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पीएम का MP के किसानों को संदेश, हम सिर झुकाकर हर मुद्दे पर बात करने को तैयार

किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के किसानों संबोधित किया. जानें संबोधन की खास बातें...

PM Narendra Modi
PM नरेंद्र मोदी
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Published : Dec 18, 2020, 3:13 PM IST

Updated : Dec 18, 2020, 4:09 PM IST

भोपाल। दिल्ली में जारी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसानों के आंदोलन के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के किसानों संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने नए कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताया.

किसानों को पीएम का संदेश

पीएम मोदी ने कहा कि देश में कृषि सुधारों की लंबे समय से दरकार थी. हमारी सरकार ने इस ओर कदम बढ़ाया है. अगर किसान भाइयों को कानूनों को लेकर किसी तरह की आशंका है, तो हम सिर झुकाकर-हाथ जोड़कर हर मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार हैं. देश का किसान और उनका हित हमारे लिए सर्वोच्च हैं. पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती यानी 25 दिसंबर को एक बार फिर मैं देश के किसानों से बात करूंगा. इस दौरान पीएम किसान सम्मान निधि की राशि भी ट्रांसफर की जाएगी.

'रातों रात नहीं लागू किए गए कृषि कानून'

भारत की कृषि, भारत का किसान, अब और पिछड़ेपन में नहीं रह सकता. दुनिया के बड़े-बड़े देशों के किसानों को जो आधुनिक सुविधा उपलब्ध है, वो सुविधा भारत के भी किसानों को मिले, इसमें अब और देर नहीं की जा सकती. तेजी से बदलते हुए वैश्विक परिदृष्य में भारत का किसान, सुविधाओं के अभाव में, आधुनिक तौर तरीकों के अभाव में असहाय होता जाए, ये स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती. पहले ही बहुत देर हो चुकी है. जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वो अब हो रहे हैं.पिछले 6 साल में हमारी सरकार ने किसानों की एक-एक जरूरत को ध्यान में रखते हुए काम किया है. बीते कई दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है. ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए. पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है.

'केंद्रीय कृषि मंत्री की चिट्ठी पढ़ें किसान'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के किसानों के नाम लिखे गए पत्र को पढ़ने की अपील की है. बता दें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम आठ पन्नों का एक खुला पत्र लिखा है. जिसमें कृषि कानून को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब दिए गए हैं.

निजी क्षेत्र से एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डिवलेपमेंट की अपील

पीएम मोदी ने कहा कि ये बात सही है कि किसान कितनी भी मेहनत कर ले, लेकिन फल-सब्जियां-अनाज का अगर सही भंडारण न हो, सही तरीके से न हो, तो उसका बहुत बड़ा नुकसान होता है.मैं देश के व्यापारी जगत, उद्योग जगत से आग्रह करूंगा कि भंडारण की आधुनिक व्यवस्थाएं बनाने में, कोल्ड स्टोरेज बनाने में, फूड प्रोसेसिंग के नए उपक्रम लगाने में अपना योगदान, अपना निवेश और बढ़ाएं. ये सच्चे अर्थ में किसान की सेवा करना होगा, देश की सेवा करना होगा.

'पहले इन कानूनों की वकालत करने वाले अब कर रहे विरोध'

करीब-करीब सभी संगठनों ने इन कानूनों पर विमर्श किया है. देश के किसान, किसानों के संगठन, कृषि एक्सपर्ट, कृषि अर्थशास्त्री, कृषि वैज्ञानिक, हमारे यहां के प्रोग्रेसिव किसान भी लगातार कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं. सचमुच में तो देश के किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो पहले अपने घोषणापत्रों में इन सुधारों की बात लिखते रहे, किसानों के वोट बटोरते रहे, लेकिन किया कुछ नहीं. सिर्फ इन मांगों को टालते रहे.और देश का किसान, इंतजार ही करता रहा. अगर आज देश के सभी राजनीतिक दलों के पुराने घोषणापत्र देखे जाएं, उनके पुराने बयान सुने जाएं, पहले जो देश की कृषि व्यवस्था संभाल रहे थे उनकी चिट्ठियां देखीं जाएं, तो आज जो कृषि सुधार हुए हैं, वो उनसे अलग नहीं हैं.

स्वामीनाथन रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस पर साधा निशाना

किसानों की बातें करने वाले लोग कितने निर्दयी हैं इसका बहुत बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट. रिपोर्ट आई, लेकिन ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को आठ साल तक दबाकर बैठे रहे. किसान आंदोलन करते थे, प्रदर्शन करते थे लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला.इन लोगों ने ये सुनिश्चित किया कि इनकी सरकार को किसान पर ज्यादा खर्च न करना पड़े. इनके लिए किसान देश की शान नहीं, इन्होंने अपनी राजनीति बढ़ाने के लिए किसान का इस्तेमाल किया है. जबकि किसानों के लिए समर्पित हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है. हमने फाइलों के ढेर में फेंक दी गई स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट बाहर निकाला और उसकी सिफारिशें लागू कीं, किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी दिया.

'किसानों के कंधे पर बंदूक रख रहा है विपक्ष'

पीएम मोदी ने कहा कि मुझे क्रेडिट मत दो, आपके पुराने घोषणापत्रों को क्रेडिट देता हूं. मैं किसानों को भला चाहता हूं, आप किसानों को भ्रमित करना छोड़ दें. ये कानून लागू हुए 6 महीने से अधिक वक्त हो गया, लेकिन अचानक विपक्ष ऐसे मुद्दे को उठा रहा है. किसानों के कंधे पर बंदूक रखी जा रही है.

'सभी किसानों को नहीं मिलता कर्जमाफी का लाभ'

हर चुनाव से पहले ये लोग कर्जमाफी की बात करते हैं. और कर्जमाफी कितनी होती है? सारे किसान इससे कवर हो जाते है क्या? जो छोटा किसान बैंक नहीं गया, जिसने कर्ज नहीं लिया, उसके बारे में क्या कभी एक बार भी सोचा है इन लोगों ने. जितने पैसे ये भेजने की बात करते रहे हैं, उतने पैसे किसानों तक कभी पहुंचते ही नहीं हैं. किसान सोचता था कि अब तो पूरा कर्ज माफ होगा. और बदले में उसे मिलता था बैंकों का नोटिस और गिरफ्तारी का वॉरंट.कर्जमाफी का सबसे बड़ा लाभ किसे मिलता था? इन लोगों के करीबियों को.

'किसानों के खातों में सीधे राशि का ट्रांसफर'

हमारी सरकार ने जो पीएम-किसान योजना शुरू की है, उसमें हर साल किसानों को लगभग 75 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे. यानि 10 साल में लगभग साढ़े 7 लाख करोड़ रुपए. किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर. कोई लीकेज नहीं, किसी को कोई कमीशन नहीं. याद करिए, 7-8 साल पहले यूरिया का क्या हाल था ?

'यूरिया की कालाबाजारी पर लगाम लगी'

रात-रात भर किसानों को यूरिया के लिए कतारों में खड़े रहना पड़ता था या नहीं? कई स्थानों पर, यूरिया के लिए किसानों पर लाठीचार्ज की खबरें आती थीं या नहीं? यूरिया की जमकर कालाबाजारी होती थी या नहीं.आज यूरिया की किल्लत की खबरें नहीं आतीं, यूरिया के लिए किसानों को लाठी नहीं खानी पड़तीं. हमने किसानों की इस तकलीफ को दूर करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया.हमने कालाबाजारी रोकी, सख्त कदम उठाए, भ्रष्टाचार पर नकेल कसी. हमने सुनिश्चित किया कि यूरिया किसान के खेत में ही जाए.

प्रदेश के 35 लाख किसानों को मिली राहत राशि

रायसेन में हो रहे इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हिस्सा लिया. इस दौरान 35 लाख किसानों के खातों में अतिवृष्टि और कीट व्याधि से हुए खरीफ फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए 1,600 करोड़ रुपए की राहत राशि उनके खातों में ट्रांसफर की गई.

भोपाल। दिल्ली में जारी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसानों के आंदोलन के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के किसानों संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने नए कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताया.

किसानों को पीएम का संदेश

पीएम मोदी ने कहा कि देश में कृषि सुधारों की लंबे समय से दरकार थी. हमारी सरकार ने इस ओर कदम बढ़ाया है. अगर किसान भाइयों को कानूनों को लेकर किसी तरह की आशंका है, तो हम सिर झुकाकर-हाथ जोड़कर हर मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार हैं. देश का किसान और उनका हित हमारे लिए सर्वोच्च हैं. पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती यानी 25 दिसंबर को एक बार फिर मैं देश के किसानों से बात करूंगा. इस दौरान पीएम किसान सम्मान निधि की राशि भी ट्रांसफर की जाएगी.

'रातों रात नहीं लागू किए गए कृषि कानून'

भारत की कृषि, भारत का किसान, अब और पिछड़ेपन में नहीं रह सकता. दुनिया के बड़े-बड़े देशों के किसानों को जो आधुनिक सुविधा उपलब्ध है, वो सुविधा भारत के भी किसानों को मिले, इसमें अब और देर नहीं की जा सकती. तेजी से बदलते हुए वैश्विक परिदृष्य में भारत का किसान, सुविधाओं के अभाव में, आधुनिक तौर तरीकों के अभाव में असहाय होता जाए, ये स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती. पहले ही बहुत देर हो चुकी है. जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वो अब हो रहे हैं.पिछले 6 साल में हमारी सरकार ने किसानों की एक-एक जरूरत को ध्यान में रखते हुए काम किया है. बीते कई दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है. ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए. पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है.

'केंद्रीय कृषि मंत्री की चिट्ठी पढ़ें किसान'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के किसानों के नाम लिखे गए पत्र को पढ़ने की अपील की है. बता दें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम आठ पन्नों का एक खुला पत्र लिखा है. जिसमें कृषि कानून को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब दिए गए हैं.

निजी क्षेत्र से एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डिवलेपमेंट की अपील

पीएम मोदी ने कहा कि ये बात सही है कि किसान कितनी भी मेहनत कर ले, लेकिन फल-सब्जियां-अनाज का अगर सही भंडारण न हो, सही तरीके से न हो, तो उसका बहुत बड़ा नुकसान होता है.मैं देश के व्यापारी जगत, उद्योग जगत से आग्रह करूंगा कि भंडारण की आधुनिक व्यवस्थाएं बनाने में, कोल्ड स्टोरेज बनाने में, फूड प्रोसेसिंग के नए उपक्रम लगाने में अपना योगदान, अपना निवेश और बढ़ाएं. ये सच्चे अर्थ में किसान की सेवा करना होगा, देश की सेवा करना होगा.

'पहले इन कानूनों की वकालत करने वाले अब कर रहे विरोध'

करीब-करीब सभी संगठनों ने इन कानूनों पर विमर्श किया है. देश के किसान, किसानों के संगठन, कृषि एक्सपर्ट, कृषि अर्थशास्त्री, कृषि वैज्ञानिक, हमारे यहां के प्रोग्रेसिव किसान भी लगातार कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं. सचमुच में तो देश के किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो पहले अपने घोषणापत्रों में इन सुधारों की बात लिखते रहे, किसानों के वोट बटोरते रहे, लेकिन किया कुछ नहीं. सिर्फ इन मांगों को टालते रहे.और देश का किसान, इंतजार ही करता रहा. अगर आज देश के सभी राजनीतिक दलों के पुराने घोषणापत्र देखे जाएं, उनके पुराने बयान सुने जाएं, पहले जो देश की कृषि व्यवस्था संभाल रहे थे उनकी चिट्ठियां देखीं जाएं, तो आज जो कृषि सुधार हुए हैं, वो उनसे अलग नहीं हैं.

स्वामीनाथन रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस पर साधा निशाना

किसानों की बातें करने वाले लोग कितने निर्दयी हैं इसका बहुत बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट. रिपोर्ट आई, लेकिन ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को आठ साल तक दबाकर बैठे रहे. किसान आंदोलन करते थे, प्रदर्शन करते थे लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला.इन लोगों ने ये सुनिश्चित किया कि इनकी सरकार को किसान पर ज्यादा खर्च न करना पड़े. इनके लिए किसान देश की शान नहीं, इन्होंने अपनी राजनीति बढ़ाने के लिए किसान का इस्तेमाल किया है. जबकि किसानों के लिए समर्पित हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है. हमने फाइलों के ढेर में फेंक दी गई स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट बाहर निकाला और उसकी सिफारिशें लागू कीं, किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी दिया.

'किसानों के कंधे पर बंदूक रख रहा है विपक्ष'

पीएम मोदी ने कहा कि मुझे क्रेडिट मत दो, आपके पुराने घोषणापत्रों को क्रेडिट देता हूं. मैं किसानों को भला चाहता हूं, आप किसानों को भ्रमित करना छोड़ दें. ये कानून लागू हुए 6 महीने से अधिक वक्त हो गया, लेकिन अचानक विपक्ष ऐसे मुद्दे को उठा रहा है. किसानों के कंधे पर बंदूक रखी जा रही है.

'सभी किसानों को नहीं मिलता कर्जमाफी का लाभ'

हर चुनाव से पहले ये लोग कर्जमाफी की बात करते हैं. और कर्जमाफी कितनी होती है? सारे किसान इससे कवर हो जाते है क्या? जो छोटा किसान बैंक नहीं गया, जिसने कर्ज नहीं लिया, उसके बारे में क्या कभी एक बार भी सोचा है इन लोगों ने. जितने पैसे ये भेजने की बात करते रहे हैं, उतने पैसे किसानों तक कभी पहुंचते ही नहीं हैं. किसान सोचता था कि अब तो पूरा कर्ज माफ होगा. और बदले में उसे मिलता था बैंकों का नोटिस और गिरफ्तारी का वॉरंट.कर्जमाफी का सबसे बड़ा लाभ किसे मिलता था? इन लोगों के करीबियों को.

'किसानों के खातों में सीधे राशि का ट्रांसफर'

हमारी सरकार ने जो पीएम-किसान योजना शुरू की है, उसमें हर साल किसानों को लगभग 75 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे. यानि 10 साल में लगभग साढ़े 7 लाख करोड़ रुपए. किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर. कोई लीकेज नहीं, किसी को कोई कमीशन नहीं. याद करिए, 7-8 साल पहले यूरिया का क्या हाल था ?

'यूरिया की कालाबाजारी पर लगाम लगी'

रात-रात भर किसानों को यूरिया के लिए कतारों में खड़े रहना पड़ता था या नहीं? कई स्थानों पर, यूरिया के लिए किसानों पर लाठीचार्ज की खबरें आती थीं या नहीं? यूरिया की जमकर कालाबाजारी होती थी या नहीं.आज यूरिया की किल्लत की खबरें नहीं आतीं, यूरिया के लिए किसानों को लाठी नहीं खानी पड़तीं. हमने किसानों की इस तकलीफ को दूर करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया.हमने कालाबाजारी रोकी, सख्त कदम उठाए, भ्रष्टाचार पर नकेल कसी. हमने सुनिश्चित किया कि यूरिया किसान के खेत में ही जाए.

प्रदेश के 35 लाख किसानों को मिली राहत राशि

रायसेन में हो रहे इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हिस्सा लिया. इस दौरान 35 लाख किसानों के खातों में अतिवृष्टि और कीट व्याधि से हुए खरीफ फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए 1,600 करोड़ रुपए की राहत राशि उनके खातों में ट्रांसफर की गई.

Last Updated : Dec 18, 2020, 4:09 PM IST
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