भोपाल। राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में प्रदर्शन कर रहे फ्रंटलाइन कोरोना योद्धाओं पर बीते दिन पुलिस ने लाठीचार्ज किया था. वहीं बचे हुचे कोरोना योद्धा संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेजा था. जिसमें 31 पुरुष और 16 महिला स्वास्थ्य कर्मी शामिल थीं. 16 महिला स्वास्थ्य कर्मियों को करौंद स्थित सेंट्रल जेल में रखा गया था, तो 31 पुरुष स्वास्थ्य कर्मी को पुरानी जेल भेजा गया था. जिन्हें 26 घंटे के बाद रिहा किया गया है.
अपनी मांगों को लेकर बैठे थे धरने पर
संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि हम अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे. सरकार ने हमें 3 महीने के लिए कॉन्ट्रैक्ट बेस पर रखा था. लेकिन हमसे 9 महीने तक काम कराया और इस महामारी और संकट के दौर में हमें अब बेसहारा कर रहे हैं. हमारे 50% स्टॉफ को निकाल दिया है, अभी 50% स्टॉफ काम कर रहा है. वहीं 6123 की संख्या में प्रदेशभर में संविदा स्वास्थ्य कर्मी काम कर रहे हैं. जिसमें आधे कर्मियों को निकाल दिया गया है.
संविदा कर्मियों ने कहा कि हम सरकार से मांग कर रहे थे कि हमें संविदा बेस पर ही रेगुलर कर दिया जाए. इसको लेकर लगभग 4 दिनों से भोपाल के नीलम पार्क में संविदा कर्मचारी धरना दे रहे थे. वहीं गुरुवार को पुलिस नीलम पार्क पहुंची और उन पर लाठियां भांजी. जिसमें 47 संविदा स्वास्थ्य कर्मियों पर मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने 31 पुरुष स्वास्थ्य कर्मियों को पुरानी जेल में और 16 महिला संविदा स्वास्थ्य कर्मियों को नई जेल भेजा था. हालांकि महिला स्वास्थ्य कर्मियों की बीती रात रिहाई हो गई थी. लेकिन 26 घंटे के बाद पुरुष स्वास्थ्य कर्मी की शुक्रवार को रिहाई हुई है.
रिहा हुए स्वास्थ्य कर्मियों ने सरकार पर जताई नाराजगी
रिहा हुए 31 स्वास्थ्य कर्मियों ने सरकार के लाठीचार्ज वाले रवैए पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है कि हम लोगों को देशभर में जहां भेजा गया, वहां पर सेवा की और बाद में हमें यह पुरस्कार दिया गया है. इसके चलते हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और हम सरकार से नाराज हैं. वहीं उनकी मांग है की अगर सरकार के पास पैसे ना हो तो परमानेंट ना करें. लेकिन सभी को संविदा के तौर पर रेगुलर नियुक्त कर दें. जिससे कि उनके पास रोजगार बना रहे.
गुरुवार को प्रदर्शन के दौरान बरसाईं गईं लाठियां
बता दें गुरुवार शाम को भोपाल पुलिस ने संविदा स्वास्थ्यकर्मियों पर लाठियां बरसाईं थीं.इस प्रदर्शन में महिलाएं भी शामिल थीं. जिन पर पुलिस ने जमकर लाठियां बरसाईं. संगठन के लोगों का आरोप है कि महिलाओं के साथ दूध मुंहे बच्चे भी मौजूद थे. लेकिन शासन-प्रशासन को किसी भी तरह की लाज नहीं आई. उन्होंने लाठीचार्ज कर दिया और गाड़ी में बैठा कर जेल भेज दिया. कई पैरामेडिकल स्टाफ के साथ तो पुलिस की झूमा-झटकी भी हुई, जिस दौरान जहांगीराबाद थाना प्रभारी को भी मामूली चोट आई थी.
पढ़ें:लाठीचार्ज के बाद पूर्व CM कमलनाथ ने स्वास्थ्य कर्मियों से की मुलाकात, गृहमंत्री ने किया पलटवार
पूर्व सीएम ने जताया विरोध
वहीं इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा था की कोरोना की इस महामारी में अपनी जान जोखिम में डाल सेवाएं देने वाले कोरोना वॉरियर्स भोपाल में अपनी जायज मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. तब उन्हें न्याय दिलवाने की बजाय उन पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज किया गया. जो सम्मान के हकदार उनसे अपराधियों की तरह व्यवहार.
पढ़ें:कोरोना वॉरियर्स के साथ लाठीचार्ज की घटना गलत, मुख्यमंत्री को करना चाहिए आत्मचिंतन: जीतू पटवारी
जीतू पटवारी ने भी जताया विरोध
पूर्व सीएम कमलनाथ के बाद पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने भी कोरोना वॉरियर्स के साथ हुई मारपीट को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा है. जीतू पठवारी ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि आने वाले कृषि कानून से किसी का भला नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा कि अगर इससे सबसे ज्यादा नुकसान किसी को होगा तो वह अन्नदाता है.