजा, बाग फरहत, अफगान गेट को संवारने के लिए लंब समय से कवायद चल रही है. लेकिन अब इन दरवाजों पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर रखा है. लाल दरवाजा, नूर महल दरवाजा और बाग फरहत अफगान गेट पर अतिक्रमण का कब्जा है. इस्लामी गेट पर स्थानीय अवैध कब्जेधारियों के विरोध के चलते काम शुरू नहीं हो पाया. इतिहास को सवारने के लिए 105 करोड़ से जीर्णोद्धार के लिए डीपीआर बना ली गई थी लेकिन आजतक जमीन पर काम शुरू नहीं हो पाया.

अतिक्रमण की चपेट में पुराना भोपाल के एतिहासिक गेट

  • मोतिया तालाब के पास तीन मोहरे गेट का निर्माण 1871 से 1884 के बीच हुआ, इसे बेगम सुल्तानजहां ने बनाया था. दो दरवाजों से ट्रैफिक गुजरता है. जिसे दुस्र्स्त किया गया, लेकिन अब भी अतिक्रमण की चपेट में है.
  • इस्लामी गेट का निर्माण सुल्तान जहां बेगम ने कराया था. इसका इस्तेमाल नवाब परिवार इस्लाम नगर जाने के लिए करता था. इस गेट के पास गुमठियां व कुछ पक्के निर्माण हो गए हैं. वहीं गेट जर्जर हालत में है.
  • ताजमहल का एंट्री गेट का निर्माण नवाब शाहजहां बेगम ने 1861 से 1901 में करवाया था. इसके बाजू में कबाड़ी और अन्य टीन शेड बने हुए हैं, जिन्‍हें अब तक हटाया नहीं गया है. जबकि ताजमहल का रेनोवेशन शुरू हो गया है.
  • शाहजहांनाबाद गेट का निर्माण शाहजहां बेगम ने कराया था. इसका इस्तेमाल शाही मेहमानों को लाने के लिए होता है. इसके आसपास भी गुमठियां और ठेले लग गए हैं. गेट की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब हो रही है.
  • जुमेराती गेट भी अतिक्रमण की चपेट में है, चारों तरफ मार्केट लगता है. गेट कहीं नहीं दिखाई देता है.
  • दाखिल दरवाजा के बाजू में कबाड़ी और अन्य टीन शेड बने हुए हैं, जिन्‍हें अब तक हटाया नहीं गया है. जबकि ताजमहल का रेनोवेशन शुरू हो गया है.

महल की स्थिति भी खराब

शहर कई बड़े-छोटे महलों में से अधिकतर जर्जर हो चुके हैं. प्रमुख महलों में गौहर महल, सदर मंजिल, ताज महल, शौकत महल, मोती महल, रानी महल, चमन महल, सदर मंजिल का रिनोवेशन का काम किया गया है. जिसके बाद सदर मंजिल काफी खूबसूरत नजर आने लगी है. गौहर महल, चमन महल और रानी महल ठीक स्थिति में है. लेकिन इकबाल के मैदान के सामने बने शौकत महल और शीश महल जर्जर हो चुके हैं. इसके अलावा मोती महल की भी स्थिति काफी कराब है. कुछ महीने पहले ही मोती महल का एक हिस्सा गिर गया था, जिसमें कई गाड़ियां दब गई थी.

ऐतिहासिक धरोहर संभालना पर्यटन विभाग की जिम्मेदारी

मध्यप्रदेश की पर्यटन मंत्री मंत्री उषा ठाकुर का कहना है कि ऐतिहासिक धरोहर को लेकर पुरात्तव विभाग चिंतित है और इसको लेकर बजट में बढ़ोतरी के प्रयास कर रहे हैं और ऐतिसाहिक इमारतों को संभालने की जिम्मेदारी ये पुरात्व विभाग की है. इस संबंध में कलेक्टर और जहां-जहां स्मार्ट सिटी विकास के काम कर रही है उनसे बात की जाएगी.

राजधानी की विरासतें अलग-अलग विभागों के पास है और इन सभी विभागों ने जल्द से जल्द ऐतिहासिक इमारतों पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले कुछ सालों में इतिहास के नाम पर सिर्फ खंडर ही बचेगा.

भोपाल। भोपाल के बड़े तालाब के पास यह शहर कैसा हो, सड़कें व चौराहे कहां और कितने हों, चारों ओर से कैसे सुरक्षित हो, दरवाजे कितने और कहां हों, इसकी विस्तृत डिजाइन खुद राजा भोज (1010 -1055) ने ही बनाई थी. तब वह छोटा सा भोपाल 12 दरवाजों के साथ एक चारदीवारी से घिरा था. अब इस जगह को पुराना भोपाल के नाम से जाना जाता है.

अतिक्रमण की चपेट में ऐतिहासिक इमारतें

भोपाल में परमार, नवाब, गोंड शासक ने राज किया है, जिन्होंने शहर में कई एतिहासिक इमारतों का निर्माण कराया हैं. जो आज भोपाल की शान है. जिन्हें बचाने के लिए कई बार पुरात्व विभाग की तरफ से प्लान तैयार किया गया. लेकिन कभी जमीन पर नहीं पहुंच पाया. जिससे शहर की अधिकतर इमारज और गेट बर्बादी की कहानी बयां कर रहे हैं.

बीतते साल, बर्बाद होता इतिहास

पाल के पुराने शहर में 15 ऐतिहासिक दरवाजे है जिसमें इस्लामी गेट, लाल दरवाजा, नूर महल दरवाजा, बाग फरहत, अफगान गेट को संवारने के लिए लंब समय से कवायद चल रही है. लेकिन अब इन दरवाजों पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर रखा है. लाल दरवाजा, नूर महल दरवाजा और बाग फरहत अफगान गेट पर अतिक्रमण का कब्जा है. इस्लामी गेट पर स्थानीय अवैध कब्जेधारियों के विरोध के चलते काम शुरू नहीं हो पाया. इतिहास को सवारने के लिए 105 करोड़ से जीर्णोद्धार के लिए डीपीआर बना ली गई थी लेकिन आजतक जमीन पर काम शुरू नहीं हो पाया.

अतिक्रमण की चपेट में पुराना भोपाल के एतिहासिक गेट

  • मोतिया तालाब के पास तीन मोहरे गेट का निर्माण 1871 से 1884 के बीच हुआ, इसे बेगम सुल्तानजहां ने बनाया था. दो दरवाजों से ट्रैफिक गुजरता है. जिसे दुस्र्स्त किया गया, लेकिन अब भी अतिक्रमण की चपेट में है.
  • इस्लामी गेट का निर्माण सुल्तान जहां बेगम ने कराया था. इसका इस्तेमाल नवाब परिवार इस्लाम नगर जाने के लिए करता था. इस गेट के पास गुमठियां व कुछ पक्के निर्माण हो गए हैं. वहीं गेट जर्जर हालत में है.
  • ताजमहल का एंट्री गेट का निर्माण नवाब शाहजहां बेगम ने 1861 से 1901 में करवाया था. इसके बाजू में कबाड़ी और अन्य टीन शेड बने हुए हैं, जिन्‍हें अब तक हटाया नहीं गया है. जबकि ताजमहल का रेनोवेशन शुरू हो गया है.
  • शाहजहांनाबाद गेट का निर्माण शाहजहां बेगम ने कराया था. इसका इस्तेमाल शाही मेहमानों को लाने के लिए होता है. इसके आसपास भी गुमठियां और ठेले लग गए हैं. गेट की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब हो रही है.
  • जुमेराती गेट भी अतिक्रमण की चपेट में है, चारों तरफ मार्केट लगता है. गेट कहीं नहीं दिखाई देता है.
  • दाखिल दरवाजा के बाजू में कबाड़ी और अन्य टीन शेड बने हुए हैं, जिन्‍हें अब तक हटाया नहीं गया है. जबकि ताजमहल का रेनोवेशन शुरू हो गया है.

महल की स्थिति भी खराब

शहर कई बड़े-छोटे महलों में से अधिकतर जर्जर हो चुके हैं. प्रमुख महलों में गौहर महल, सदर मंजिल, ताज महल, शौकत महल, मोती महल, रानी महल, चमन महल, सदर मंजिल का रिनोवेशन का काम किया गया है. जिसके बाद सदर मंजिल काफी खूबसूरत नजर आने लगी है. गौहर महल, चमन महल और रानी महल ठीक स्थिति में है. लेकिन इकबाल के मैदान के सामने बने शौकत महल और शीश महल जर्जर हो चुके हैं. इसके अलावा मोती महल की भी स्थिति काफी कराब है. कुछ महीने पहले ही मोती महल का एक हिस्सा गिर गया था, जिसमें कई गाड़ियां दब गई थी.

ऐतिहासिक धरोहर संभालना पर्यटन विभाग की जिम्मेदारी

मध्यप्रदेश की पर्यटन मंत्री मंत्री उषा ठाकुर का कहना है कि ऐतिहासिक धरोहर को लेकर पुरात्तव विभाग चिंतित है और इसको लेकर बजट में बढ़ोतरी के प्रयास कर रहे हैं और ऐतिसाहिक इमारतों को संभालने की जिम्मेदारी ये पुरात्व विभाग की है. इस संबंध में कलेक्टर और जहां-जहां स्मार्ट सिटी विकास के काम कर रही है उनसे बात की जाएगी.

राजधानी की विरासतें अलग-अलग विभागों के पास है और इन सभी विभागों ने जल्द से जल्द ऐतिहासिक इमारतों पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले कुछ सालों में इतिहास के नाम पर सिर्फ खंडर ही बचेगा.

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